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महिला शक्ति का केंद्र बन रहा कानपुर का सरसैया घाट, पूर्व प्रधानमंत्री की पौत्री ने किया पिंडदान

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कानपुर: गंगा किनारे स्थित सरसैया घाट पर रविवार को पितरों के पानी देने वाली कई महिलाओं ने पूर्वजों के लिए तर्पण किया। मंत्रोच्चारण के साथ बेटियों ने अपने परिवारजनों एवं पुरखों के लिए पिंडदान किया। इस धार्मिक अनुष्ठान में पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी बाजपेई की पौत्री नंदिता मिश्रा ने उनके लिए तर्पण और पिंडदान किया।

मातृ शक्ति को मजबूती दे रहा है आयोजन -

कानपुर के सरसैया घाट पर आयोजित होने वाले पितरों के तर्पण का कार्यक्रम महिला शक्ति का प्रतीक बनता जा रहा है। जिसमें महिलाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। हालांकि समाज में मान्यता है कि सिर्फ बेटे ही पूर्वजों को पानी दे सकते हैं। बेटों को ही तर्पण और पिंडदान का अधिकारी बताया गया है। इस मान्यता को सरसैया घाट में तर्पण करके महिलाओं ने समाप्त करने का काम किया। कार्यक्रम का आयोजन युग दधीचि देह दान संस्था आयोजित कर रही है।

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सीता मां ने किया था राजा दशरथ का पिंडदान -

देहदान संस्थान के मनोज सेंगर ने दावा किया कि वैदिक काल में महिलाओं को तर्पण का अधिकार था। माता सीता ने भी अपने ससुर दशरथ का तर्पण और पिंडदान किया था। वहीं मध्यकाल में देश में कुरीतियां व्याप्त होती चली गई और महिलाओं के अधिकारों का हनन होता गया। तर्पण करने वाली महिलाओं का कहना है, जब महिलाएं हर कदम में पुरुषों के साथ चल रही हैं, तो उनसे तर्पण का अधिकार कैसे छीना जा सकता है।

पूर्व प्रधानमंत्री की पौत्री ने किया तर्पण एवं पिंडदान -

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई की पौत्री नंदिता मिश्रा ने कहा कि अटल बिहारी बाजपेई उनके बाबा थे । उनका तर्पण और पिंडदान करने के लिए यहां आई हूं। विधायक नीलिमा कटियार ने भी आयोजन में भाग लिया। उन्होंने कहा कि महिलाओं को वैदिक काल में तर्पण का हक हासिल था वह उसी परंपरा को निभाने का काम कर रही हैं। वहीं कार्यक्रम के आयोजक मनोज सेंगर ने कहा कि संस्था लगातार 11 सालों से अजन्मी कन्याओं के लिए तर्पण के कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है। जिसमें महिलाओं की भागीदारी लगातार बढ़ रही है महिलाएं अजन्मी बेटियों के लिए तर्पण करने के साथ ही अपने पूर्वजों के लिए तर्पण और पिंडदान भी करती हैं। ऐसा करने से पुरुषों और महिलाओं के बीच भेदभाव खत्म हो रहा है। वहीं महिलाएं अपने हक के लिए जागरूक हो रही है।

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