नई दिल्लीः भारत के पनडुब्बी कार्यक्रम से लगातार भारतीय नौसेना की समुद्री ताकत को मजबूती मिल रही है। नौसेना की ताकत में और इजाफा करने के लिए स्कॉर्पिन श्रेणी की पांचवीं पनडुब्बी 'वागीर' को परीक्षण के लिए समुद्र में उतार दिया गया। नवंबर, 2020 में मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) के कान्होजी आंग्रे वेट बेसिन से यह पनडुब्बी लॉन्च की गई थी। प्रोजेक्ट 75 की पांचवीं पनडुब्बी का समुद्री परीक्षण शुरू करना एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह पनडुब्बी प्रणोदन प्रणाली, हथियार और सेंसर सहित समुद्र में अपनी सभी प्रणालियों के गहन परीक्षणों से गुजरेगी। सभी परीक्षण पूरे होने के बाद इसी वर्ष भारतीय नौसेना को 'वागीर' पनडुब्बी सौंपे जाने की योजना है।
स्कॉर्पिन श्रेणी की कुल 6 पनडुब्बियों का निर्माण मुंबई के मझगांव डॉकयार्ड लिमिटेड ने फ्रांसीसी कंपनी मेसर्स नेवल ग्रुप के साथ किया है। यह पनडुब्बियां 50 दिन तक समुद्र में रहकर एक बार में 12 हजार किलोमीटर तक की यात्रा कर सकती हैं। इसमें 8 अफसर और 35 नौसैनिक काम करते हैं और ये समुद्र की गहराई में 350 मीटर तक गोता लगा सकती हैं। यह पनडुब्बी समुद्र के अंदर 37 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकती हैं। इनमें समुद्र के अंदर किसी पनडुब्बी या समुद्र की सतह पर किसी जहाज को तबाह करने के लिए टॉरपीडो होते हैं। इसके अलावा समुद्र में बारूदी सुरंगें भी बिछा सकती हैं। स्कॉर्पिन श्रेणी की छह पनडुब्बियों में से पहली पनडुब्बी ‘कलवरी’ 21 सितम्बर, 2017 को नौसेना में शामिल हुई थी।
स्कॉर्पिन श्रेणी की दूसरी पनडुब्बी आईएनएस 'खंडेरी' 19 सितम्बर, 2019 को मझगांव डॉक लिमिटेड शिपयार्ड पर लॉन्च किया गया लेकिन नौसेना को समुद्र में यूजर ट्रायल के दौरान इस पनडुब्बी के इंजन से ज्यादा आवाज आने की शिकायत थी। इसलिए भारतीय नौसेना ने आईएनएस खंडेरी को अपने बेड़े में शामिल करने से इनकार कर दिया था। नौसेना के ऐतराज के बाद इन पनडुब्बियों में आवाज को काफी कम किया गया जिसके बाद आईएनएस खंडेरी को मुंबई में 28 सितम्बर, 2019 को नौसेना में शामिल किया गया। तीसरी पनडुब्बी आईएनएस करंज समुद्री परीक्षणों में खरी उतरी है जिसे नौसेना को सौंप दिया गया है। इस पनडुब्बी को जल्द ही भारतीय नौसेना में औपचारिक रूप से कमीशन किया जाएगा। भारतीय नौसेना ने स्कॉर्पिन श्रेणी की चौथी पनडुब्बी वेला एमडीएल में लॉन्च की थी।
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कलवरी क्लास यानी प्रोजेक्ट 75 की इन पनडुब्बियों की लंबाई 61.7 मीटर, चाल 20 नॉट और वजन 1565 टन है। इनमें सतह और पानी के अंदर से तारपीडो और ट्यूब लॉन्च्ड एंटी-शिप मिसाइल दागने की क्षमता है। यह सटीक निशाना लगाकर दुश्मन की हालत खराब कर सकती हैं। इसके साथ ही इस पनडुब्बी में एंटी-सरफेस वॉरफेयर, एंटी-सबमरीन वॉरफेयर, खुफिया जानकारी जुटाने, माइन लेयिंग और एरिया सर्विलांस जैसे मिशनों को अंजाम देने की क्षमता है। इनमें ऐसी अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, जिससे दुश्मन देशों की नौसेनाओं को इसकी टोह लेना मुश्किल होगा। सामान्य तौर पर पनडुब्बी को उसकी आवाज की वजह से पकड़ा जाता है लेकिन नौसेना के ऐतराज के बाद इन पनडुब्बियों में आवाज को काफी कम किया गया है।
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