नई दिल्लीः अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल संचालन संस्था फीफा (FIFA) द्वारा भारतीय फुटबॉल महासंघ (AIFF) को निलंबित किए जाने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है। केंद्र सरकार ने सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट से प्रशासकों की समिति (सीओए) को हटाने की अपील की है। साथ ही कहा है कि भारतीय फुटबॉल संघ (एआईएफएफ) को अब एआईएफएफ प्रशासन के हवाले कर दिया जाना चाहिए, जिसकी अगुआई कार्यवाहक महासचिव कर रहे हैं।
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केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया कि वह सीओए को 23 अगस्त के अंत तक अखिल भारतीय फुटबाल महासंघ (AIFF) के लिए अंतिम मसौदा संविधान अदालत को सौंपने का निर्देश दे और उस दिन से सीओए के आदेश को पूर्ण रूप से समाप्त घोषित कर दिया जाए। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट आज फीफा के ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन को निलंबित करने के मामले की सुनवाई जारी। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच सुनवाई कर रही है।
दरअसल कोर्ट ने 17 अगस्त को सालिसिटर जनरल तुषार मेहता, जो केंद्र सरकार की ओर से कोर्ट में पेश हुए थे, के अनुरोध पर निलंबन से संबंधित याचिका पर सुनवाई आज यानी 22 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी थी। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार और FIFA के बीच दो राउंड की बात हुई है। कुछ सकारात्मक बातें हुईं हैं। बातचीत चल रही है। इसलिए मामले पर सुनवाई टाल दिया जाना चाहिए। सरकार खुद फीफा से बात कर रही है। सफलता मिलने की उम्मीद है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई 22 अगस्त तक के लिए टालते हुए कहा कि सरकार इस मामले में प्रो एक्टिव हो कर काम करें, ताकि अंडर 17 फीफा वर्ल्ड कप भारत में हो और ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन पर लगी पाबंदी हटे।
उल्लेखनीय है कि फीफा की ओर से अलग इंडिया फुटबॉल फेडरेशन को निलंबित करने के फैसले का असर यह होगा कि 2022 फीफा अंडर 17 महिला वर्ल्ड कप की मेजबानी भारत से छीन सकती है। इस मामले पर सुनवाई करते हुए 11 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी दी थी कि अगर 2022 फीफा अंडर 17 महिला वर्ल्ड कप की मेजबानी में कोई बाधा खड़ी की गई तो वो हस्तक्षेप करने से नहीं हिचकेगा। दरअसल सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त प्रशासकों ने अवमानना याचिका दायर की है जिस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये टिप्पणी की थी।
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से एएसजी बलबीर सिंह ने कहा था कि फीफा के साथ बैठक की जा रही है और सभी मतभेदों को दूर करने की कोशिश की जाएगी। प्रशासकों ने प्रफुल्ल पटेल के अलावा राज्य फुटबॉल फेडरेशन के पदाधिकारियों के खिलाफ भी आरोप लगाया है। याचिका में कहा गया है कि प्रफुल्ल पटेल ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करते हुए एआईएफएफ और राज्य संघों के 35 सदस्यों की एक बैठक बुलाई थी। ये बैठक 8 अगस्त को जूम पर आयोजित की गई थी। याचिका में पटेल को फुटबॉल से जुड़ी किसी भी तरह की गतिविधियों में भाग लेने या पद संभालने से रोकने की मांग की गई है । याचिका में कहा गया है कि प्रफुल्ल पटेल को एआईएफएफ के अध्यक्ष के पद से हटा दिया गया था। उसके बावजूद उन्होंने लगातार फीफा परिषद के सदस्य के रूप में अपने पद का दुरुपयोग किया है।
गौरतलब है कि 18 मई को सुप्रीम कोर्ट ने एआईएफएफ का प्रशासन संभालने के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बनाने का आदेश दिया था। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस अनिल आर दवे, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी और भारतीय फुटबॉल टीम के कप्तान रहे भास्कर गांगुली को इस कमेटी में शामिल किया था। प्रशासकों की इस कमेटी को नेशनल स्पोर्ट्स कोड के अनुरूप एआईएफएफ का संविधान तैयार करने में कोर्ट की मदद करने का आदेश दिया गया था। कोर्ट ने कहा था कि प्रशासकों की कमेटी एआईएफएफ का रोजमर्रा का काम देखेगी।
क्या कहते हैं FIFA के नियम ?
फीफा के नियमों के मुताबिक, सदस्य संघों को अपने-अपने देशों में कानूनी और राजनीतिक हस्तक्षेप से मुक्त होना चाहिए। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई प्रशासकों की समिति के हस्तक्षेप और उनके मुताबिक चुनाव कराए जाने पर फीफा ने भारतीय फुटबॉल महासंघ को सस्पेंड कर दिया। फीफा ने पहले इसी तरह के मामलों में अन्य राष्ट्रीय संघों को भी निलंबित किया है।
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