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षटतिला एकादशी के दिन व्रत कर अवश्य करें काले तिल का दान

bhagwan-vishnu

नई दिल्लीः माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को षटतिला एकादशी कहा जाता है। षटतिला एकादशी के दिन भगवान विष्णु की आराधना से सभी बंधनों से मुक्त होकर मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। षटतिला एकादशी के दिन व्यक्ति को प्रातःकाल के समय स्नान के बाद व्रत का संकल्प लेकर भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए और उन्हें काला तिल या इसके लड्डू का भोग लगाना चाहिए। षटतिला एकादशी की पूजा के समय व्रत कथा जरूर सुननी चाहिए और फिर आरती करनी चाहिए। षटतिला एकादशी को पापहारिनी भी कहा जाता है। इसलिए इस दिन व्रत करने वाले के सभी पाप नष्ट हो जाते है और उसे सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। षटतिला एकादशी की तिथि 7 फरवरी को सुबह 6 बजकर 26 मिनट से लेकर 8 फरवरी को सुबह 4 बजकर 47 मिनट तक रहेगी। षटतिला एकादशी के दिन इस कथा को जरूर सुनना चाहिए।

एक बार नारद जी ने भगवान विष्णु से षटतिला एकादशी व्रत की महिमा बताने को कहा। इस पर भगवान विष्णु ने उन्हें षटतिला एकादशी की व्रत कथा सुनाई जिसे सुनने से तमाम पापों से मुक्ति मिल जाती है। वहीं सौभाग्य बढ़ता है और दरिद्रता दूर होती है। एक समय एक नगर में एक ब्राह्मणी रहती थीं जो भगवान विष्णु की महान भक्त थीं। वह प्रतिदिन नियम से भगवान विष्णु का पूजन और व्रत करती थी। एक बार उस ब्राह्मणी ने एक माह तक भगवान विष्णु का व्रत और पूजन किया। जिससे भगवान विष्णु प्रसन्न भी हुए। व्रत के कारण उस ब्राह्मणी का शरीर अत्यंत दुर्बल हो गया। इस पर भगवान विष्णु ने विचार किया अब यह ब्राह्मणी बैकुंठ को प्राप्त हो सकती हैं, लेकिन उस व्रत के चलते उस ब्राह्मणी का तन तो शुद्ध हो गया था। किंतु उस ब्राह्मणी ने व्रत के दौरान किसी भी प्रकार का दान नही दिया था जिसके चलते मन की शुद्धि करने को भगवान विष्णु ने स्वयं उसकी परीक्षा लेने की सोची और उससे दान लेने के लिए भगवान स्वयं उसके पास जा पहुंचे। भगवान ने जब उस ब्राह्मणी से दान मांगा तो उसने भगवान को मिट्टी का एक पिंड दे दिया।

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भगवान विष्णु उस दान को लेकर बैकुंठ धाम वापस चले आए। कुछ दिन बाद उस ब्राह्मणी का निधन हो गया और वह बैकुंठधाम पहुंच गयी। वहां उसे एक कुटिया मिली जिसके सामने एक आम का पेड़ था। यह देखकर उस ब्राह्मणी ने विचार किया कि ऐसा कौन सा अपराध किया जो भगवान विष्णु ने उन्हें केवल यह दिया। यह बात उसने भगवान विष्णु से भी जाकर पूछी तो भगवान ने कहा कि तुमने किसी को भी दान आदि कभी नही किया जिस कारण तुम्हें यह स्थिति प्राप्त हुई। इस पर उस ब्राह्मणी ने भगवान से फिर पूछा कि इसका कोई उपाय हो तो बतायें। इस पर भगवान विष्णु ने कहा कि जब देव कन्याएं तुमसे मिलने यहां पहुंचे तो तुम उनसे षटतिला एकादशी व्रत की विधि पूछ लेना और जब तक वह तुम्हें व्रत की विधि न बतायें तब तक दरवाजा मत खोलना। ब्राह्मणी ने भगवान विष्णु के बतायी हुई बातों के अनुसार ही कार्य किया। तब देव कन्याओं ने उस ब्राह्मणी को व्रत की विधि बतायी। इस प्रकार उस ब्राह्मणी ने देव कन्याओं के बताने के अनुसार ही व्रत किया। जिससे उसके घर में सुख-समृद्धि की सभी वस्तुएं उपलब्ध हो गयी।