लखनऊः इस बार केवल सूखा ही दिख रहा है। खेतों में नमी न होने से किसान परेशान हैं और सबसे ज्यादा संकट पशुओं के लिए है। इसका असर पक्षियों पर भी पड़ने वाला है। यदि लगातार बारिश के दिनों में पानी बरसता रहा तो स्थिति नियंत्रित हो सकती है अन्यथा मुर्गियों के दाने पर भी संकट आ जाएगा।
पक्षियों को खिलाने के लिए मक्का बढ़िया आहार होता है। करीब 65 प्रतिशत मक्के का उपयोग मुर्गी एवं पशु आहार के रूप में किया जाता है, साथ ही यह उनके लिए पौष्टिक चारा भी होता है। भुट्टे काटने के बाद बची हुई करबी पशुओं को चारे के रूप में खिलाते हैं। मक्के का इस्तेमाल दवाओं में भी किया जाता है। परेशानी इस बात की है कि बारिश कम हुई है, इससे अगेती फसलें प्रभावित हो गई हैं। बाजरा और मक्का मुर्गियों का मुख्य आहार होता है। यदि इनकी पिछैती फसल भी प्रभावित हुई तो अन्य प्रांतों की ओर निहारना पड़ सकता है। अभी तो सीजन है, इसके बाद भी बाजारों में दाने की किल्लत दिखने लगी है।
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पानी न बरसने से विषैली हुई घास
गर्मियों में सबसे ज्यादा संकट बेजुबानों को झेलना पड़ता है। यदि गर्मी के साथ पानी भी बरसता रहता है, तो चारे की समस्या नहीं होती है और किसी प्रकार की बीमारी का डर भी नहीं रहता है। इस बार ज्यादा गर्मी पड़ने के कारण तमाम तरह की दिक्कतें आ रही हैं। इन दिनों गांवों में पशुओं में खुरपका, मुंहपका और फूड प्वाइजनिंग फैल रहा है। एक-एक गांव में दर्जनों पशुओं में यह बीमारी फैली हुई है। पशु चिकित्सक धीरेंद्र साहू ने बताया कि यदि बारिश और न हुई, तो ऐसी बीमारियों का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा। उनका कहना है कि बारिश होती है तो घास हरी-भरी रहती है। बारिश न होने से हरी घास भी विषैली बन जाती है और यह पशुओं को बीमार बना देता है। ज्यादातर पशु फूड प्वाइजनिंग से मर जाते हैं, वहीं गर्मी में ही खुरपका और मुंहपका अपना प्रभाव जमा लेता है। ऐसे में पशुओं की देखभाल तब तक करनी चाहिए, जब तक गर्मी कम न हो।
- शरद त्रिपाठी की रिपोर्ट
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