नारनौलः हरियाणा में पशुओं पर कुछ जगह लम्पी स्किन डिजीज का प्रकोप देखा गया है। ऐसे में जिला के किसान अपने पशुओं की देखभाल में सावधानी बरतें। यह संक्रामक बीमारी है। पशु में इस बीमारी के लक्षण दिखे तो पशुओं को एहतियात के तौर पर एक दूसरे से दूर रखना जरूरी है। पशुपालन एवं डेयरी विभाग के जिला महेंद्रगढ़ के डिप्टी डायरेक्टर डॉ नसीब सिंह ने सोमवार को यह बात कही।
उन्होंने बताया कि लम्पी स्किन डिजीज गौजातीय पशुओं में चमड़ी का रोग है जो लम्पी स्किन डिजीज वायरस के कारण होता है। एलएसडी प्रभावित किसी भी पशु में लम्पी स्किन डिजीज होने पर अपने नजदीकी पशु चिकित्सालय से ईलाज करवायें। बीमार पशुओं को स्वस्थ पशुओं से अलग करें और घावों के उपचार एवं मक्खियों को दूर करने के लिए कीट विकर्षक/एंटीसेप्टिक दवा लगाएं। उन्होंने कहा कि घरेलु उपचार अपनाकर भी पशुओं को बीमारी से बचाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि पहला उपाय 10 पान के पत्ते, 10 ग्राम काली मिर्च और 10 ग्राम नमक मिलाकर पेस्ट बना लें। अब इसमें गुड़ मिलाएं। इस एक खुराक को पहले दिन हर तीन घंटे में खिलाएं और बाद में अगले दो सप्ताह तक दिन में तीन बार खिलाएं।
दूसरा उपाय लहसुन 2 कलियां, धनिया 10 ग्राम, जीरा 10 ग्राम, तुलसी 1 मुट्ठी, सूखी दालचीनी के पत्ते 10 ग्राम, काली मिर्च 10 ग्राम, पान के पत्ते 5 नग, शलजम 2 पीस, हल्दी पाउडर. 10 ग्राम, चिरता के पत्ते 30 ग्राम, मरूआ तुलसी 1 मुट्ठी, नीम के पत्ते 1 मुट्ठी, बिल्व के पत्ते 1 मुट्ठी और गुड़ 100 ग्राम आदि सभी को . मिलाकर पेस्ट बनाकर गुड के साथ पहले दिन, हर तीन घंटे में खिलाएं और बाद में रोग ठीक होने तक दिन में दो बार खिलाएं। तीसरा उपाय त्वचा पर घाव होने पर हरित कुप्पी (अकालिफा इंडिका) के पत्ते 1 मुट्ठी, लहसुन 10 कलियां, नीम के पत्ते 1 मुट्ठी, हल्दी पाउडर 20 ग्राम, मेहंदी के पत्ते 1 मुट्ठी, तुलसी के पत्ते 1 मुट्ठी मिलाकर पेस्ट बना लें। अब इसे 500 मिलीलीटर नारियल या तिल के तेल में मिलाकर उबाल लें और ठंडा होने के लिए रख दें।
पेस्ट लगाने से पहले घावों को अच्छी तरह से साफ कर लें और फिर सीधे प्रभावित त्वचा पर लगाएं। चौथा उपाय अगर घाव में कीड़े दिखाई दे तो पहले दिन सीताफल के पत्तों का पेस्ट या नारियल के तेल में कपूर मिलाकर लगाएं।
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