वाराणसीः काशी पुराधिपति की नगरी तुलसीघाट पर शुक्रवार की शाम द्वापर युग के गोकुल-वृंदावन का नजारा देखने को मिला। नटवर नागर कान्हा गंगा में बांसुरी बजाते हुए कालिया नाग को सम्मानित करने के बाद यमुना के फन पर नृत्य करते हुए प्रकट हुए। इस नयनाभिराम झांकी को देखकर घाट पर मौजूद हजारों श्रद्धालु भावविभोर हो गये। ढोल-नगाड़ों की ध्वनि और घंटे-घड़ियाल की गूंज के बीच पूरा गंगा तट 'वृंदावन बिहारी लाल की जय', 'हर-हर महादेव' के गगनभेदी उद्घोष से गूंज उठा। मौका था काशी के लक्खा मेले के नाम से मशहूर तुलसीघाट की 453 साल पुरानी नागनथैया लीला का।
कान्हा ने मित्रों के साथ खेला खेल
अखाड़ा गोस्वामी तुलसीदास के नेतृत्व में तुलसीघाट पर आयोजित श्रीकृष्ण लीला (baal lila) को देखने के लिए दोपहर से ही लोग पहुंचने लगे। जैसे-जैसे लीला का समय नजदीक आता गया, गंगा घाट की सीढ़ियाँ, आसपास के घरों की छतें और बजरे लोगों से खचाखच भर जाते थे। गंगा में नावों व बजड़ों पर सवार लोगों की भी भीड़ रही।
दोपहर करीब तीन बजे श्री संकटमोचन मंदिर के महंत प्रोफेसर विश्वंभर नाथ मिश्र की देखरेख में लीला शुरू हुई। शरारती कान्हा (वह बच्चा जो श्री कृष्ण का अवतार था) ने गंगा नदी के प्रतीक कालिंदी (यमुना) के तट पर अपने बचपन के दोस्तों के साथ कंदुक (गेंद) खेलना शुरू किया। कान्हा के इस नटखट रूप को देखकर हजारों की संख्या में मौजूद लोग आनंदित हो उठे। खेलते समय अचानक गेंद यमुना नदी में गिर गई।
यह देखकर उनके बचपन के मित्र कान्हा से नदी से गेंद वापस लाने का आग्रह करने लगे। शाम 4.40 बजे कान्हा ने कदम्ब की शाखा पर चढ़कर यमुना में छलांग लगा दी। जब काफी देर तक कान्हा नदी से बाहर नहीं आये तो बाल सखा को चिंता होने लगी। उसका धैर्य जवाब देने लगा। कुछ देर बाद कान्हा विषैले नाग कालिया (कृत्रिम) की पूजा कर उसके फन पर नृत्य मुद्रा में वेणु गाते हुए प्रकट हुए। नटखट कान्हा की अद्भुत नयनाभिराम झांकी देख घाट पर मौजूद हजारों श्रद्धालु निहाल हो गए।
पूरी तरह सख्त दिखा प्रशासन
कान्हा ने कालिया नाग के फन पर सवार होकर नदी की धारा की परिक्रमा की और चारों दिशाओं में दर्शन दिए। इसके बाद अखाड़े के गोस्वामी तुलसीदास के सदस्यों ने बजड़े पर सवार होकर कान्हा की महाआरती की। इस दौरान स्टीमर पर काशी राज परिवार के वंशज महाराज कुंवर अनंत नारायण सिंह भी मौजूद थे। महाराज कुँवर कान्हा की झाँकी को एकटक देखते रह गये। डॉ. अनंत नारायण सिंह को बजड़े पर बैठा देख मौके पर मौजूद लोग हर-हर महादेव के नारे से उनका अभिनंदन करते रहे।
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महाराज भी हाथ जोड़कर लोगों के अभिवादन का उत्तर देते रहे। लीला के समापन पर महाराज कुँवर ने परंपरा के अनुसार लीला समिति के व्यवस्थापक को एक सोने की गिन्नी (सोने का सिक्का) भी दी। इस दौरान गंगा घाट और आसपास के इलाकों में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गये थे। गंगा तट और आसपास के इलाकों में कई थानों की पुलिस, एनडीआरएफ, जल पुलिस तैनात की गयी है। एसीपी, थाना प्रभारी और चौकी प्रभारी गश्त करते रहे।
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