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बक्सवाहा जंगल को बचाने के लिए जुटे 20 राज्यों के पर्यावरण प्रेमी

The livelihood of thousands of families is related to the forest of Buxwaha: Kamlesh Singh

भोपालः मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड के छतरपुर जिले के बक्सवाहा के जंगलों में हीरे का भंडार होने के कारण लगभग ढाई लाख पेड़ काटे जाने की आशंकाओं के चलते देश भर के पर्यावरण प्रेमी लामबंद होते जा रहे हैं। इसी क्रम में लगभग 20 राज्यों के लोग जबलपुर में जुटने वाले हैं, जो मंथन करेंगे और आगे की रणनीति को अंतिम रुप देंगे। बुंदेलखंड सूखा, गरीबी, पलायन, बेरोजगारी के कारण पहचाना जाता है, मगर पिछले दिनों से यह इलाका बक्सवाहा के जंगलों के कारण चचार्ओं में है, क्योंकि यहां के जंगल में 34.2 करोड़ कैरेट हीरे मिलने का अनुमान है और इस इलाके को खनन के लिए एक निजी कंपनी को दिया जाने वाला है। जो क्षेत्र निजी कंपनी को दिया जाना है वह लगभग 382 हेक्टेयर है।

कोरोना महामारी ने सभी को पेड़ और ऑक्सीजन की महत्ता बता दी है, यही कारण है कि जंगल को बचाने और पेड़ों की रक्षा की पैरवी के साथ वृक्षारोपण की बयार से आई हुई है। कहा जा रहा है कि बक्सवाहा के जंगल में 2,15,875 पेड़ हैं। इस उत्खनन को करने के लिए सागौन, केन, बेहड़ा, बरगद, जम्मू, तेंदु, अर्जुन, और अन्य औषधीय पेड़ों सहित जंगल के प्राकृतिक संसाधनों को खत्म करना होगा। इसके साथ ही वन्य जीव, पशु - पक्षी के साथ 22 हजार वर्ष पुरानी शैलचित्र का अस्तित्व भी खतरे में है।

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बक्सवाहा के जंगल को बचाने के लिए देशव्यापी आंदोलन चल रहे हैं। झारखंड के उद्धोश फाउंडेशन के अध्यक्ष कमलेश सिंह ने बताया है कि पिछले दिनों पर्यावरण संरक्षकों के एक समूह ने बक्सवाहा जंगल के निरीक्षण कर धरातल की सच्चाई को जाना और तीन दिवसीय यात्रा की घोषणा की गई, जिसमें देश के करीब 20 राज्यों से पर्यावरण योद्धा नर्मदा बचाओ अभियान के समर्थ गुरु भैया जी सरकार के संरक्षण में जबलपुर में जुटेंगे। तय कार्यक्रम के मुताबिक सभी पर्यावरण योद्धा एक अगस्त को जबलपुर में जुटेंगे और दो अगस्त को बक्सवाहा जंगल का भ्रमण का भ्रमण करेंगे और वहीं पर बैठक होगी, फिर तीन अगस्त को जबलपुर में ही विशाल पर्यावरण संरक्षण पर कार्यशाला होगी। इसमें देश के कई बड़े पर्यावरण विशेषज्ञ हिस्सा लेंगे।