नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव को लेकर केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में प्रचार जोरों पर चल रहा है। बारिश के बावजूद यहां चुनावी पारा चढ़ा हुआ है। राज्य की पांच लोकसभा सीटों में से दो पर मतदान पहले और दूसरे चरण में हो चुका है, जबकि कश्मीर घाटी की तीन सीटों पर चौथे, पांचवें और छठे चरण में मतदान होगा। तीनों सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला होने के आसार हैं। अनुच्छेद 370 और 35ए खत्म होने के बाद राज्य में यह पहला लोकसभा चुनाव है। इस बार घाटी का मिजाज बदला हुआ है और लोगों में अपने प्रतिनिधि चुनने की बेसब्री साफ देखी जा सकती है।
लाल चौक पर रात 11 बजे तक भी रौनक रहने और लोगों के बेखौफ होकर घूमने से न केवल पर्यटकों बल्कि टैक्सी चालकों, ई-रिक्शा चालकों और स्ट्रीट फूड विक्रेताओं को भी राहत मिली है। श्रीनगर, बारामूला, राजौरी-अनंतनाग लोकसभा सीटों के लिए भी उम्मीदवार घर-घर जाकर वोट मांग रहे हैं। श्रीनगर में 13 मई को वोटिंग होनी है, जिसे लेकर प्रचार का शोर 11 मई को थम गया। कश्मीर की तीन सीटों में से किसी पर भी बीजेपी द्वारा उम्मीदवार नहीं उतारे जाने से कुछ लोग बेहद नाराज हैं।
डिप्टी मेयर रह चुके शेख इमरान क्या बोले
कश्मीर के डिप्टी मेयर रह चुके शेख इमरान का कहना है कि बीजेपी की केंद्र सरकार द्वारा घाटी के लोगों के पक्ष में लिए गए सख्त फैसलों से लोगों में उम्मीद जगी थी कि इस बार बीजेपी चुनाव मैदान में अपना उम्मीदवार उतारेगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। बीजेपी के इस फैसले से यहां के लोगों, खासकर व्यापारी वर्ग में काफी नाराजगी है। वह चाहते थे कि बीजेपी श्रीनगर से दावा ठोके लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इमरान ने केंद्र सरकार के फैसलों की सराहना करते हुए कहा कि आज लाल चौक पर जो हलचल हुई, उससे व्यापारियों के चेहरे पर रौनक आ गई है। पोल मार्केट, मुगल मार्केट, रिवर फ्रंट में हुए विकास कार्यों से पर्यटकों की संख्या बढ़ी है। जब से अनुच्छेद 370 हटाया गया है तब से कोई हिंसा या पथराव नहीं हुआ है। देश का भरोसा कश्मीर पर और कश्मीर का भरोसा दिल्ली पर बढ़ा है। इसे टिकाऊ और मजबूत बनाने के लिए जरूरी है कि यहां भी राष्ट्रवाद मजबूत हो। इमरान का कहना है कि जब यहां की हर मस्जिद के बाहर तिरंगा फहराया जाएगा तभी यहां के लोगों के दिलों में राष्ट्रवाद की जड़ें मजबूत होंगी।
वेरीनाग डीडीसी अध्यक्ष सहबाग मीर का कहना है कि पहाड़ी और गुज्जर बकरवाल समुदाय इन चुनावों के नतीजे तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। पहाड़ी समुदाय को अनुसूचित जाति का दर्जा देने के बीजेपी के फैसले से लोग खुश हैं। नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख गुर्जर नेताओं को मैदान में उतारने से वोटिंग पैटर्न पर असर पड़ सकता है। बक्करवाल समुदाय के लोग चाहते थे कि बीजेपी उम्मीदवार चुनाव लड़े।
यह भी पढ़ें-Lok Sabha elections: जब डॉ. राम मनोहर लोहिया ने सिर्फ 472 वोटों से पाई थी जीत
कौन कहां से हैं उम्मीदवार?
जम्मू और कश्मीर में पांच लोकसभा सीटें हैं - दो जम्मू में और तीन कश्मीर में। जम्मू संभाग की दो सीटों उधमपुर और जम्मू पर पहले और दूसरे चरण में वोटिंग हो चुकी है। उधमपुर सीट पर बीजेपी उम्मीदवार और केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह और जम्मू सीट पर जुगल किशोर शर्मा की चुनावी किस्मत ईवीएम में कैद हो गई है।
वहीं, कश्मीर में तीन सीटों पर मतदान होना है। अनंतनाग-राजौरी सीट पर पीडीपी से महबूबा मुफ्ती, नेशनल कॉन्फ्रेंस के मियां अल्ताफ और जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी के जफर इकबाल मन्हास मैदान में हैं। यहां मुकाबला त्रिकोणीय नजर आ रहा है।
श्रीनगर सीट पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के आगा सैयद रुहुल्लाह मेहदी, पीडीपी के वहीद-उर-रहमान पारा, जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी के मुहम्मद अशरफ मीर, डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी के अमीर भट, जम्मू-कश्मीर नेशनल पैंथर्स पार्टी (भीम) के उम्मीदवार हकीकत हैं। सिंह और लोकतांत्रिक पार्टी की रूबीना अख्तर चुनाव मैदान में हैं। इस सीट पर 18 निर्दलीय भी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। इस बीच, बारामूला सीट पर नेशनल कॉन्फ्रेंस से उमर अब्दुल्ला, पीडीपी से फैयाज मीर और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के प्रमुख सज्जाद लोन मैदान में हैं।
उधमपुर और जम्मू लोकसभा सीटों के लिए मतदान क्रमशः 19 और 26 अप्रैल को होगा, जबकि शेष तीन सीटों - श्रीनगर, बारामूला और अनंतनाग-राजौरी क्षेत्र के लिए मतदान क्रमशः 13, 20 और 25 मई को होगा। इन तीनों सीटों पर कांटे की टक्कर है।