लखनऊ: लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण के लिए नामांकन प्रक्रिया की आखिरी तारीख गुरुवार को खत्म हो रही है। इन सीटों पर सबसे दिलचस्प मुकाबला 2019 में मेरठ में हुआ था, जहां बीएसपी के हाजी याकूब बीजेपी के राजेंद्र अग्रवाल से महज 4,729 वोटों से हार गए थे। जिन आठ सीटों (अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा) पर गुरुवार को नामांकन खत्म हो गए, उनकी बात करें तो पिछले चुनाव में सिर्फ अमरोहा में ही हाथी दौड़ा था। बाकी सभी सात सीटों पर कमल खिला। इन आठ सीटों की बात करें तो इस बार बसपा और बीजेपी के उम्मीदवार मैदान में हैं लेकिन कई सीटों पर सपा द्वारा उम्मीदवार बदले जाने के कारण सपा नेता लखनऊ में डेरा डाले हुए हैं।
बसपा और भाजपा के प्रत्याशी मैदान में
पिछली बार समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल का गठबंधन था। इन आठ सीटों में से बसपा के पास पांच, जबकि रालोद के पास दो और सपा ने एक उम्मीदवार खड़ा किया था। अब आरएलडी बीजेपी के साथ है, जबकि एसपी कांग्रेस के साथ चुनाव लड़ रही है। वहीं, बसपा अकेले दम पर सपा, कांग्रेस और बीजेपी की चाल पर पानी फेरने को बेताब है।
इस बार सपा अभी भी प्रत्याशियों को लेकर असमंजस की स्थिति में है जबकि बसपा और भाजपा प्रत्याशी मैदान में हैं। मेरठ में सपा ने पहले दलित प्रत्याशी उतारा, उसका टिकट काटकर विधायक अतुल प्रधान को दे दिया। अब उनका टिकट भी असमंजस में है। गौतमबुद्धनगर में भी सपा ने सबसे पहले डॉ. महेंद्र नागर को टिकट दिया। अब उनका टिकट काटकर राहुल अवाना को दे दिया गया है।
पश्चिम की इन आठ सीटों की बात करें तो 2019 में अमरोहा में बसपा के कुंवर दानिश अली को 6,01,082 वोट मिले थे और उन्होंने बीजेपी के कंवर सिंह तंवर को 63,248 वोटों से हराया था। कुंवर दानिश को 51.41 फीसदी वोट मिले, जबकि कंवर सिंह तंवर को 46 फीसदी वोट मिले। इस बार बसपा ने कुंवर दानिश को छह साल के लिए निष्कासित कर डॉ. मुजाहिद हुसैन को अपना उम्मीदवार बनाया है। दानिश अली को कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाया है, जिनका सपा कार्यकर्ताओं ने विरोध करना शुरू कर दिया है। वहीं बीजेपी ने 2014 में जीते कंवर सिंह तंवर पर ही भरोसा जताया है।
बीजेपी ने बदला उम्मीदवार
वहीं मेरठ लोकसभा सीट बीजेपी का गढ़ मानी जाती रही है। राजेंद्र अग्रवाल यहां से 2009, 2014 और 2019 में चुनाव जीते थे, लेकिन 2019 में बीजेपी ने उनकी जीत का अंतर बहुत कम कर दिया था। वह बीएसपी उम्मीदवार याकूब से महज 4,729 वोटों से जीते थे। इस बार बीजेपी ने अपना उम्मीदवार बदलकर टीवी सीरियल रामायण में राम का किरदार निभाने वाले अरुण गोविल को मैदान में उतारा है।
बागपत में बीजेपी के सत्यपाल सिंह को 5,25,789 वोट मिले और उन्होंने 5,02,287 वोट पाने वाले आरएलडी उम्मीदवार जयंत चौधरी को 23,502 वोटों से हराया। इस बार बीजेपी ने बागपत सीट आरएलडी को दे दी है जो बीजेपी के पास है। आरएलडी ने वहां से राजकुमार सांगवान को मैदान में उतारा है।
पिछले लोकसभा चुनाव में गाजियाबाद सीट से बीजेपी के वीके सिंह ने एसपी और बीएसपी के संयुक्त उम्मीदवार को 5,01,500 वोटों से हराया था। दूसरे नंबर पर रहे सपा के सुरेश बसंल को सिर्फ 4,43,003 वोट मिले। जबकि कांग्रेस की डाली शर्मा को 1,11,944 वोट मिले थे। 2014 में भी वी.के. सिंह ने कांग्रेस के राज बब्बर को 5,67,260 वोटों से हराया। उनकी जगह बीजेपी ने दो बार के विधायक अतुल गर्ग को मैदान में उतारा है। वहीं, कांग्रेस ने एक बार फिर सपा और कांग्रेस के संयुक्त प्रत्याशी के रूप में डाली शर्मा पर भरोसा जताया है।
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बुलंदशहर लोकसभा सीट पर 2019 और 2014 में भी बीजेपी के भोला सिंह का कब्जा था। इस बार भी बीजेपी ने भोला को बुलंदशहर सीट से मैदान में उतारने का फैसला किया है, जबकि बीएसपी ने वर्तमान में नगीना से सांसद गिरीश चंद जाटव को बुलंदशहर से मैदान में उतारने का फैसला किया है।
पिछली बार अलीगढ़ से बीजेपी के सतीश गौतम ने बीएसपी के डॉ. अजीत बालियान को 2,29,261 वोटों से हराया था। जहां सतीश को 6,56,215 वोट मिले थे। जबकि बसपा के अजित को 4,26,954 वोट मिले थे। कांग्रेस प्रत्याशी चौधरी बिजेंद्र सिंह को 50,880 वोट मिले। 2014 में भी सतीश कुमार ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी बसपा उम्मीदवार को 2,86,736 वोटों से हराया था।