नई दिल्ली: देश की आर्थिक राजधानी मुंबई को मायानगरी, मेहनतकशों की नगरी कहा जाता है। इस नगरी के बारे में यह भी कहा जाता है कि यह कभी रुकती नहीं। समय बर्बाद करना यहां के लोगों की दिनचर्या का हिस्सा नहीं है। इस नगरी के बारे में यह कहा जाता है कि यह नगरी निष्क्रिय लोगों को भी सक्रिय तथा आलसियों को कर्मशील बनाती है। इतना सब कुछ होने के बाद भी देश की आर्थिक राजधानी मुंबई एक नहीं अनेक अतिक्रमणों का भार झेलते हुए खड़ी है।
मुंबई की तुलना पाक अधिकृत कश्मीर से करने के मुद्दे पर बिफरी शिवसेना ने मुंबई मनपा के अतिक्रमण विभाग के दस्ते की मदद ने फिल्म अभिनेत्री कंगना राणावत के पॉली हिल स्थित कार्यालय में बुलडोजर चलवाकर अपनी खुन्नस तो निकाल ली, लेकिन मुंबई मनपा के अतिक्रमण विभाग की ओर से गई कार्रवाई के बाद यह सवाल उठना स्वाभाविक ही है कि अतिक्रमण को ध्वस्त करने में मुंबई मनपा एक समान व्यवहार नहीं करती।
मुंबई को पाक अधिकृत कश्मीर कहने पर बौखलायी शिवसेना ने कंगना राणावत के कार्यालय को ध्वस्त करने में जितनी तेजी दिखायी, अगर वहीं तेजी मुंबई मनपा मुंबई के विभिन्न क्षेत्रों में किए गए अतिक्रमणों को ध्वस्त करने में दिखायी होती तो आज शायद मुंबई अतिक्रमण मुक्त शहरों में पहले स्थान पर होती, लेकिन मुंबई मनपा का बुलडोजर उन्हीं पर चलता है जो मनपा की, सरकार की नाकामियों को उजागर करता है। जो सरकार की हर बात पर हां में हां मिलाकर उसे प्रसन्न करते रहते हैं, उन पर कोई कार्रवाई नहीं होती। जिस मुंबई मनपा ने नोटिस देने के 24 घंटे पूरे होने से पहले ही कंगना के कार्यालय को मलबे में तब्दील कर दिया, उसी मुंबई में न जाने कितने अवैध निर्माण आज भी सिर तान कर खड़े हैं।
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मुंबई में वर्तमान दौर में अगर सर्वेक्षण किया जाए तो यह सच सामने आएगा कि मुंबई के हर गली में कम से कम एक अवैध जरूर होगा। आखिर इतने दिनों से मुंबई अपने साथ हजारों, लाखों अतिक्रमण को लेकर कैसे जी रही है। क्या कभी मुंबई मनपा के अतिक्रमण विभाग ने यह जानने की कोशिश नहीं कि चलो इस बात का पता लगाया जाए कि मुंबई कितने अवैध निर्माण के बोझ के तले दबी हुई है। कंगना राणावत के ऑफिस को गिराने में जिस तरह की तेजी मनपा के अतिक्रमण विरोधी दल ने दिखायी, वैसी तेजी अगर हर दिन, हर विभाग की ओर दिखायी गई हो तो मुंबई को शंहाई बनाने का पिछले कई वर्षों से देखा जा रहा सपना न जाने कब पूरा हो गया होता। मुंबई में आलम यह है कि यहां कदम-कदम पर अवैध निर्माण हैं, तो फिर मनपा के अतिक्रमण विरोधी दस्ते का ध्यान मुंबई तथा उससे संबंध उपनगरों में जगह-जगह स्थित अतिक्रमणों की ओर क्यों नहीं जाता।
हर वर्ष अतिक्रमण हटाने के लिए मुंबई में आभासी शिकायत प्रणाली विकसित की जाती है। इस प्रणाली के अंतर्गत 1 मार्च, 2016 से 8 जुलाई, 2019 तक 52, 154 अवैध निर्माण कार्य के बारे में कार्रवाई करने की शिकायत दर्ज करायी गई, लेकिन कार्रवाई सिर्फ 5461 अवैध निर्माणों के खिलाफ ही की गई। अवैध निर्माण की शिकायत के बाद भी अतिक्रमण विभाग की ओर से बहुत कम अवैध निर्माणों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई, यह बहुत बड़ा सवाल है। कहा तो यह भी जा रहा है कि मुंबई मनपा चेहरा देखकर कार्यवाही करती है। राज्य में सत्तारुढ़ सरकार तथा मनपा में सत्तारुढ़ सत्ता की कमान एक ही राजनीतिक दल के हाथ में हो तो यह और भी आसान हो जाता है कि किस पर कार्रवाई की जाए और किस पर नहीं।
यह भी पढ़ें-किसान बिल को लेकर राज्यसभा में हंगामा करने वाले आठ सांसद निलंबितकंगना राणावत के कार्यालय धवस्तीकरण में शिवसेना की ओर से यही रणनीति अपनायी गई है। मुंबई महानगरपालिका को अवैध निर्माण कार्य के संदर्भ में हर वर्ष 150000 से अधिक शिकायतें दर्ज कारायी जाती हैं, उनमें से अधिक से अधिक 20 प्रतिशत शिकायतों पर ही कार्रवाही क्यों होती है, यह सवाल अब आम जनता की ओर से उठाया जाने लगा है। एक के बाद एक करके अवैध निर्माण होते रहते हैं और मुंबई मनपा का संबंधित विभाग चैन की नींद सोता रहता है। अवैध निर्माण कार्य जारी रहते समय मनपा की ओर से कार्रवाई न किए जाने के पीछे कोई खास कारण है, यह जांच का विषय है। इस बात की तफ्तीश क्यों नहीं की जाती कि मुंबई शहर में अनधिकृत निर्माण कार्य करने वाले बिल्डर कौन-कौन से हैं। क्या मनपा अधिकारियों को विश्वास में लेकर अवैध निर्माण किए जाते हैं। कुछ तुम खाओ, कुछ हम खाए, की तर्ज पर कहीं मुंबई में अनधिकृत निर्माण कार्य तो नहीं किया जा रहा, अगर ऐसा है तो इसकी जानकारी सरकार तक क्यों नहीं पहुंचती।
मुंबई में अब तक अवैध निर्माण कार्य के मुद्दे पर कभी बहुत ज्यादा बहस नहीं छिड़ी है, न तो मनपा स्तर पर, न तो गृह निर्माण विभाग की ओर से इस बारे में कभी कोई मुद्दा उठाया गया। सरकार और विपक्ष दोनों ने ही इस मुद्दे पर खामोश रहना ही बेहतर समझा है, ऐसी स्थिति में मुंबई को अवैध निर्माणों से मुक्ति कैसे मिलेगी, इस बारे में गंभीरता से सोचा जाना चाहिए। निजी तौर पर निर्माण करने वाले बिल्डर निर्माण कार्य में कितनी गड़बड़ियां करते होंगे, इस बारे में शायद ही कोई ध्यान देता होगा। अवैध निर्माण ध्वस्तीकरण को लेकर मुंबई मनपा की ओर से अपनायी जा रही नीति अगर राज्य की अन्य महानगरपालिका तथा गृह निर्माण संस्थाओं की ओर से अपनायी जा रही होगी तो यह मुद्दा और भी गंभीर हो जाएगा। मुंबई में कई ऐसे क्षेत्र हैं, जहां अवैध निर्माण खुलेआम हो रहे हैं, ऐसे में राज्य की जनता की ओर से यह सवाल उठाया जा रहा है कि जब मनपा की ओर से अवैध निर्माण को लेकर इस तरह की दोहरी नीति अपनायी जा रही है तो फिर अनधिकृत निर्माण का सिलसिला थमेगा कैसे।
यह भी पढ़ें-गृह मंत्री ने कहा- भारत के कृषि क्षेत्र में विकास के अभूतपूर्व युग की शुरुआतसरकार किसी की भी हो, जब तक अवैध निर्माण कार्य पर पूरी तरह से अंकुश नहीं लगेगा तथा अवैध निर्माण को ध्वस्त करने में दोहरी नीति का त्याग नहीं किया जाएगा, तब तक देश की आर्थिक राजधानी अवैध निर्माण के दंश से मुक्त नहीं होगी। मुंबई में कई क्षेत्र ऐसे हैं, जिनकी पहचान ही अतिक्रमणग्रस्त क्षेत्र में हो चुकी है, लेकिन ऐसे अतिक्रमणग्रस्त क्षेत्रों में कभी मनपा का बुलडोजर नहीं चलता। मुंबई शहर तथा उससे संबंद्ध उपगनरों में आलम यह है कि वहां पर वैध तथा अवैध निर्माण की बातें तो खूब होती हैं, लेकिन कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं होता। मुंबई महानगरपालिका का दावा है कि वह हर साल अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई के लिए करोड़ों रूपए खर्च करती है, लेकिन कार्रवाई नहीं के बराबर होती है।
मुंबई महानगरपालिका ने गैर कानूनी निर्माण कार्य के संदर्भ में अभिनेत्री कंगना राणावत को नोटिस भेजी और 24 घंटे के अंदर जबाव मांगा, जिस वक्त कंगना के उस इमारत, जिसमें अवैध निर्माण हुआ है, वहां नोटिस चिपकाई गई, उस वक्त कंगना मुंबई में नहीं थीं। कंगना राणावत के मुंबई पहुंचने से पहले ही मनपा के अतिक्रमण विभाग ने कंगना राणावत के कार्यालय पर बुलडोजर चलवा दिया। कंगना राणावत ने अपने कार्यालय में तोड़फोड़ करने के मामले में मुंबई मनपा पर 2 करोड़ रुपए की नुकसान भरपाई देने का दावा किया है। मुंबई में न जाने कितने ऐसे अवैध निर्माण हैं, जिसकी जानकारी मनपा को तो हैं, उस पर अब तक बुलडोजर का प्रहार क्यों नहीं होता, ऐसा सवाल जनता के बीच से अब काफी प्रखरता से उठाया जा रहा है।
यह भी पढ़ें-राजनाथ सहित शीर्ष मंत्रियो ने राज्यसभा में विपक्ष के व्यवहार को बताया ‘शर्मनाक’कंगना राणावत ने राज्य सरकार के विरोध में मुंह खोला तो मनपा के अतिक्रमण विरोधी दस्ते ने पलक झपकते ही कंगना राणावत के कार्यालय को ध्वस्त कर दिया, लेकिन इसी मुंबई में फिल्म तथा अन्य क्षेत्रों जुड़े कई ऐसे चर्चित चेहरे हैं, जिन्होंने अपने घर में अपनी मर्जी से अवैध निर्माण कराए हैं, लेकिन वहां पर अब तक कभी बुलडोजर नहीं पहुंचा। दरअसल, मुंबई मनपा पर पिछले कई वर्षों से शिवसेना की सत्ता है। शिवसेना की आंखों के सामने देश की आर्थिक राजधानी मुंबई अतिक्रमणों, अवैध निर्माणों की राजधानी कब बन गई किसी तो पता ही नहीं चला। कंगना राणावत के कार्यालय पर बुलडोजर चलवा कर शिवसेना ने यह साफ कर दिया कि न तो वह दूध की धुली है और न ही सब के लिए एक नीति का अनुपालन करने वाली है राजनीतिक पार्टी है, वह विरोध में बोलने वालों की आवाज को बुलडोजर से दबाने में देर नहीं लगाती और जो उसकी प्रशंसा से कशीदें गाता है, उससे कहती जाओ तुम्हें माफ कर दिया।
मेरी प्रशंसा करोगे तो छोड़ देंगे, विरोध में बोलोगे को तोड़ देंगे, ऐसी मानसिकता की वजह से हर दिन मुंबई में अवैध निर्माण निर्माण का क्षेत्र बढ़ता जा रहा है, वाबजूद इसके मुंबई मनपा का बुलडोजर सिर्फ 20 प्रतिशत अवैध निर्माण पर ही क्यों चलाया जा रहा है, इस सवाल का जबाव हर उस व्यक्ति की ओर से पूछा जाना चाहिए जो मुंबई को शंघाई बनाने का दावा करते रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2019 में देवेंद्र फडणवीस के मुख्यमंत्रित्व काल में मुंबई के एक लाख से भी ज्यादा अनधिकृत निर्माण कार्यों के बारे में ऑनलाइन शिकायतें दर्ज करायी थीं, लेकिन उन शिकायतों में से कुछ शिकायतों के खिलाफ कार्रवाई की गई, वह भी मुख्यमंत्री द्वारा बार-बार निर्देश देने पर ही, इससे स्पष्ट होता है कि मुंबई मनपा अवैध निर्माण को संरक्षण देती रही है, लेकिन मनपा में सत्तासीन लोगों की यह विचारधारा तब बदल जाती है, जब कोई उनकी सरकार या मनपा के कामकाज पर सवालिया निशान उठाता है।
सुधीर जोशी, महाराष्ट्र