मथुराः करीब आठ माह पूर्व भड़काऊ भाषण देने के आरोप में गोरखपुर के डॉ. कफील को बीती रात मथुरा जेल से रिहा कर दिया गया है। इस रिहाई के लिए उन्होंने न्यायिक व्यवस्था का शुक्रगुजार तथा योगी सरकार पर प्रताड़ना का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि मैं उत्तर प्रदेश के एसटीएफ को भी धन्यवाद दूंगा, जिन्होंने मुंबई से मथुरा लाते समय मुझे एनकाउंटर में मारा नहीं।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद डॉक्टर कफील खान को मथुरा जेल से रिहा कर दिया गया है। मंगलवार देर रात रिहाई को लेकर चला ड्रामा खत्म हो गया। 1 सितंबर को हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर की बेंच ने कफील पर अलीगढ़ प्रशासन की ओर से लगाए गए एनएसए को रद्द करते हुए डॉक्टर कफील को तत्काल जेल से ज़मानत पर रिहा करने का आदेश दिया गया था। हालांकि देर शाम तक अलीगढ़ ज़िला प्रशासन की ओर से रिहाई संबंधी कोई ऑर्डर मथुरा जेल नहीं भेजे जाने से रिहाई अटकी हुई थी।
मध्य रात्रि में मथुरा जेल पहुंचे रिहाई के ऑर्डर के बाद डॉ कफ़ील को रिहा किया गया। हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान मंगलवार सुबह ही रिहाई का आदेश कर दिया था।
रिहाई के समय मीडिया के समक्ष डा. कफील ने मथुरा जेल प्रशासन और उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पर जमकर निशाना साधा उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने एक झूठा बेसलेस केस मेरे ऊपर थोपा। बिना बात के ड्रामा करके केस बनाए गए और 8 महीने तक इस जेल में रखा। इस जेल में मुझे पांच दिन तक बिना खाना, बिना पानी दिए मुझे प्रताड़ित किया गया। मैं उत्तर प्रदेश के एसटीएफ को भी धन्यवाद दूंगा, जिन्होंने मुंबई से मथुरा लाते समय मुझे एनकाउंटर में मारा नहीं। वहीं कफील ने कहा कि सभी 138 करोड़ देशवासियों का धन्यवाद और उन लोगों का धन्यवाद जिन्होंने संघर्ष में मेरा साथ दिया।’ मैं जुडिशरी का बहुत शुक्रगुजार हूं, जिन्होंने इतना अच्छा ऑर्डर दिया है। कफील ने आशंका जताई है कि यूपी सरकार उन्हें किसी और मामले में फंसा सकती है।
रिहाई से पहले चला ड्रामा
इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के घंटों बाद भी डॉक्टर कफील की मथुरा जेल से रिहाई देर शाम तक नहीं हो सकी थी। कफील नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ पिछले साल अलीगढ़ में भड़काऊ भाषण देने के आरोप में कार्रवाई हुई थी। राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत करीब साढ़े 7 महीने से वह मथुरा जेल में बंद थे। आदेश के बाद कफील के परिजन उनकी रिहाई के लिये मथुरा जेल पहुंचे लेकिन, अधिकारियों ने आदेश न मिलने का हवाला देते हुए उन्हें रिहा करने से इनकार कर दिया था।
डा. कफील का सफर
12 दिसंबर 2019 शाम को 46 वर्षीय डॉ. कफील ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर छात्रों के बीच अपना संबोधन किया था। इसके बाद एएमयू में हजारों छात्रों ने प्रदर्शन किया था। दिसंबर महीने के अंत में थाना सिविल लाइन में डॉ. कफील के खिलाफ लोक व्यवस्था भंग करने, भड़काऊ संबोधन करने, कानून और व्यवस्था भंग करने आदि धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया गया।
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