लखनऊः आजकल डेंगू (dengue) व बुखार पूरे यूपी में लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है, इसलिए इस बीमारी के बारे में जागरूकता जरूरी है। सबसे पहले तो डेंगू छूआछूत की बीमारी नहीं है, यह मच्छरों के काटने से होती है। ऐसे में बीमार मरीज की सेवा करने में कोई हर्ज नहीं। इसके साथ ही अगर आपको बार-बार बुखार आता है या तेज बुखार आ रहा हो तो खुद से कोई दवा न लें, बल्कि डाक्टर की सलाह से दवा खाएं और हो सके तो खून की जाच अवश्य करवाएं।
बिना चिकित्सकीय परामर्श के न लें कोई दवा
डेंगू बुखार एक मच्छर जनित और शरीर को दुर्बल करने वाला रोग है। इसके अलावा जो लोग डेंगू वायरस से दूसरी बार संक्रमित हो जाते हैं, उनमें गंभीर बीमारी विकसित होने की संभावना सबसे अधिक रहती है। यह काफी अधिक जोखिम भरा होता है। डेंगू बुखार में तेज बुखार, शरीर पर दाने, सिर दर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। कुछ गंभीर मामलों में रक्तस्राव और सदमा जैसे गंभीर लक्षण भी दिखाई देते है, जो इस बात का संकेत है कि पीड़ित का जीवन खतरे में हैं।
मच्छरों के काटने से फैलता है डेंगू
डेंगू बुखार चार विषाणुओं में से किसी एक के कारण होता है। ये विषाणु उन विषाणुओं से संबंधित होते हैं, जो वेस्ट नाइल संक्रमण और पीत ज्वर का कारण बनते हैं। संक्रमित व्यक्ति के आस-पास रहने से डेंगू नहीं फेलता, जबकि यह कुछ विशेष किस्म के मच्छरों के काटने से फैलता है। जब मच्छर काटता है, तो यह वायरस उस व्यक्ति के रक्तप्रवाह में प्रवेश कर जाता है और संक्रमण का कारण बनता है। डेंगू बुखार के लक्षण आमतौर पर संक्रमण के चार से छह दिन बाद दिखाई देना शुरू करते हैं और इनके 10 दिनों तक रहने की संभावना रहती है। गंभीर सिर दर्द महसूस होना, आँखों में दर्द, जोड़ों और मांसपेशियों में तेज दर्द, थकान लगना, जी मिचलाना व उल्टी आना, दस्त लगना, त्वचा पर लाल चकत्ते दिखना, जो बुखार आने के दो से पांच दिन बाद दिखाई देते हैं।
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शहर में पिछले महीनों की तुलना में पिछले 60 दिनों में बुखार के मामलों में 40 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है, विशेषज्ञों ने लोगों को मच्छरों के प्रति सावधानी बरतने, स्वच्छता बनाए रखने और बीमार पड़ने पर स्वयं से दवा लेने से बचने की सलाह दी है। महानगर के भाऊराव देवरस (बीआरडी) सिविल अस्पताल और लोकबंधु अस्पताल में भी रोजाना करीब 150 से 250 मरीज पहुंच रहे हैं। पहले, बलरामपुर अस्पताल में यह संख्या प्रतिदिन लगभग 600 थी, उसके बाद केजीएमयू में 300 थी। इसी तरह बीआरडी और लोकबंधु अस्पताल में रोजाना 130 से 170 मरीज आते थे। इसके अलावा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) पर भी प्रतिदिन 10-15 मरीज वायरल बुखार से पीड़ित पहुंच रहे हैं।
ठंड के मौसम में अधिक फैलते हैं फ्लू के वायरस
केजीएमयू में फैमिली मेडिसिन यूनिट के प्रभारी प्रोफेसर नरसिंह वर्मा का कहना है कि फ्लू के वायरस ठंड के मौसम में अधिक आसानी से फैलते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इस मौसम में सर्दी-जुकाम जैसे वायरस होते हैं और हमारा इम्यून सिस्टम कमजोर होता है। फ्लू से बचाव के लिए बार-बार हाथ धोना चाहिए और मास्क पहनना चाहिए। डेंगू से बचाव के लिए मच्छरों से सुरक्षा सुनिश्चित करने के प्रयास किए जाने चाहिए।
लोकबंधु अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक, अजय शंकर त्रिपाठी ने कहा कि लोग अक्सर यह समझे बिना बुखार के लिए ओवर-द-काउंटर गोलियां लेते हैं कि एंटीबायोटिक दवाओं के अत्यधिक उपयोग से प्रतिरोध हो सकता है, जिससे संक्रमण का इलाज करना कठिन हो जाता है। किसी को भी बुखार होने पर डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए।
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