लखनऊ: हिंदू धर्म की अधिकतर शादीशुदा महिलाएं या कुंवारी महिलाएं पति या मंगेतर के लिए करवा चौथ का व्रत रखती हैं। पुरानी मान्यता है कि इस व्रत को रखने से पति की उम्र लंबी होती है हालांकि ये बात पूरी तरह से अंधविश्वास है। उम्र बढ़ाने से इस व्रत का कोई लेना-देना नहीं है। कई महिलाएं दूसरों की देखा-देखी शौक के चलते व्रत रखती हैं।
व्रत के नियम काफी ज्यादा कठिन हैं और महिलाओं को पूरे दिन भूखा-प्यासा रहकर ये व्रत रखना पड़ता है। प्री हेल्थ कंडीशन (Pre health conditions) को ध्यान में रखते हुए हेल्थ एक्सपर्ट कुछ महिलाओं को ये व्रत न रखने की सलाह देते हैं...
पीरियड्स के दौरान कभी भी कोई व्रत न रखें-
इस दौरान पहले से शरीर में एनर्जी नहीं होती है जो शारीरिक स्थिति को और भी बदतर बनाता है। पीरियड्स के दौरान अगर आपने उपवास करने पर आपको कमजोरी, सिरदर्द, चिड़चिड़ापन हो सकता है। हेल्थ केयर एक्सपर्ट के अनुसार, पीरियड्स के दौरान खुद को डिहाइड्रेट( बिना पानी पिए) रखना ऐंठन और परेशानी का कारण बन सकता है। इस अवधि के दौरान, आप हार्मोनल उतार−चढ़ाव महसूस करते हैं। पानी की कमी के कारण आपका पाचन तंत्र प्रभावित हो सकता है और कब्ज, गैस और सूजन का कारण बन सकता है। आपकी अवधि के दौरान एक दिन में कम से कम 9 से 10 गिलास पानी पीने से सूजन से लड़ने में मदद मिलती है क्योंकि यह आपके सिस्टम से अपशिष्ट को बाहर निकालता है।
ऐलोपैथी चिकित्सक के मुताबिक, यदि किसी महिला को डायबिटीज की शिकायत है तो उन्हें ये व्रत नहीं रखना चाहिए। पूरे दिन भोजन और जल ग्रहण किए बगैर रहने से वे हाइपोग्लाइसेमिया की शिकार हो सकती हैं।
यदि किसी महिला को हाई ब्लड प्रेशर या लो ब्लड प्रेशर की समस्या है तो उन्हें भी व्रत न रखने की सलाह दी जाती है।।बीपी के मरीज को व्रत रखने से परहेज करना चाहिए, क्योंकि लंबे समय तक भूखा रहने से बीपी में उतार-चढ़ाव हो सकता है। बीपी का कंट्रोल पूरी तरह से दवाओं और डाइट पर निर्भर होता है।
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गंभीर रूप से बीमार किसी भी महिला को ये व्रत बिल्कुल नहीं रखना चाहिए। ऐसे में अगर किसी महिला का इलाज चल रहा है या वो किसी तरह की दवा का सेवन कर रही हैं तो उन्हें भी व्रत नहीं रखना चाहिए। ऐसा करना सेहत के साथ खिलवाड़ हो सकता है।
गर्भ में पल रहे बच्चे और मां दोनों के लिए घंटों तक भूखा रहना सही नहीं है। इसलिए गर्भवती महिलाओं को भी करवा चौथ का व्रत न रखने की सलाह दी जाती है। नवजात शिशु को स्तनपान कराने वाली महिलाएं भी ऐसा करने से बचें। ऐसी महिलाओं को थोड़े-थोड़े अंतराल के बाद एक तय मात्रा में कैलोरी या पोषक तत्वों की जरूरत होती है।
खराब हेल्थ कंडीशन या किसी बीमारी के लक्षण दिखने पर व्रत रखने से पहले महिलाओं को एक बार डॉक्टर्स से सलाह जरूर लेनी चाहिए। प्री हेल्थ कंडीशन के बारे में जानते हुए डॉक्टर आपको जोखिम उठाने की राय कभी नहीं देंगे। अगर डॉक्टर्स आपको व्रत रखने की अनुमति देते हैं तो वे इसके साथ कुछ सावधानियां बरतने की भी बात जरूर कहेंगे।
व्रत रखने से एक दिन या कुछ घंटों पहले अपनी डाइट का विशेष ध्यान रखें। हाई फाइबर और प्रोटीन वाला खाना खाएं। शरीर में पानी की कमी न होने दें। कॉफी या कैफीन लेने से बचें। फ्राई फूड खाने से बचें। ज्यादा मात्रा में नमक या शुगर का सेवन न करें।
निर्जला व्रत -
इसमें दिन भर न कुछ खाना होता है, न पीना। सेहत की दृष्टि से इस तरह का व्रत किसी को नहीं रखना चाहिए। हां, अगर इस तरह का व्रत रखने के आप आदी हैं तो बात अलग है। दरअसल, इस तरह के व्रत से कार्डिएक अरेस्ट (दिल का फेल हो जाना) या हाइपोग्लाइसीमिक (शुगर लेवल बहुत गिर जाना) अटैक होने की आशंका रहती है। इसके अलावा इस तरह के व्रत रखने वालों में ज्यादा कार्बोहाइड्रेट या स्टार्च वाली चीजें खाने की तलब होती है क्योंकि ये हमारे शरीर को चलाने के लिए ईंधन का काम करते हैं। दिन भर भूखा-प्यासा रहने से शरीर शाम में ज्यादा रिच फूड की मांग करता है। अगर आप रिच फूड खाएंगे तो इससे डी-हाइड्रेशन यानी शरीर में पानी की कमी हो सकती है।