नई दिल्लीः सनातन धर्म में महाशिवरात्रि का बहुत महत्व है। इस दिन विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा करने से समस्त संकटों से मुक्ति मिल जाती है। साथ ही भक्त की सभी मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं। महाशिवरात्रि हर वर्ष फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को पड़ती है। महाशिवरात्रि के दिन माता पार्वती और भगवान शिव का विवाह हुआ था। मान्यता के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन भगवान भोले नाथ की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने पर उनकी कृपा प्राप्त होती है। साथ ही सुख-समृद्धि भी आती है। समस्त प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है। यूं तो प्रत्येक दिन सनातनी को भगवान शिव की आराधना करनी चाहिए, किन्तु महाशिवरात्रि भगवान शिव की आराधना का विशेष दिन है।
महाशिवरात्रि का शुभ मुहूर्त
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस साल महाशिवरात्रि 18 फरवरी को पड़ रही है। फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 18 फरवरी को रात 8 बजकर 2 मिनट से शुरू होगी, जो 19 फरवरी को शाम 4 बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगी।
महाशिवरात्रि व्रत का महत्व
महाशिवरात्रि के दिन व्रत कर विधिपूर्वक भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए। जो लोग विधिपूर्वक भगवान शिव की आराधना नहीं कर सकते हैं वह केवल एक लोटा जल मात्र भगवान पर अर्पित कर पुण्य अर्जित कर सकते हैं। इसका यह कारण है कि भगवान शिव को जल धारा अतिप्रिय है। मान्यता है कि महाशिवरात्रि शिव और शक्ति के मिलन की रात होती है। इस दिन गंगा जल से शिव का अभिषेक करने से दुखों से छुटकारा मिल जाता है। महाशिवरात्रि पर चारों प्रहर में भगवान शिव की पूजा करने से व्यक्ति के समस्त कष्टों का क्षय हो जाता है और उसे शिवलोक की प्राप्ति होती है।
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महाशिवरात्रि के दिन इन महामंत्रों के जप से होती हैं सभी मनोकामनाएं पूरी
ॐ शिवाय नमः
ॐ सर्वात्मने नमः
ॐ त्रिनेत्राय नमः
ॐ हराय नमः
ॐ इन्द्रमुखाय नमः
ॐ श्रीकंठाय नमः
ॐ वामदेवाय नमः
ॐ तत्पुरुषाय नमः
ॐ ईशानाय नमः
ॐ अनंतधर्माय नमः
ॐ ज्ञानभूताय नमः
ॐ अनंतवैराग्यसिंघाय नमः
ॐ प्रधानाय नमः
ॐ व्योमात्मने नमः
ॐ युक्तकेशात्मरूपाय नमः।
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