भोपाल: मध्य प्रदेश में हो रहे तीन विधानसभा क्षेत्रों और एक लोकसभा के उपचुनाव का प्रचार का रंग गहरा रहा है, लेकिन कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की गैरहाजरी चचार्ओं का विषय बनी हुई है। सवाल यही पूछा जा रहा है क्या दिग्विजय सिंह खुद प्रचार करने नहीं जा रहे अथवा यह पार्टी की रणनीति का हिस्सा है? राज्य में तीन विधानसभा क्षेत्रों जोबट पृथ्वीपुर और रैगांव के साथ ही खंडवा संसदीय क्षेत्र में उपचुनाव हो रहा है। यह चारों उपचुनाव निर्वाचित प्रतिनिधियों के निधन के कारण हो रहा है। इन चुनावों को जीतने के लिए दोनों ही दल पूरा जोर लगाए हुए हैं और प्रचार में ताकत भी झोंक चुके हैं।
भाजपा में चुनाव प्रचार की कमान पूरी तरह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा संभाले हुए हैं। इन दोनों नेताओं की हर रोज औसतन आधा दर्जन से ज्यादा सभाएं या कार्यक्रम हो रहे हैं, तो वहीं कांग्रेस की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष कमल नाथ ही सक्रिय नजर आ रहे हैं। खंडवा संसदीय क्षेत्र में प्रचार की कमान पूर्व प्रदेषाध्यक्ष अरुण यादव संभाले हुए है। प्रचार में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की गैर हाजिरी चर्चा का विषय बनी हुई हैं।
राज्य की शिवराज सिंह चौहान सरकार हो या संगठन पर लगातार हमले बोलने वाले दिग्विजय सिंह की वर्तमान दौर में चुप्पी सवाल तो खड़े कर ही रही है। वहीं उनका उपचुनाव क्षेत्रों में प्रचार के लिए न जाना अबूझ पहेली बना हुआ है। पृथ्वीपुर में कांग्रेस उम्मीदवार नितेंद्र राठौर का नामांकन पत्र भरवाने सिह जरूर पहुंचे थे, उसके बाद अब तक वे प्रचार करते नजर नहीं आए। कांग्रेस के प्रदेश संगठन प्रभारी चंद्र प्रभाष शेखर ने चर्चा के दौरान कहा कि , पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का आगामी दिनों में खंडवा संसदीय क्षेत्र में दौरा है। वे यहां तीन जनसभाएं लेने वाले है।
कांग्रेस पार्टी में प्रचार के लिए नेताओं को भेजने की परंपरा है। एक तो उम्मीदवार की मांग पर नेता को भेजा जाता है, दूसरा नेता को अगर लगता है कि संबंधित क्षेत्र में उसका प्रभाव है, तो वह खुद पहल करना है। इस पर पार्टी का संगठन फैसला लेता है। भाजपा की ओर से लगातार दिग्विजय सिंह की गैर हाजिरी को लेकर तंज कसे जा रहे है। इतना ही नहीं, भाजपा नेताओं के निशाने पर दिग्विजय सिंह का एक दशक का शासन काल भी है। लोगों को सड़क और बिजली की हालत की याद दिलाई जा रही है।
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वहीं कांग्रेस के एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि, दिग्विजय सिंह हमेशा भाजपा और उसके हिंदुत्व के साथ राजनीति में धर्म के उपयोग पर सवाल उठाते है, मगर जब वे भोपाल से प्रज्ञा ठाकुर के खिलाफ चुनाव लड़े, तो उन्होंने बाबाओं की फौज लगा दी। सिंह व्यक्तिगत तौर पर नफा-नुकसान जानते है और उसी तरह से चाल चलते है। उनके बयान यह बताते है कि उनके लिए पार्टी कहीं पीछे है।
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