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Chhath Puja 2022: अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने घाटों पर उमड़े श्रद्धालु

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हरिद्वार: पूर्वांचल और मिथिलांचल का प्रमुख सूर्योपासना का पर्व छठ की छटा पूरे देश में छाई हुई है। अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को पहला अर्घ्य रविवार को दिया गया। अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को जल देने के लिए हजारों की संख्या में महिला-पुरूष गंगा के घाटों पर जुटे, जहां उन्होंने महिलाओं ने गंगा में खड़े होकर विभिन्न प्रकार के फल व पूजा की सामग्री हाथों में लेकर भगवान सूर्य को जल दिया। मान्यता है कि सूर्य को सही विधि और नियम से जल चढ़ाया जाए तो किस्मत सूरज के समान चमक उठती है।

बताते चलें कि कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि यानी रविवार को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया गया। 31 अक्टूबर को उगते सूरज को व्रती जल चढ़ाकर अपना व्रत पूरा करेंगे। छठ पर्व में तीसरा दिन बहुत महत्वपूर्ण होता है। इसमें डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के दिन कई शुभ योग का संयोग बना। जिसके प्रभाव से व्रती को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होगी। आज रवि, सर्वार्थ सिद्धि योग बना। रवि योग में सूर्य की पूजा करने से जीवन में मान-सम्मान में वृद्धि होती है, बल, बुद्धि, धन का वरदान प्राप्त होता है।

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सांयकाल गंगा तट पर व्रती महिलाओं ने गंगा में खड़े होकर स्नान किया फिर गेहूं के आटे और गुड़, शक्कर से बने ठेकुए और चावल से बने भुसबा, गन्ना, नारियल, सुथनी, शकरकंदी, सिंदूर, केला, नाशपाती, शहद, पान, बड़ा नींबू, सुपारी, कैराव, कपूर, मिठाई, चंदन, हल्दी, सेब, फल-फूल बांस से बनी डलिया या सूप में सजाया। इसके साथ ही बांस के सूप में दीपक प्रज्वलित कर तांबे के लौटे में जल लेकर उसमें लाल चंदन, लाल पुष्प, अक्षत डालकर सूर्य को अर्घ्य दिया और परिवार में सुख-समृद्धि की कामना की। सोमवार को उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ तीन दिनों से चला आ रहा छठ पर्व सम्पन्न होगा।

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