देश फीचर्ड दिल्ली

देविका ने देखा था 26/11 का खौफनाक मंजर, अब पीएम मोदी से मदद की उम्मीद

devika-01_475-min

नई दिल्लीः देश की आर्थिक राजधानी में हुए 26/11 के आतंकवादी हमले के खौफनाक मंजर को 14 साल हो गए है। वह डरावना दृश्य चौबीस घंटे सामने रहता है। उस घटना के बाद समस्याओं का पहाड़ परिवार पर टूट पड़ा। पिता का कारोबार खत्म हुआ। उसके बाद जैसे-तैसे जिंदगी को आगे बढ़ाया। सरकार के पीछे-पीछे दौड़कर अंत में कुछ सहायता मिली लेकिन वे न के बराबर मिली। लेकिन जिंदगी अभी भी पटरी पर नहीं लौटी। अब आखरी उम्मीद देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से है।

ये भी पढ़ें..यूपी में “संकल्प अटल हर घर जल“ जागरूकता अभियान शुरू, मंत्री ने गिनाएं योजना के लाभ

देविका रोटावन वह नन्ही गवाह है जिसने 26/11 का मौत का तांडव देखा था और उसका शिकार भी हुई थी। घटना में उसके पैर में गोली लगी थी। देविका अब 24 साल की है। उसका कहना है, “प्रधानमंत्री 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' की बात करते हैं, तो वह मेरी तकलीफ को भी जरूर समझेंगे।” बात-चीत में देविका ने बताया कि आंख बंद होने से पहले उसने लाशों के ऊपर से गुजरते हुए व लोगों पर अंधाधुंध गोलियां चलाने वाले आंतकी अजमल कसाब को देखा था। वह बेकसूर लोगों को मार रहा था। गोली लगने के बाद वह बेहोश हो गई। उस समय उसकी उम्र नौ वर्ष 11 महीने थी।

वहीं इत्तेफाक की बात यह रही कि जिस अस्पताल (सेन्ट जॉर्ज हॉस्पिटल)में उसे घायल अवस्था में लाया गया। उसी अस्पताल में देविका ने सबसे पहले अपनी आंखे खोली थी। देविका ने बताया कि उस खौफनाक रात को वह कभी जिंदगी में नहीं भूल पायेंगी। देविका का कहना है कि उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि ऐसा कुछ होगा। 26/11 को वह अपने पिता नटवरलाल रोटावन व भाई जायेश के साथ बांद्रा से सीएसटी गये। वहां से उन्हें अपने भाई भरत के पास पुणे जाना था।

वह प्लेट फार्म 12-13 के ठीक सामने बैठे हुए थे। तभी बड़े भाई जायेश ने बाथरूम जाने की बात कहीं। वह बाथरूम जैसे ही गया, वैसे जोर का धमका हुआ। फिर अचानक गोलियां चलने शुरू हो गई। लोग चीखने-चिल्लाने लगे और इधर-उधर भागने लगे। हम भी वहां फंस गए। दूसरों की तरह भागने की कोशिश की, लेकिन गिर गई।" देविका बताती है कि तभी उसने दाहिने पैर में दर्द महसूस किया। पैर सुन्न पड़ चुका था। उसने खून बहता हुआ देखा। उसे भी गोली मार दी गई थी। देविका ने आगे कहा, "जब मुझे इसका एहसास हुआ तो मैं वहीं गिर गई और अगले दिन ही होश में आया।

वहीं देविका ने बताया कि उसके पैर की छह बार सर्जरी हुई। देविका राजस्थान के पाली जिले के अपने पैतृक दांव सुमेरपुर चली गई, जहां पूरे परिवार ने उसकी अच्छी देखभाल की। हालांकि, उसे जल्द ही कसाब के खिलाफ अदालती कार्यवाही में भाग लेने के लिए मुंबई बुलाया गया। जून 2009 में देविका और उसके पिता की गवाही ने कसाब के ताबूत में अंतिम कील ठोक दी। देविका 27 दिसंबर को 24 साल की हो जाएगी। उसने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद स्नातक की पढ़ाई कर रही है। देविका का कहना है कि उस मौत के तांडव के बाद उसने फोर्स में जाने का सपना सोचा है। देविका के परिवार को मुआवजे के तौर पर कुल 13.5 लाख रुपये मिले। रोटावास ने कहा कि शुरू में परिवार को मुआवजे के रूप में लगभग 3.5 लाख रुपये मिले। इसके बाद चिकित्सा सहायता में 10 लाख रुपये मिले। जिसके लिए उन्हें कई साल सरकार के पीछे दौड़ना पड़ा।

वहीं देविका ने कहा, "हमें ईडब्ल्यूएस कोटे के तहत एक घर देने का वादा किया गया था, लेकिन पिछले 14 वर्षों से अभी तक आवंटित नहीं किया गया है। इस बीच उन्होंने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने की काफी कोशिश की। लेकिन मिल नहीं पाई।” देविका का कहना है उन्हें प्रधान मंत्री से काफी उम्मीद है। वह उनसे मिलकर अपने दुखों के बारे में बताना चाहती है। वहीं अनूप चावला और डॉ. भरत झा द्वारा लिखी जा रही पुस्तक "शहादत को सलाम" में भी देविका को एक मुंबई की नन्ही नायिका के रूप में दर्शाया गया है।

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)