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कई राज्यों में उठने लगी जातीय गणना की मांग

Demand for caste census started rising in many states
  रांचीः 2024 की बिसात बिछने के साथ विपक्ष ने नया मुद्दा उठा दिया है। पहले तो मणिपुर, अडानी और महंगाई को लेकर लगातार केंद्र की बीजेपी सरकार को घेरने वाला विपक्ष अब अचानक जातीय जनगणना की मांग करने लगा है। ये मुद्दा कोई नया नही है। इससे पहले भी कई बार बिहार और छत्तीसगढ़ सहित कुछ राज्यों में जातीय जनगणना की मांग होती रही है। इसी तरह अब झारखंड में भी जातीय जनगणना की मांग शुरू हो गई है। हालांकि, राज्य की मौजूदा परिस्थितियों में इस पर फैसला होने की संभावना काफी कम है। साथ ही यह 2024 के अंत में राज्य में बनने वाली नई सरकार पर भी निर्भर करेगा कि झारखंड में जाति जनगणना को लेकर उसका रुख क्या होगा।

आबादी के मुताबिक मिले अधिकार

इस संबंध में मुख्यमंत्री हेमंत सोरन का कहना है कि वह इस बात के पक्षधर हैं कि किसी भी समूह को उसकी आबादी के हिसाब से अधिकार मिलना चाहिए। झारखंड के सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल तीनों दल झामुमो, कांग्रेस और राजद इसके पक्ष में हैं। राज्य में एनडीए गठबंधन में शामिल आजसू पार्टी भी जातीय जनगणना की मांग उठा रही है। राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी फिलहाल इस मुद्दे पर चुप है।

केंद्र सरकार करे पहल

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का कहना है कि राज्य में जाति आधारित जनगणना के मुद्दे पर दो साल पहले सभी दलों की सहमति थी। इसके बाद सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने सितंबर 2021 में दिल्ली जाकर गृह मंत्री को इससे संबंधित मांग पत्र सौंपा था। हम चाहते हैं कि केंद्र सरकार इस पर पहल करे। पत्र में कहा गया कि सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के विकास के लिए संविधान में विशेष सुविधाएं और आरक्षण प्रदान किया गया है। यह भी पढ़ेंः-Hamas के 5000 रॉकेट दागने के बाद इजराइल की कार्यवाही आजादी के बाद से होने वाली जनगणना में जातिगत आंकड़े नहीं होने के कारण पिछड़े वर्ग के लोगों को विशेष सुविधाएं उपलब्ध कराने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। पिछड़े और अति पिछड़े अपेक्षित प्रगति नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में यदि अभी जातीय जनगणना नहीं कराई गई तो न तो पिछड़ी और अति पिछड़ी जातियों की शैक्षणिक, सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक स्थिति का सही आकलन हो पाएगा और न ही उनकी बेहतरी और उत्थान से जुड़ी उचित नीतियां निर्धारित हो पाएंगी। न ही उनकी संख्या का अनुमान लगाया जाएगा। आनुपातिक रूप से बजट आवंटित किया जाएगा। (अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)