नई दिल्लीः उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने मंगलवार को एक बार फिर दोहराया है कि पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जाए ताकि इससे आम लोगों को राहत मिले। उन्होंने कहा कि जीएसटी जब लागू हुआ था, तब से वह केंद्र सरकार से इसकी मांग कर रहे हैं। उनकी मांगें नहीं मानी गईं। आज एक बार फिर जब केंद्र सरकार इस सम्बंध में बात कर रही है तो दिल्ली सरकार पेट्रोल डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने के लिए तैयार है।
उल्लेखनीय है कि जीएसटी लागू होने के बाद भी डीजल, शराब आदि पर वैट की दरें लागू हैं। सरकारें मानती हैं कि यह एक राजस्व बढ़ाने का तरीका है जिसे केंद्र और राज्य सरकारें बहुत आसान और व्यावहारिक मानती हैं। शराब, पेट्रोल और डीजल जैसी वस्तुओं पर कर बढ़ाना है, जो जीएसटी के दायरे में नहीं है। अतीत में कई राज्य सरकारों ने राजस्व जुटाने के लिए इस रास्ते का इस्तेमाल किया है। डीजल को अगर जीएसटी के दायरे में लाया जाएगा तो इसके मूल्य में 20 रुपये प्रति लीटर तक की कमी आ जाएगी।
आपको बता दें कि पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सोमवार को पत्रकारवार्ता में कहा था कि केंद्र सरकार पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने के लिए तैयार है, लेकिन इस पर राज्यों के सहमत होने की संभावना कम नजर आती है।
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