नई दिल्लीः भारत के संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर का आज महापरिनिर्वाण दिवस है। वह लोकतांत्रिक भारत के सबसे प्रभावशाली शख्सियतों में से एक हैं। भारतीय संविधान के जनक, राजनीतिज्ञ, विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री और समाज सुधारक डॉ. भीमराव आम्बेडकर का 6 दिसंबर 1956 को दिल्ली में निधन हो गया था। जिसे परिनिर्वाण दिवस के तौर पर मनाया जाता है. उस समय उनकी आयु 64 वर्ष और 7 महीने थी। वे लंबे समय से मधुमेह के गंभीर मरीज थे।
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बाबा साहेब को 1990 में मिला भारत रत्न
दिल्ली से विशेष विमान के जरिये उनका पार्थिव शरीर मुंबई में उनके घर राजगृह में लाया गया।अगले दिन 7 दिसंबर को लाखों समर्थकों और प्रशंसकों की मौजूदगी में मुंबई में दादर चौपाटी समुद्र तट पर बौद्ध शैली में उनका अंतिम संस्कार किया गया। 1990 में उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न से सम्मानित किया गया। आम्बेडकर जयंती पर सार्वजनिक अवकाश होता है। दिल्ली स्थित उनके घर 26 अलीपुर रोड में उनका स्मारक स्थापित किया गया है। बेहद गरीब परिवार में जन्मे बाबासाहेब के नाम से लोकप्रिय अम्बेडकर ने संविधान के पहले मसौदे को तैयार करने में अहम योगदान दिया था। उन्होंने अछूतों के प्रति सामाजिक भेदभाव के खिलाफ और निचली जातियों के उत्थान के लिए काफी संघर्ष किया था।
60 देशों के संविधान का अध्ययन किया
डॉ. अम्बेडकर ने कहा था कि उनका जीवन तीन गुरुओं और तीन उपास्यों से प्रभावित रहा है। तीन गुरुओं में गौतम बुद्ध, संत करीब और महात्मा ज्योति राव फुले शामिल हैं जबकि उनके तीन उपास्य थे- ज्ञान, स्वाभिमान और शील। स्वतंत्र भारत के प्रथम कानून मंत्री और भारतीय संविधान के जनक डॉ. आम्बेडकर की प्रतिष्ठा अद्वितीय विद्वान और विधिवेत्ता की थी। 29 अगस्त 1947 को उन्हें नये संविधान की रचना के लिए बनी संविधान की मसौदा समिति के अध्यक्ष पद पर नियुक्त किया गया। इसके लिए उन्होंने 60 देशों के संविधान का अध्ययन किया। संविधान सभा द्वारा 26 नवंबर 1949 को भारतीय संविधान अपनाया गया।
अपना कार्य पूर्ण करने के बाद उन्होंने कहा- 'भारत का संविधान, साध्य है, यह लचीला लेकिन यह इतना मजबूत भी है कि देश को शांति व युद्ध, दोनों समय में जोड़ कर रख सके। मैं कह सकता हूं कि अगर कभी कुछ गलत हुआ तो इसका कारण यह नहीं होगा कि हमारा संविधान खराब था बल्कि इसका उपयोग करने वाला मनुष्य अधम था।'डॉ.अम्बेडकर अपने अनुयायियों से कहा करते थे कि मेरे नाम की जय-जयकार करने से अच्छा है, मेरे बताए हुए रास्ते पर चलें। उनकी 65वीं पु्ण्यतिथि आइए हम उनके कुछ अनमोल विचारों पर एक नज़र डालते हैं...
- अपने भाग्य के बजाय अपनी मजबूती पर विश्वास करो।
- मैं राजनीति में सुख भोगने नहीं बल्कि अपने सभी दबे-कुचले भाइयों को उनके अधिकार दिलाने आया हूँ।
- मनुवाद को जड़ से समाप्त करना मेरे जीवन का प्रथम लक्ष्य है।
- जो धर्म जन्म से एक को श्रेष्ठ और दूसरे को नीच बनाए रखे, वह धर्म नहीं, गुलाम बनाए रखने का षड़यंत्र है।
- किसी भी कौम का विकास उस कौम की महिलाओं के विकास से मापा जाता हैं।
- जो व्यक्ति अपनी मौत को हमेशा याद रखता है वह सदा अच्छे कार्य में लगा रहता है।
- मैं ऐसे धर्म को मानता हूँ जो स्वतंत्रता, समानता, और भाई-चारा सीखाये।
- मेरे नाम की जय-जयकार करने से अच्छा है, मेरे बताए हुए रास्ते पर चलें।
- रात-रातभर मैं इसलिये जागता हूँ क्योंकि मेरा समाज सो रहा है।
- जो कौम अपना इतिहास नहीं जानती, वह कौम कभी भी इतिहास नहीं बना सकती।
- राष्ट्रवाद तभी औचित्य ग्रहण कर सकता है, जब लोगों के बीच जाति, नस्ल या रंग का अन्तर भुलाकर उसमें सामाजिक भ्रातृत्व को सर्वोच्च स्थान दिया जाये।
- मैं तो जीवन भर कार्य कर चुका हूँ अब इसके लिए नौजवान आगे आएं।
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