श्रीहारिकोटा: श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से आज सुबह 5 बजकर 43 मिनट पर EOS-3 प्रक्षेपण होना था लेकिन तीसरे चरण में तकनीकी कमी के चलते विफल हो गया। इसके विफल होने की पुष्टि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कर दी है।
इसरो के तय कार्यक्रम के अनुसार आज सुबह 5.43 बजे सैटेलाइट लॉन्चिंग प्रक्रिया शुरू हुई। तय समय के अनुसार सभी चरण पूरे होते चले गए। मगर तीसरे चरण में GSLV-F 10 / EOS-3 के अलग होने से पहले क्रायोजेनिक इंजन में कुछ तकनीकी खराबी आ गई, जिसकी वजह से केन्द्र को आंकड़े मिलने बंद हो गए। इसके बाद इसरो प्रमुख के सिवन ने ऐलान किया कि यह मिशन आंशिक तौर पर विफल हो गया है।
अंतरिक्ष एजेंसी के बयान के मुताबिक, सुबह 5:43 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर के लॉन्च पैड से GSLV-F 10 रॉकेट सटीकता के साथ उड़ा। दो मिनट तक उड़ने के बाद पहले स्टेज यानी रॉकेट के सबसे निचले हिस्से में लगे स्ट्रैपऑन बूस्टर्स 2 मिनट 29 सेकेंड के बाद अलग हो गए।
इसके बाद पहला स्टेज रॉकेट को तेजी से अंतरिक्ष की ओर लेकर तेजी से ऊपर जा रहा था। उस समय गति थी 2688 मीटर प्रति सेकेंड यानी 9679 किलोमीटर प्रतिघंटा। लॉन्च के करीब 2 मिनट 31 सेकेंड के बाद बाद रॉकेट का पहला स्टेज यानी जीएस-1 (GS-1) यान से अलग हो गया। दूसरा स्टेज पहले स्टेज के अलग होने से एक सेकेंड पहले शुरु हो चुका था।
दूसरे स्टेज यानी जीएस-2 (GS-2) के साथ EOS-3 सैटेलाइट 3813 मीटर प्रति सेकेंड यानी 13,729 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से अपने तय स्थान की ओर जा रहा था। इसी समय सैटेलाइट के ऊपर बने हीटशील्ड यानी रॉकेट के सबसे ऊपरी हिस्से का कवर हट गया।
रॉकेट के लॉन्च के करीब 18 मिनट 24 सेकेंड पर क्रायोजेनिक इंजन को बंद होना था। इसके पांच सेकेंड यानी 18 मिनट 29 सेकेंड पर क्रायोजेनिक इंजन को बर्न आउट करना था, जो नहीं हुआ। फिर 18.39 सेकेंड पर EOS-3 से अलग होकर हट जाना था। ये भी नहीं हुआ। यानी 18 मिनट 29 सेकेंड और मिशन पूरा होने के आखिरी समय 18 मिनट 39 सेकेंड के बीच इंजन और सैटेलाइट से संपर्क टूट गया।
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बेंगलुरू मुख्यालय स्थित अंतरिक्ष एजेंसी ने एक बयान जारी कर बताया कि जीएसएलवी एफ 10 के जरिये भू-अवलोकन उपग्रह EOS-3 के प्रक्षेपण के लिए 26 घंटे की उल्टी गिनती कल बुधवार को शुरू हो गई। फरवरी में ब्राजील के भू-अवलोकन उपग्रह एमेजोनिया-1 और 18 अन्य छोटे उपग्रहों के प्रक्षेपण के बाद 2021 में इसरो का यह दूसरा प्रक्षेपण आज विफल हो गया। इस प्रक्षेपण को पहले इस साल अप्रैल या मई में ही होना था लेकिन कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के चलते इसे टाल दिया गया था। उल्लेखनीय है कि GSLV-F 10 / EOS-3 उपग्रह देश और सीमाओं की तस्वीरें वास्तविक समय पर उपलब्ध कराने और प्राकृतिक आपदाओं की शीघ्र निगरानी में सक्षम हो सकता था।