देश

मुख्यमंत्री के निजी सचिव की पत्नी को कोर्ट से झटका, दलीलों को किया खारिज

court-min
court

कोच्चि: केरल उच्च न्यायालय ने गुरुवार को मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के सचिव के.के. रागेश की पत्नी प्रिया वर्गीज की दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि कन्नूर विश्वविद्यालय के मलयालम विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर के पद के लिए विचार करने के लिए उनके पास कोई योग्यता नहीं है। यूजीसी के सभी दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया गया और अदालत इसे नजरअंदाज नहीं कर सकती, अदालत ने कन्नूर विश्वविद्यालय को रैंक सूची पर फिर से विचार करने और एक नई सूची जारी करने को कहा।

बता दें कि रागेश सीपीआई-एम के पूर्व राज्यसभा सदस्य हैं, जो कन्नूर के रहने वाले हैं और विजयन के करीबी माने जाते हैं। न्यायमूर्ति देवन रामचंद्रन की पीठ पिछले दो दिनों से रैंक में दूसरे नंबर के उम्मीदवार जैकब स्कारैया की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। एक आरटीआई सवाल के जवाब में पता चला था कि वर्गीज ने व्यक्तिगत साक्षात्कार में अधिकतम अंक (50 में से 32) प्राप्त किए, जबकि स्कारैया ने 30 अंक हासिल किए, लेकिन वर्गीज के शोध अंक मात्र 156 थे, जबकि दूसरे स्थान पर रहने वाले उम्मीदवार ने 651 हासिल किए। फिर भी रैंक में प्रिया वर्गीज को नंबर वन पर रखा गया।

ये भी पढ़ें..दो साल बाद पर्यटकों से गुलजार हुआ हिमाचल, अब तक 1.27...

इसके अलावा, अदालत ने फैसला सुनाया कि उसके पास एक शिक्षक के रूप में निर्धारित अनुभव नहीं है और कन्नूर विश्वविद्यालय और वर्गीज द्वारा दिए गए सभी तर्कों से वह संतुष्ट नहीं हैं, क्योंकि यूजीसी ने भी स्पष्ट रूप से कहा था कि उसके पास आवश्यक शिक्षण अनुभव नहीं है। फैसले ने यह स्पष्ट कर दिया कि उसके पास पद के लिए आवेदन करने के लिए आवश्यक योग्यता नहीं थी, लेकिन उसने न केवल आवेदन किया, बल्कि उसे प्रथम स्थान भी मिला। हालांकि उसे नियुक्ति आदेश नहीं दिया गया था, क्योंकि उससे पहले इस मामले ने तुल पकड़ लिया था। कुलाधिपति ने पहले इस नियुक्ति पर रोक लगायी और बाद में उच्च न्यायालय ने भी नियुक्ति संबंधी आगे की कार्यवाही पर रोक लगा दी।

इस फैसले को देने में अदालत को ढाई घंटे से अधिक का समय लगा, जिसका राज्य में उत्सुकता से इंतजार किया जा रहा था, क्योंकि सत्तारूढ़ वामपंथी और उसके नेता कई टीवी समाचार चैनलों की बहस में वर्गीज का जोरदार बचाव करते देखे गए थे। अदालत ने यह भी फैसला सुनाया कि पीएचडी करने के लिए उसने जो तीन साल की अवधि ली, उसे शिक्षण अनुभव के रूप में नहीं गिना जा सकता है, साथ ही छात्र निदेशक के रूप में कार्य करते हुए उसकी सेवा को भी इस तरह शामिल नहीं किया जा सकता है।

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)