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वीआईपी सिक्योरिटी का बोझ उठा रहा देश

Security personnel

लखनऊः सरकारें तो आम जनता की सुरक्षा के लिए चुनी जाती हैं, लेकिन लोगों की गाढ़ी कमाई का एक बड़ा हिस्सा वीआईपी सिक्योरिटी के नाम पर हर महीने खप जाता है। सिक्योरिटी अब वीआईपी कल्चर का एक अहम हिस्सा बन चुकी है और आस-पास हथियार लिए सुरक्षाकर्मी स्टेटस सिंबल बन चुका है। जनता की सेवा के नाम पर राजनीति करने के लिए मैदान में उतरने वाले नेता तो सुरक्षा लेने के लिए अपने ऊपर हमला करवाने से भी नही चूकते हैं। हाल ही बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत को गृह मंत्रालय द्वारा वाई श्रेणी की सुरक्षा दिए जाने के बाद एक बार फिर सुरक्षा पर हर महीने होने वाले करोड़ों के खर्च को लेकर बहस छिड़ गई है।

दरअसल, बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत को लेकर पिछले तीन महीनों से देश में उथल-पुथल मची हुई है। अब सुशांत के मौत की जांच सीबीआई कर रही है और जांच में एनसीबी की एंट्री होने के बाद बॉलीवुड में फैले ड्रग्स के मकड़जाल को लेकर भी चर्चा होने लगी है। इसी को लेकर अभिनेत्री कंगना रनौत और महाराष्ट्र सरकार में बयानबाजी का दौर चला तो गृह मंत्रालय ने कंगना को वाई श्रेणी की सुरक्षा दे दी। जिसके बाद बॉलीवुड के तमाम कलाकारों व विपक्षी नेताओं ने इसको लेकर सवाल खड़े किए, जिसके बाद अब हर साल नेताओं व अन्य वीआईपी लोगों की सुरक्षा के नाम पर खर्च होने वाले करोड़ों रूपए को लेकर एक नई बहस ने जन्म ले लिया है।

भाजपा नेता ने खुद पर करवा लिया था हमला

बता दें कि यूपी की राजधानी लखनऊ में साल 2018 में एक सनसनीखेज मामला सामने आया था, जिसमें भाजपा के युवा नेता ने सरकार से सुरक्षा लेने व अपने पड़ोसियों को फंसाने के लिए खुद के ऊपर हमला करवाने की साजिश रच डाली थी। इसमें उनकी मौत भी हो गई थी। हुआ यह था कि भाजपा के युवा मोर्चा के नेता प्रत्यूषमणि त्रिपाठी की अपने पड़ोसियों से रंजिश थी और वह उन्हें जेल भिजवाना चाहता था। इसके साथ ही वह अपना भौकाल जमाने के लिए सरकार से सुरक्षा भी चाह रहा था। जिसके बाद उसने खुद के ऊपर हमला करवाने की साजिश रची, लेकिन हमले में चाकू गहराई तक जा लगी और ज्यादा खून बहने से उसकी मौत हो गई। बाद में जब तत्कालीन एसएसपी कलानिधि नैथानी ने इस मामले का खुलासा किया तो लोग सन्न रह गए थे।

वीआईपी कल्चर को खत्म करने के पक्षधर हैं पीएम

प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही नरेंद्र मोदी वीआईपी कल्चर के नाम पर होने वाली मनमानी को लेकर काफी सख्त रहे हैं। वह अंगरक्षकों के नाम पर ज्यादा खर्च करने के पक्ष में नहीं है, उन्होंने इसमें काफी कटौती भी की है। इसी के तहत 24 जुलाई 2019 को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने यूपी के उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा, आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव, बीएसपी सांसद सतीश चंद्र मिश्र, यूपी के गन्ना राज्यमंत्री सुरेश राणा व विधायक संगीत सोम समेत कई नेताओं और विशिष्ट लोगों की सुरक्षा में कटौती कर दी थी।

मुजफ्फरनगर के बीजेपी विधायक अवतार सिंह भड़ाना से वाई प्लस श्रेणी, उन्नाव से बीजेपी सांसद सच्चिदानंद साक्षी उर्फ साक्षी महाराज का सीआरपीएफ सुरक्षा घेरा हटा लिया गया था। अब उन्हें वाई श्रेणी की सुरक्षा है। बिहार में लोक जनशक्ति पार्टी के सांसद चिराग पासवान के सीआरपीएफ कवर को वापस लेकर उनकी सुरक्षा वाई श्रेणी मिली रही है। बिहार के पूर्व सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव का भी सुरक्षा घेरा वाई प्लस से घटाकर वाई श्रेणी कर दिया गया है। उनकी सुरक्षा में लगी सीआरपीएफ भी हटा दी गई है।

जुलाई 2019 में गृह मंत्रालय ने वीआईपी सुरक्षा पाने वालों का केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में पूर्ण समीक्षा की थी। यूपी में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की जेड प्लस सुरक्षा के अलावा बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद, बीजेपी सांसद राजीव प्रताप रूडी, बीजेपी के पूर्व सांसद कीर्ति आजाद और शत्रुघ्न सिन्हा, हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल कलराज मिश्रा, पूर्व लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार आदि की जेड सुरक्षा वापस ले ली गई थी। जानकारी के अनुसार केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के करीब 3,000 कमांडो केंद्र सरकार के वीआईपी सुरक्षा इंतजाम का हिस्सा हैं।

करोड़ों होते हैं सुरक्षा के नाम पर खर्च

देश में नेताओं पर बड़ा धन आज भी खर्च हो रहा है। केवल प्रधानमंत्री की सुरक्षा में हर दिन 1 करोड़ 62 लाख रुपये खर्च होते हैं। ऐसी जानकारी केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी लोकसभा में दे चुके हैं। देश के 56 लोगों पर बड़ी धनराशि खर्च की जा रही है। बजट 2020 में 592.5 करोड़ रुपये का आवंटन इसी व्यवस्था को लेकर किया गया। 2019 के मुकाबले यह 10 फीसदी अधिक है। साल 2019-20 के बजट में 540.16 करोड़ रुपये मुहैया कराए गए थे।

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नवंबर 2019 में गांधी परिवार से एसपीजी कवर को हटा दिया गया था। उन्हें जेड-प्लस सिक्योरिटी दी गई थी। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सुरक्षा को भी कुछ समय पहले ही कम किया गया है। उन्हें एसपीजी की तरफ से बुलेटप्रूफ बीएमडब्ल्यू कार दी गई है। एनएसजी के कमांडो वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, गृहमंत्री राजनाथ सिंह, मुलायम सिंह यादव, मायावती के साथ-साथ यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित 14 लोगों को दिए गए हैं। यूपी में राजनीतिक लाभ के लिए बीजेपी सरकार ने अदिति सिंह और शिवपाल सिंह को सिक्योरिटी देकर यह जता दिया कि सरकार को इस पर खर्च होने वाले धन की ज्यादा चिंता नहीं है, जबकि देश में तमाम लोग बाहुबलियों की ज्यादतियों से परेशान रहते हैं और वह सुरक्षा की मांग करते रहते हैं, लेकिन सरकार उन्हें सिपाही तक मुहैया नहीं करा पाती है।