भोपाल: कोरोना महामारी पर जीत का बड़ा हथियार रोग प्रतिरोधक क्षमता को माना गया है, यही कारण है कि लोगों ने खानपान के साथ व्यायाम पर खास ध्यान दिया है। मध्य प्रदेश की राजधानी में तो साईकिल प्रेम ऐसा जागा कि बड़ी संख्या में बाइसकिल राइडर्स तैयार हो गए हैं। राजधानी की कुछ सड़कों का सुबह और शाम को नजारा ही जुदा होता है, जहां दिन में बड़ी-बड़ी लग्जरी गाड़ियां दौड़ती नजर आती हैं तो वहां सुबह और शाम को साइकिल सवारों की तादाद कहीं ज्यादा होती है। यहां लड़के हो या लड़कियां, पुरुष अथवा महिलाएं वे खुली सड़क पर साइकिल दौड़ाते आसानी से नजर आ जाते हैं। कोरोना काल में साईकिल चलाने वालों की संख्या में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है।
कोरोना संक्रमण के दौरान तमाम चिकित्सा विशेषज्ञों ने लोगों को बेहतर खानपान के साथ व्यायाम का परामर्श दिया और इसका असर भी हुआ। स्थितियां यह हो गई हैं कि हर कोई सुबह-शाम केा टहलने से लेकर व्यायाम और साईकिल चलाने पर खास ध्यान दे रहा है। राजधानी में भोपाल बाइसिकल राइडर्स ग्रुप है, जिसके सदस्यों की संख्या 700 के पार पहुंच गई है, इस ग्रुप ने कोरोना काल में लोगों को साइकिलिंग के लिए जागरूक किया, परिणाम स्वरूप लोगों का रुझान भी साइकिलिंग पर बढ़ा, इस ग्रुप में कई लोग ऐसे हैं जो हर रोज 20 से 40 किलोमीटर तक साइकिल चलाते है।
इस ग्रुप से जुड़े विनोद पांडेय की माने तो उनका दल बीते कुछ सालों से न केवल खुद साइकिलिंग करता है बल्कि लोगों को प्रेरित करने में भी जुटा हुआ है। शुरूआत में जहां सदस्य बहुत कम थे और साइकिलिंग के लिए कम लोग आते थे, लेकिन कोरोना ने व्यायाम और एम्युनिटी को बेहतर बनाने के लिए लोगों में साइकिलिंग की रूचि को बढ़ाने का काम किया है।
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ग्रुप के सदस्यों की मानें तो उनका प्रयास है कि अगले एक साल में प्रत्येक परिवार से कम से कम एक सदस्य साइकिलिंग करें, इसके लिए उनकी ओर से प्रयास किए जा रहे हैं । साइकिलिंग से शारीरिक तंदुरुस्ती बढ़ती है यह लोग जानने लगे है क्योंकि कोरोना काल ने हर व्यक्ति को सेहत के प्रति सजग रहने का संदेश दिया है और लोग सेहत के प्रति पहले से कहीं ज्यादा सजग भी हुए है।
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