Adipurush: विवाद के बीच ‘आदिपुरूष’ के मेकर्स ने लिया बड़ा फैसला, विवादित डायलॉग में होगा संशोधन
Published at 18 Jun, 2023 Updated at 18 Jun, 2023
मुंबईः डायरेक्टर ओम राउत की मोस्ट अवेटेड फिल्म ‘आदिपुरूष’ (Adipurush) ने रिलीज होने के बाद दर्शकों को काफी निराश कर दिया है। फिल्म के सीन्स और डायलॉग को लेकर चहुंओर विवाद हो रहा है। अब फिल्म के मेकर्स ने फिल्म के विवादित संवादों को संशोधित करने का निर्णय लिया है। इससे पहले फिल्म के डायरेक्टर ओम राउत और लेखन मनोज मुंतशिर ने विवाद पर अपनी काफी सफाई दी लेकिन जब उन्हें बात बनती नहीं नजर आयी तो उन्होंने फिल्म के विवादित सीन्स और डायलॉग को बदलने का फैसला लिया है। लेखक मनोज मुंतशिर ने सोशल मीडिया पर काफी लंबा पोस्ट लिखकर फिल्म के बारे में अपना मत रखा है और साथ ही अंत में यह आश्वासन दिया है कि जल्द ही डॉयलॉग में संशोधन कर सिनेमाघरों में फिल्म दिखायी जाएगी।
रामकथा से पहला पाठ जो कोई सीख सकता है, वो है हर भावना का सम्मान करना.
सही या ग़लत, समय के अनुसार बदल जाता है, भावना रह जाती है.
आदिपुरुष में 4000 से भी ज़्यादा पंक्तियों के संवाद मैंने लिखे, 5 पंक्तियों पर कुछ भावनाएँ आहत हुईं.
उन सैकड़ों पंक्तियों में जहाँ श्री राम का यशगान…
— Manoj Muntashir Shukla (@manojmuntashir) June 18, 2023
लेखक मनोज मुंतशिर ने लिखा पोस्ट
मनोज मुंतशिर ने लिखा कि रामकथा से पहला पाठ जो कोई सीख सकता है, वो है हर भावना का सम्मान करना। सही या ग़लत, समय के अनुसार बदल जाता है, भावना रह जाती है। आदिपुरुष में 4000 से भी ज़्यादा पंक्तियों के संवाद मैंने लिखे, 5 पंक्तियों पर कुछ भावनाएँ आहत हुईं। उन सैकड़ों पंक्तियों में जहाँ श्री राम का यशगान किया, माँ सीता के सतीत्व का वर्णन किया, उनके लिए प्रशंसा भी मिलनी थी, जो पता नहीं क्यों मिली नहीं। मेरे ही भाइयों ने मेरे लिये सोशल मीडिया पर अशोभनीय शब्द लिखे। वही मेरे अपने, जिनकी पूज्य माताओं के लिए मैंने टीवी पर अनेकों बार कवितायें पढ़ीं, उन्होंने मेरी ही माँ को अभद्र शब्दों से संबोधित किया।
मेरे मस्तक पर क्यों लिखा सनातन-द्रोही
उन्होंने आगे लिखा कि मैं सोचता रहा, मतभेद तो हो सकता है, लेकिन मेरे भाइयों में अचानक इतनी कड़वाहट कहाँ से आ गई कि वो श्री राम का दर्शन भूल गये जो हर माँ को अपनी माँ मानते थे। शबरी के चरणों में ऐसे बैठे, जैसे कौशल्या के चरणों में बैठे हों। हो सकता है, 3 घंटे की फ़िल्म में मैंने 3 मिनट कुछ आपकी कल्पना से अलग लिख दिया हो, लेकिन आपने मेरे मस्तक पर सनातन-द्रोही लिखने में इतनी जल्दबाज़ी क्यों की, मैं जान नहीं पाया। या आपने ‘जय श्री राम’ गीत नहीं सुना, ‘शिवोहम’ नहीं सुना, ‘राम सिया राम’ नहीं सुना? आदिपुरुष में सनातन की ये स्तुतियाँ भी तो मेरी ही लेखनी से जन्मी हैं। ‘तेरी मिट्टी’ और ‘देश मेरे’ भी तो मैंने ही लिखा है। मुझे आपसे कोई शिकायत नहीं है, आप मेरे अपने थे, हैं और रहेंगे।
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सनातन सेवा के लिए बनायी आदिपुरुष
हम एक दूसरे के विरुद्ध खड़े हो गये तो सनातन हार जायेगा। हमने आदिपुरुष सनातन सेवा के लिए बनायी है, जो आप भारी संख्या में देख रहे हैं और मुझे विश्वास है आगे भी देखेंगे। ये पोस्ट क्यों? क्योंकि मेरे लिये आपकी भावना से बढ़ के और कुछ नहीं है। मैं अपने संवादों के पक्ष में अनगिनत तर्क दे सकता हूँ, लेकिन इस से आपकी पीड़ा कम नहीं होगी। मैंने और फ़िल्म के निर्माता-निर्देशक ने निर्णय लिया है, कि वो कुछ संवाद जो आपको आहत कर रहे हैं,हम उन्हें संशोधित करेंगे, और इसी सप्ताह वो फ़िल्म में शामिल किए जाएँगे।
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