नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को सुप्रीम कोर्ट में संविधान दिवस समारोह में हिस्सा लिया। साथ ही ई-कोर्ट परियोजना के तहत विभिन्न नई पहलों का शुभारंभ किया। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा लोकतंत्र की जननी के रूप में भारत की पहचान को और मजबूत करने की जरूरत पर जोर देते हुए शनिवार को कहा कि हमारी सबसे बड़ी प्रेरणा और ताकत हमारा संविधान है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति हो या संस्थान, हमारे कर्तव्य हमारी पहली प्राथमिकता हैं। अमृत काल हमारे लिए कर्तव्यों का युग है।
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इससे पहले प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम के दौरान रिमोट का बटन दबाकर ई-कोर्ट परियोजना के तहत विभिन्न नई पहलों की भी शुरुआत की, जिसमें वर्चुअल जस्टिस क्लॉक, जस्टआईएस मोबाइल ऐप 2.0, डिजिटल कोर्ट और एस3डब्ल्यूएएएस वेबसाइट शामिल हैं। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका समय पर न्याय के लिए कई कदम उठा रही है। आज शुरू की गई ई-पहल सभी के लिए न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में एक और कदम है।
प्रधानमंत्री ने संविधान दिवस की बधाई देते हुए याद दिलाया कि 1949 में आज ही के दिन स्वतंत्र भारत ने अपने लिए एक नए भविष्य की नींव रखी थी। उन्होंने आजादी के अमृत काल के मद्देनजर इस संविधान दिवस को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि यह संविधान दिवस और भी खास हो जाता है क्योंकि भारत आजादी के 75 साल की अपनी यात्रा पूरी करने के बाद आगे बढ़ रहा है। उन्होंने बाबा साहेब डॉ बी आर अंबेडकर और संविधान सभा के सभी सदस्यों को श्रद्धांजलि अर्पित की। प्रधानमंत्री ने भारतीय संविधान के विकास और विस्तार की पिछले 70 दशकों की यात्रा में विधायिका, न्यायपालिका और कार्यपालिका के अनगिनत व्यक्तियों के योगदान पर प्रकाश डाला और इस विशेष अवसर पर पूरे देश की ओर से उन्हें धन्यवाद दिया।
प्रधानमंत्री ने याद दिलाया कि मौजूदा वैश्विक परिदृश्य में पूरे विश्व की नजर भारत पर है। भारत के तेज विकास, भारत की तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था और भारत की मजबूत होती अंतरराष्ट्रीय छवि के बीच, दुनिया हमें बहुत उम्मीदों से देख रही है। उन्होंने कहा कि अपनी स्थिरता को लेकर तमाम शुरुआती आशंकाओं को धता बताते हुए भारत पूरी ताकत के साथ आगे बढ़ रहा है और अपनी विविधता पर गर्व कर रहा है।
उन्होंने इस सफलता का श्रेय संविधान को दिया। आगे जारी रखते हुए, प्रधानमंत्री ने प्रस्तावना के पहले तीन शब्दों, ''हम भारत के लोग'' का उल्लेख किया और कहा, ''हम भारत के लोग'' एक आह्वान, विश्वास और एक प्रतिज्ञा है। संविधान की यही भावना भारत की मूल भावना है, जो विश्व में लोकतंत्र की जननी रहा है। उन्होंने कहा, “आधुनिक समय में, संविधान ने राष्ट्र की सभी सांस्कृतिक और नैतिक भावनाओं को अपनाया है।”
प्रधानमंत्री ने प्रसन्नता व्यक्त की कि लोकतंत्र की जननी के रूप में देश संविधान के आदर्शों को मजबूत कर रहा है और जनहितकारी नीतियां देश के गरीबों और महिलाओं को सशक्त बना रही हैं। उन्होंने बताया कि आम नागरिकों के लिए कानूनों को आसान और सुलभ बनाया जा रहा है और न्यायपालिका समय पर न्याय सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठा रही है।
अपने स्वतंत्रता दिवस भाषण में कर्तव्यों पर जोर देने का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह संविधान की भावना का प्रकटीकरण है। अमृत काल को ‘कर्तव्य काल’ बताते हुए प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि आजादी के अमृत काल में जब देश आजादी के 75 साल पूरे कर रहा है और हम अगले 25 साल के विकास की यात्रा पर निकले हैं तो कर्तव्य का मंत्र राष्ट्र के प्रति सर्वोपरि है। उन्होंने कहा, “आजादी का ये अमृतकाल देश के लिए कर्तव्यकाल है। चाहे व्यक्ति हों या संस्थाएं, हमारे दायित्व ही आज हमारी पहली प्राथमिकता हैं।” मोदी ने कहा कि अपने कर्तव्य पथ पर चलते हुए ही हम देश को विकास की नई ऊंजाई पर ले जा सकते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि एक सप्ताह के भीतर, भारत जी-20 की अध्यक्षता प्राप्त करने जा रहा है, और एक टीम के रूप में दुनिया में भारत की प्रतिष्ठा को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया और कहा, “यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।” उन्होंने कहा, “लोकतंत्र की जननी के रूप में भारत की पहचान को और मजबूत करने की आवश्यकता है।” युवा केंद्रित भावना को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि संविधान अपने खुलेपन, भविष्यवादी होने और आधुनिक दृष्टि के लिए जाना जाता है। उन्होंने भारत की विकास गाथा के सभी पहलुओं में युवा शक्ति की भूमिका और योगदान को स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि आज के युवाओं में संविधान को लेकर समझ और बढ़े इसके लिए ये जरूरी है कि वो संवैधानिक विषयों पर बहस और चर्चा का हिस्सा बनें।
समानता और अधिकारिता जैसे विषयों की बेहतर समझ के लिए युवाओं में भारत के संविधान के बारे में जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता पर बल देते हुए, प्रधानमंत्री ने उस समय को याद किया जब हमारे संविधान का मसौदा तैयार किया गया था और देश के सामने जो परिस्थितियां थीं। उन्होंने कहा, “उस समय संविधान सभा की बहस में क्या हुआ था, हमारे युवाओं को इन सभी विषयों के बारे में पता होना चाहिए।” उन्होंने आगे कहा कि इससे संविधान के प्रति उनकी रुचि बढ़ेगी। प्रधानमंत्री ने उदाहरण दिया जब भारत की संविधान सभा में 15 महिला सदस्य थीं और उनमें दक्षिणायनी वेलायुधन जैसी महिलाओं को उजागर किया जो एक वंचित समाज से निकलकर वहां पहुंचीं।
प्रधानमंत्री ने खेद व्यक्त किया कि दक्षिण वेलायुधन जैसी महिलाओं के योगदान पर शायद ही कभी चर्चा की जाती है, और उन्होंने कहा कि उन्होंने दलितों और मजदूरों से संबंधित कई विषयों पर महत्वपूर्ण हस्तक्षेप किया। प्रधानमंत्री ने दुर्गाबाई देशमुख, हंसा मेहता और राजकुमारी अमृत कौर और अन्य महिला सदस्यों का उदाहरण दिया जिन्होंने महिलाओं से संबंधित मुद्दों पर महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने आगे कहा कि जब हमारे युवाओं को इन तथ्यों का पता चलेगा, तो उन्हें अपने सवालों के जवाब मिलेंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत को लेकर दुनिया को जो आशंकाएं थीं, वे उम्मीदों में बदल गईं, दुनिया ने भारत से! इस तरह भारत आगे बढ़ रहा है। इस तरह भारत अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन कर रहा है। इन सबके पीछे सबसे बड़ी ताकत हमारा संविधान है। उन्होंने कहा कि आज की वैश्विक परिस्थितियों में, पूरे विश्व की नजर भारत पर है। भारत के तेज विकास, भारत की तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था और भारत की मजबूत होती अंतरराष्ट्रीय छवि के बीच, दुनिया हमें बहुत उम्मीदों से देख रही है।
वहीं प्रधानमंत्री ने भारत के इतिहास के उस काले दिन को याद किया जब 14 साल पहले मानवता के दुश्मनों ने मुंबई पर आतंकवादी हमले किया था। मोदी ने मुंबई में हुए कायराना आतंकी हमले में जान गंवाने वालों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा, “आज 26/11 मुंबई आतंकी हमले का दिन भी है। 14 वर्ष पहले, जब भारत, अपने संविधान और अपने नागरिकों के अधिकारों का पर्व मना रहा था, उसी दिन मानवता के दुश्मनों ने भारत पर सबसे बड़ा आतंकवादी हमला किया था। मुंबई आतंकी हमले में जिनकी मृत्यु हुई, मैं उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।”
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