जयपुरः मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के जन्मदिन से पहले उनके गृह ज़िले जोधपुर में झंडा लगाने को लेकर दो गुटों के बीच झड़प के बाद बिगड़े माहौल ने मुख्यमंत्री के विरोधियों को उनके खिलाफ मोर्चा खोलने का मौक़ा दे दिया है। जन्मदिन के मौके पर भी मुख्यमंत्री मंगलवार को प्रमुख प्रतिद्वंदी दल भाजपा के निशाने पर बने हुए हैं। भाजपा नेताओं ने उन्हें जन्मदिन की बधाई से पहले जोधपुर में सामने आये घटनाक्रम को लेकर आड़े हाथ लिया है।
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मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने जन्मदिन से ऐन पहले पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के निशाने पर रहे। राजे ने गहलोत सरकार की कार्यशैली को आड़े हाथ लिया। उन्होंने एक ट्वीट में लिखा कि 'राजस्थान की गहलोत सरकार ने अपने पूरे कार्यकाल में विकास पर ध्यान केंद्रित करने की बजाय प्रदेश में सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने का काम किया है। अलवर इसका सबसे ताजा उदाहरण है।' राजे ने अपील करते हुए कहा कि अब भी समय है, सरकार जन विकास तथा समस्याओं के समाधान की दिशा में सार्थक प्रयास करे।
विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष व वरिष्ठ भाजपा नेता राजेंद्र राठौड़ ने एक ट्वीट कर लिखा कि 'हिन्दू नववर्ष के दिन करौली में दंगे के बाद अब मुख्यमंत्री के गृह जिले जोधपुर के जालोरी गेट में हिंसक झड़प की घटना गहलोत सरकार के माथे पर कलंक है। गहलोत सरकार की तुष्टिकरण की नीति के कारण शांतिप्रिय राजस्थान में साम्प्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने की दर्जनों भर घटनाएं हुई हैं। जोधपुर में हुई यह घटना पुलिस इंटेलीजेंस पर सवालिया निशान है।'
राठौड़ ने सवाल करते हुए पूछा कि मुख्यमंत्री गहलोत स्वयं के गृह जिले में कारित हुई इस घटना का दोषारोपण अब किसको देंगे ? क्या अब वह अपनी आदत के अनुसार खुद की नाकामी का ठीकरा प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पर फोड़ेंगे ? उपनेता प्रतिपक्ष ने लिखा कि मुख्यमंत्री गहलोत, जो राज्य के गृह विभाग के मुखिया भी है, उनके राज में मृत प्राय कानून व्यवस्था का ही प्रमाण है कि अब उनके गृह जिले जोधपुर में बेखौफ दंगाई खुलेआम आपसी भाईचारा और सद्भाव बिगाड़ते है और पुलिस हर बार की तरह बेबस व लाचार नजर आती है।
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष डॉ सतीश पूनिया ने भी सोमवार-मंगलवार दरम्यानी आधी रात को जोधपुर में हुए घटनाक्रम को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। पूनियां ने भी ट्वीट कर लिखा कि 'स्वतंत्रता सेनानी बालमुकुंद बिस्सा की प्रतिमा पर अराजक तत्वों द्वारा इस्लामिक झंडे लगाना एवं परशुराम जयंती पर लगे केसरिया झंडे हटाना निंदनीय है। राज्य सरकार से मांग है कि अराजक तत्वों पर कड़ी कार्रवाई हो, प्रदेश में कानून का राज स्थापित हो।'
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