
भोपालः मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले में चिन्नौर धान बहुतायत में होता है। अब इसकी सुंगध से प्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरे दुनिया के बाजार महकेंगे। दरअसल, चिन्नौर चावल को जीआई टैग मिल गया है। इसके लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का प्रदेश के किसानों की ओर से अभिनंदन करते हुए उनके साथ ही केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर और केन्द्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को धन्यवाद दिया है।
मुख्यमंत्री चौहान ने गुरुवार को ट्वीट के माध्यम से सहा है कि बालाघाट के चिन्नौर चावल को जीआई टैग मिलने पर भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का प्रदेश के किसानों की ओर से हृदय से अभिनंदन करता हूं। प्रदेश के किसानों को न केवल उनका हक मिला है, बल्कि उनके आर्थिक सशक्तिकरण का मार्ग भी प्रशस्त हुआ है।
उन्होंने अगले ट्वीट में कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के साथ केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर और केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के प्रति हृदय से धन्यवाद ज्ञापित करता हूं। इस जीआई से निश्चय ही किसानों की आय में बढ़ोतरी के साथ प्रदेश की समृद्धि का भी पथ प्रशस्त होगा। उन्होंने कहा कि यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के किसानों की आय के दोगुना करने के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए मध्यप्रदेश पूरी निष्ठा एवं सामर्थ्य के साथ प्रयासरत है। नि:संदेह, हमारे बालाघाट के चिन्नौर चावल को जीआई टैग मिलने से इस ध्येय की प्राप्ति को और गति मिलेगी।
गौरतलब है कि 2019 में कृषि विभाग बालाघाट ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, हैदराबाद में जीआई-टैग (जियोग्राफिकल इन्डीकेशन टैग) के लिए दावा किया था। परिषद ने मध्य प्रदेश के चिन्नौर धान को जीआई-टैग की अनुमति दी। इसके बाद सरकार ने बुधवार को इसकी घोषणा की।
मध्य प्रदेश के धान उत्पादक बालाघाट जिले की यह खास किस्म है। इसे अंतर्राष्ट्रीय बाजार में लाने के लिए सरकार ने एक जिला एक उत्पाद में शामिल किया था। कृषि विज्ञानी डॉ. उत्तम बिसेन ने बताया कि धान को सुगंध के लिए वैज्ञानिक तौर तीन श्रेणी में बांटा गया है-निम्न, मध्यम और तीव्र सुगंध। चिन्नौर तीव्र सुगंध वाली किस्म में शामिल है। दीगर धानों में राइस ब्रान की मात्रा 17-18 प्रतिशत होती है, जबकि चिन्नौर में 20-21 प्रतिशत होती है। चिन्नौर चावल की खासियत इसकी महक और स्वाद है। उन्नत किस्म की इस धान के चावल के भीगने के बाद की खुशबू और पकने के बाद की मिठास का जिसने भी स्वाद लिया है, वह भूल नहीं सका। चिन्नौर का स्वाद ही नहीं महक भी गजब की है।
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कृषि वैज्ञानिक डॉ. उत्तम बिसेन का कहना है कि चिन्नौर को मध्य प्रदेश में कृषि के लिए पहला जीआइ-टैग मिला है। इसे मध्य प्रदेश सरकार एक जिला एक उत्पाद में शामिल कर प्रमोट कर रही है। जिले के 25 गांव के किसान इसका उत्पादन कर रहे हैं। जीआई टैग मिलने से अब यह किस्म दुनियाभर में बालाघाट के साथ मध्य प्रदेश को भी खास पहचान देगी। यह किस्म अब ऊंचे दामों पर बिकेगी।
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