रायपुर: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ में दीपावली की सांस्कृतिक परंपरा के अनुरूप शनिवार को धनतेरस पर अपने निवास के द्वार पर धान की झालर बांधने की रस्म पूरी की। दीपावली के दौरान खेतों में जब नयी फसल पककर तैयार हो जाती है, तब ग्रामीण धान की नर्म बालियों से कलात्मक झालर तैयार करते हैं।
दीवाली त्यौहार शुरू हो चुका है. चिरई चुगनी लगा दी गयी है.
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) October 22, 2022
दीपों का उजाला सारे अंधकार हर ले और सबका घर धन धान्य से परिपूर्ण हो। pic.twitter.com/8F0RpC2JyN
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इनसे घरों की सजावट कर वे अपनी सुख और समृद्धि के लिए मां लक्ष्मी के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करते हुए उन्हें पूजन के लिए आमंत्रित करते हैं। ऐसा लोक विश्वास है कि उनका यह आमंत्रण उन चिड़ियों के माध्यम से देवी तक पहुंचता है, जो धान के दाने चुगने आंगन और द्वार पर उतरती हैं।
इस तरह प्रदेश की लोक-संस्कृति अपनी खुशियों को प्रकृति के साथ बांटती है और उसे सहेजती है। छत्तीसगढ़ में बस्तर से लेकर सरगुजा तक धान की झालर घर के आंगन और द्वार पर लटकाए जाने की परंपरा है। जिसे पहटा अथवा पिंजरा भी कहा जाता है।
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