नई दिल्लीः राज्यसभा में कृषि विधेयक पर चर्चा के दौरान विपक्ष के सवालों के जवाब में कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लेकर स्पष्ट किया कि यह पहले की ही तरह जारी रहेगी। केंद्रीय मंत्री के इस जवाब के बाद पूर्व वित्तमंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने सवाल उठाया है। उन्होंने पूछा है कि आखिर सरकार को कैसे पता चलेगा कि किसान ने अपनी फसल किस व्यापारी को बेची है? देशभर में हर रोज होने वाले लाखों लेन-देन को कैसे जानेगी? ऐसे में अगर उसके पास डाटा नहीं है तो वह कैसे एमएसपी की गारंटी देगी।
कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने रविवार को ट्वीट कर किसानों को उनकी फसल के लिए एमएसपी दिए जाने की प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि कृषि मंत्री का कहना है कि सरकार यह गारंटी देगी कि किसान को एमएसपी मिलेगा, लेकिन मैं जानना चाहता हूं कि आज भी निजी व्यापार होता है। ऐसे में किसानों को दिया जाने वाला मूल्य, एमएसपी की तुलना में काफी कम है। तो अगर कृषि मंत्री जादुई रूप से एमएसपी सुनिश्चित कर सकते हैं, तो उन्होंने ऐसा क्यों नहीं किया है? चिदंबरम ने पूछा कि कृषि मंत्री को कैसे पता चलेगा कि किस किसान ने अपनी उपज किस व्यापारी को बेची है? वह पूरे देश में हर दिन होने वाले लाखों लेनदेन को कैसे जानेंगे? यदि उसके पास डेटा नहीं है, तो वह कैसे गारंटी देंगे कि हर लेनदेन में एमएसपी का भुगतान किया जाता है?
यह भी पढ़ेंः-पीएम मोदी ने कहा- किसानों को बिचौलियों से मुक्त करेगा कृषि सुधार विधेयकअपने एक अन्य ट्वीट में सरकारी वादों पर तंज कसते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि क्या मंत्री और सरकार को लगता है कि किसान इतने मूर्ख हैं कि वो सरकार के खाली वादों पर विश्वास कर लेंगे। और अगर सरकार अपने वादों को लेकर इतनी पक्की है तो फिर हर भारतीय के बैंक खाते में 15 लाख रुपये अब तक क्यों नहीं पहुंचे। यहीं क्यों, किसानों की आय दोगुनी करने का जो वादा किया गया था वो भी पूरा होता नहीं दिख रहा। ना ही हर साल दो करोड़ नौकरियां पैदा करने का वादा ही पूरा हो सका है। उन्होंने कहा कि जब इतना सारे वादे कोरे साबित हुए हैं तो क्या गारंटी है कि एमएसपी का सरकारी वादा भी पूरा होगा।