प्रदेश छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ को रास आ रहा काला नमक चावल, धान के बीज की बढ़ी मांग

Chhattisgarh is liking black salt rice, increased demand for paddy seeds
kala-namak-chawal-ki-kheti लखनऊ: छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है। लेकिन, छत्तीसगढ़ को सिद्धार्थनगर के जीआई (भौगोलिक संकेत) टैग काला नमक धान रास आ रहा है। करीब दो दशक से काला नमक धान पर शोध कर रहे कृषि वैज्ञानिक डॉ. आरसी चौधरी के मुताबिक जीआई टैग वाले पूर्वांचल के 11 जिलों से लगभग उतनी ही मांग कलानमक धान के बीज की आई है, लगभग उतनी ही मांग छत्तीसगढ़ से भी आई है। आए दिन वहां से कई लोगों के फोन आते हैं। काला नमक धान मूल रूप से भगवान बुद्ध से जुड़े सिद्धार्थनगर जिले से संबंधित है, लेकिन पूर्वांचल के 11 जिलों (गोरखपुर, देवरिया, कुशीनगर, महराजगंज, बस्ती, संतकबीरनगर, सिद्धार्थनगर, बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर और गोंडा के लिए) में इसे जीआई मिला है। इन जिलों की कृषि जलवायु समान है। इसलिए इस पूरे क्षेत्र में पैदा होने वाले काले नमक की विशेषताएं एक समान हैं। इनमें से बहराइच और सिद्धार्थ नगर नीति आयोग द्वारा विभिन्न मापदंडों पर चयनित आकांक्षी जिलों की सूची में शामिल हैं।

बीज की मांग में करीब तीन गुना इजाफा -

गोरखपुर के बड़े बीज विक्रेता उत्तम बीज भंडार के श्रद्धानंद तिवारी भी बीज की बढ़ती मांग की गवाही देते हैं। उन्होंने बताया कि पिछले साल की तुलना में काला नमक धान बीज की मांग करीब तीन गुना बढ़ गई है। आपूर्तिकर्ता कंपनियों की संख्या में भी काफी वृद्धि हुई है। प्रतिस्पर्धा है, इसलिए कीमत भी वाजिब है। दोनों लोगों का कहना है कि आज काला नमक धान में बढ़ी दिलचस्पी या चलन का एकमात्र कारण मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का निजी प्रयास है। उन्हीं की पहल पर सिद्धार्थ नगर में कॉमन फैसिलिटी सेंटर खोला गया। कलानमक महोत्सव कपिलवस्तु में हुआ। उन्होंने देश-विदेश से आने वाले सभी मेहमानों को गिफ्ट हैम्पर्स देकर इसे एक ब्रांड बना दिया। ये भी पढ़ें..किसान सम्मान निधि योजना का लाभ लेने के लिए करना होगा ये काम, जानिए पूरी प्रक्रिया

जिंक और आयरन की अधिकता-

कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि पारंपरिक चावल की किस्मों की तुलना में काले नमक वाले चावल में जिंक और आयरन अधिक होता है। जिंक दिमाग के लिए जरूरी है। जहां तक ​​आयरन का सवाल है, इसकी कमी से होने वाला एनीमिया भारतीयों, खासकर किशोर लड़कियों और महिलाओं में आम है। काला नमक वाले चावल का ग्लाइसेमिक इंडेक्स भी तुलनात्मक रूप से कम होता है। इसलिए यह कुछ हद तक मधुमेह रोगियों के लिए भी उपयुक्त है। (अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)