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Mahashivratri 2023: महाशिवरात्रि पर करें महादेव के 108 नामों का जप, दूर हो जायेंगे जीवन के दुख-दर्द

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bhagwan-shiv नई दिल्लीः फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। महाशिवरात्रि के दिन व्रत कर भगवान महादेव की आराधना करने से सभी कष्टों से मुक्ति मिल जाती है और धन-धान्य की भी प्राप्ति होती है। भगवान शिव अपने भक्त पर जल्द ही प्रसन्न हो जाते है इसलिए वह भोलेनाथ भी कहलाते हैं। सनातन हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि व्रत का विशेष महत्व है। महाशिवरात्रि का पर्व पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। हिंदू धर्म मान्यताओं के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन ही भगवान भोलेनाथ ने माता पार्वती के साथ विवाह किया था। इसलिए इस दिन कुंवारी कन्याओं को भगवान महादेव की विधिवत आराधना करने से मनोवांछित वर की प्राप्ति होती है। भगवान शिव की चार प्रहर में पूजा की जाती है। अगर चार प्रहर की पूजा महाशिवरात्रि पर नहीं कर पाएं तो सुबह और रात्रि के समय शिवजी का पूजन और अभिषेक अवश्य करें यह उत्तम फलदायी होगा। महाशिवरात्रि के दिन भगवान महादेव के 108 नामों के जप से शुभ फल की भी प्राप्ति होती है। महाशिवरात्रि का शुभ मुहूर्त हिंदू पंचांग के अनुसार पूजा का शुभ मुहूर्त निम्न प्रकार का है... निशिता काल का समय - 18 फरवरी, रात 11 बजकर 52 मिनट से 12 बजकर 42 मिनट तक। प्रथम पहर पूजा समय - 18 फरवरी, शाम 06 बजकर 40 मिनट से रात 09 बजकर 46 मिनट तक। द्वितीय पहर पूजा समय - रात 09 बजकर 46 मिनट से रात 12 बजकर 52 मिनट तक। तृतीय पहर पूजा समय - 19 फरवरी, रात 12 बजकर 52 मिनट से 03 बजकर 59 मिनट तक। चतुर्थ पहर पूजा समय -19 फरवरी, 03 बजकर 59 मिनट से सुबह 07 बजकर 05 मिनट तक। भगवान शिव के 108 नाम एवं मंत्र रुद्रः ऊं रुद्राय नमः। शर्वः ऊं शर्वाय नमः। भवः ऊं भवाय नमः। उग्रः ऊं उग्राय नमः। भीमः ऊं भीमाय नमः। पशुपतिः ऊं पशुपतये नमः। ईशानः ऊं ईशानाय नमः। महादेवः ऊं महादेवाय नमः। शिवः ऊं शिवाय नमः। महेश्वरः ऊं महेश्वराय नमः। शम्भूः ऊं शंभवे नमः। पिनाकिः ऊं पिनाकिने नमः। शशिशेखरः ऊं शशिशेखराय नमः। वामदेवः ऊं वामदेवाय नमः। विरूपाक्षः ऊं विरूपाक्षाय नमः। कपर्दीः ऊं कपर्दिने नमः। नीललोहितः ऊं नीललोहिताय नमः। शंकरः ऊं शंकराय नमः। शूलपाणिः ऊं शूलपाणये नमः। खटवांगीः ऊं खट्वांगिने नमः। विष्णुवल्लभः ऊं विष्णुवल्लभाय नमः। शिपिविष्टः ऊं शिपिविष्टाय नमः। अंबिकानाथः ऊं अंबिकानाथाय नमः। श्रीकण्ठः ऊं श्रीकण्ठाय नमः। भक्तवत्सलः ऊं भक्तवत्सलाय नमः। त्रिलोकेशः ऊं त्रिलोकेशाय नमः। शितिकण्ठः ऊं शितिकण्ठाय नमः। शिवाप्रियः ऊं शिवा प्रियाय नमः। कपालीः ऊं कपालिने नमः। कामारीः ऊं कामारये नमः। अंधकारसुरसूदनः ऊं अन्धकासुरसूदनाय नमः। गंगाधरः ऊं गंगाधराय नमः। ललाटाक्षः ऊं ललाटाक्षाय नमः। कालकालः ऊं कालकालाय नमः। bhagwan shiv ये भी पढ़ें..Mahashivratri 2023: महाशिवरात्रि के दिन जरूर करें इन मंत्रों का जाप, पूरी होगीं सभी... कृपानिधिः ऊं कृपानिधये नमः। परशुहस्तः ऊं परशुहस्ताय नमः। मृगपाणिः ऊं मृगपाणये नमः। जटाधरः ऊं जटाधराय नमः। कैलाशीः ऊं कैलाशवासिने नमः। कवचीः ऊं कवचिने नमः। कठोरः ऊं कठोराय नमः। त्रिपुरान्तकः ऊं त्रिपुरान्तकाय नमः। वृषांकः ऊं वृषांकाय नमः। वृषभारूढ़ः ऊं वृषभारूढाय नमः। भस्मोद्धूलितविग्रहः ऊं भस्मोद्धूलितविग्रहाय नमः। सामप्रियः ऊं सामप्रियाय नमः। स्वरमयीः ऊं स्वरमयाय नमः। त्रयीमूर्तिः ऊं त्रयीमूर्तये नमः। अनीश्वरः ऊं अनीश्वराय नमः। सर्वज्ञः ऊं सर्वज्ञाय नमः। परमात्माः ऊं परमात्मने नमः। सोमसूर्याग्निलोचनः ऊं सोमसूर्याग्निलोचनाय नमः। हविः ऊं हविषे नमः। यज्ञमयः ऊं यज्ञमयाय नमः। सोमः ऊं सोमाय नमः। पंचवक्तः ऊं पंचवक्त्राय नमः। सदाशिवः ऊं सदाशिवाय नमः। विश्वेश्वरः ऊं विश्वेश्वराय नमः। वीरभद्रः ऊं वीरभद्राय नमः। गणनाथः ऊं गणनाथाय नमः। प्रजापतिः ऊं प्रजापतये नमः। हिरण्यरेताः ऊं हिरण्यरेतसे नमः। ये भी पढ़ें..शनिवार 18 फरवरी 2023 का पंचांग, जानें विशेष पर्व एवं राहुकाल दुर्धर्षः ऊं दुर्धर्षाय नमः। गिरीशः ऊं गिरीशाय नमः। अनघः ऊं अनघाय नमः। भुजंगभूषणः ऊं भुजंगभूषणाय नमः। भर्गः ऊं भर्गाय नमः। गिरिधन्वाः ऊं गिरिधन्वने नमः। गिरिप्रियः ऊं गिरिप्रियाय नमः। कृत्तिवासाः ऊं कृत्तिवाससे नमः। पुरारातिः ऊं पुरारातये नमः। भगवानः ऊं भगवते नमः। प्रमथाधिपः ऊं प्रमथाधिपाय नमः। मृत्युंजयः ऊं मृत्युंजयाय नमः। सूक्ष्मतनुः ऊं सूक्ष्मतनवे नमः। जगद्व्यापीः ऊं जगद्व्यापिने नमः। जगद्गुरूः ऊं जगद्गुरुवे नमः। व्योमकेशः ऊं व्योमकेशाय नमः। महासेनजनकः ऊं महासेनजनकाय नमः। चारुविक्रमः ऊं चारुविक्रमाय नमः। भूतपतिः ऊं भूतपतये नमः। स्थाणुः ऊं स्थाणवे नमः। अहिर्बुध्न्यः ऊं अहिर्बुध्न्याय नमः। दिगम्बरः ऊं दिगंबराय नमः। अष्टमूर्तिः ऊं अष्टमूर्तये नमः। अनेकात्माः ऊं अनेकात्मने नमः। सात्विकः ऊं सात्विकाय नमः। शुद्धविग्रहः ऊं शुद्धविग्रहाय नमः। शाश्वतः ऊं शाश्वताय नमः। खण्डपरशुः ऊं खण्डपरशवे नमः। अजः ऊं अजाय नमः। पाशविमोचनः ऊं पाशविमोचकाय नमः। मृडः ऊं मृडाय नमः। देवः ऊं देवाय नमः। अव्ययः ऊं अव्ययाय नमः। हरिः ऊं हरये नमः। भगनेत्रभिद्ः ऊं भगनेत्रभिदे नमः। अव्यक्तः ऊं अव्यक्ताय नमः। दक्षाध्वरहरः ऊं दक्षाध्वरहराय नमः। हरः ऊं हराय नमः। पूषदन्तभिदः ऊं पूषदन्तभिदे नमः। ये भी पढ़ें..MahaShivratri 2023: शिवलिंग पर नहीं चढ़ानी चाहिए ये पांच चीजें, भगवान महादेव हो जायेंगे रूष्ट अव्यग्रः ऊं अव्यग्राय नमः। सहस्राक्षः ऊं सहस्राक्षाय नमः। सहस्रपादः ऊं सहस्रपदे नमः। अपवर्गप्रदः ऊं अपवर्गप्रदाय नमः। अनन्तः ऊं अनन्ताय नमः। तारकः ऊं तारकाय नमः। परमेश्वरः ऊं परमेश्वराय नमः। (अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)