नई दिल्लीः मंगलवार को चंद्रयान-3 (chandryan-3) चंद्रमा की ओर एक कदम और आगे बढ़ गया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने मंगलवार को एक बार फिर से कक्षा साझा की प्रक्रिया पूरी की और चंद्रयान-3 को पृथ्वी की पांचवीं और अंतिम कक्षा में भेजा। इसरो अब 1 अगस्त की मध्यरात्रि 12-01 बजे के बीच चंद्रयान-3 को चंद्रमा की कक्षा में भेजा गया। इसरो ने मंगलवार को ट्वीट किया कि चंद्रयान-3 की पांचवी पृथ्वी कक्षा (पृथ्वी-बाउंडफोर्डी पिरामिड) को बेंगलुरु से शुरू कर दिया गया है। 25 जुलाई को दोपहर 2 बजे से 3 बजे के बीच चंद्रयान-3 की कक्षा बदली गई।
14 जुलाई को मिशन ने भरी थी उड़ान
गौरतलब है कि 14 जुलाई को दोपहर 2:35 बजे चंद्रयान-3 (chandryan-3) ने श्रीहरिकोटा केन्द्र से उड़ान भरी और अगर सब कुछ योजना के अनुसार होता है तो यह 23 या 24 अगस्त को चंद्रमा पर उतरेगा। मिशन को चंद्रमा के उस हिस्से तक भेजा जा रहा है, जिसे डार्क साइड ऑफ मून कहते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि यह हिस्सा पृथ्वी के सामने नहीं आता। मिशन का उद्देश्य चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करना है, जिससे चंद्रमा की दुर्लभ तस्वीरें और जानकारी प्राप्त हो सकेगी।
ये भी पढ़ें..Conjunctivitis: बारिश में रखें आंखों का खास ख्याल, जानें Eye Flu के लक्षण व बचाव
जानें क्यों खास है चंद्रयान-3 ?
बता दें कि मिशन फिलहाल चंद्रमा की यात्रा पर है, जो बेहद खास है। इससे पहले चंद्रयान-3 (chandryan-3) को इसरो के 'बाहुबली' रॉकेट LVM3 से भेजा गया था। दरअसल, पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से बाहर निकलने के लिए बूस्टर या कहें शक्तिशाली रॉकेट यान के साथ उड़ान भरते हैं। यदि आप सीधे चंद्रमा पर जाना चाहते हैं, तो आपको एक बड़े और अधिक शक्तिशाली रॉकेट की आवश्यकता होगी। इसमें ईंधन की भी अधिक आवश्यकता होती है, जिसका सीधा असर प्रोजेक्ट के बजट पर पड़ता है। यानी अगर हम चंद्रमा की दूरी सीधे पृथ्वी से तय करेंगे तो हमें ज्यादा खर्च करना पड़ेगा। नासा भी ऐसा ही करता है लेकिन इसरो का चंद्र मिशन सस्ता है क्योंकि वह चंद्रयान को सीधे चंद्रमा पर नहीं भेज रहा है।
(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)