Chaitra Navratri 2024 Day 6: वासंतिक नवरात्रि के छठें दिन मां दुर्गा के षष्ठम स्वरूप माता कात्यायनी (Katyayani) की पूजा का विधान है। पांचवें दिन शुक्रवार को मां स्कंदमाता की आराधना की गयी। महर्षि कात्यायन द्वारा सर्वप्रथम पूजे जाने के कारण देवी दुर्गा के इस स्वरूप का नाम देवी कात्यायनी पड़ा। महर्षि कात्यायन की कठिन तपस्या से प्रसन्न होकर उनकी इच्छानुसार उनके यहां पुत्री के रूप में कात्यायनी पैदा हुई थीं। महर्षि ने इनका पालन-पोषण किया था।
अमोद्य फलदायिनी हैं मां कात्यायनी
देवी कात्यायनी अमोद्य फल देने वाली हैं। इनकी पूजा करने से सभी कष्टों का नाश होता है। माँ कात्यायनी राक्षसों और पापियों का नाश करने वाली हैं। देवी कात्यायनी जी की पूजा करने मात्र से भक्त के अंदर अद्भुत शक्ति का संचार होता है। इस दिन साधक का मन 'आज्ञा चक्र' में स्थित रहता है। योगाभ्यास में इस आज्ञा चक्र का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। जब साधक का मन आज्ञा चक्र में स्थित होता है तो उसे आसानी से मां कात्यायनी के दर्शन प्राप्त हो जाते हैं। इस संसार में रहते हुए भी साधक अलौकिक तेज से परिपूर्ण रहता है।
Katyayani- माँ कात्यायनी का स्वरूप
मां कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत दिव्य और सोने के समान चमकीला है। वह अपने पसंदीदा वाहन शेर पर बैठती हैं। उनकी चार भुजाएं भक्तों को आशीर्वाद देती हैं। उनका एक हाथ अभय मुद्रा में है, जबकि दूसरा हाथ वरद मुद्रा में है। उनके दूसरे हाथ में तलवार और कमल का फूल है।
ये भी पढ़ेंः-Chaitra Navratri 2024: चैत्र नवरात्रि के 5वें दिन इस मंत्र का जरूर करें जप, मनोकामना पूर्ण करेंगी मां स्कंदमाता
विवाह के लिये कात्यायनी मंत्र
जिन कन्याओं के विवाह में विलम्ब हो रहा हो, उन्हें नवरात्रि के छठे दिन माँ कात्यायनी की विशेष उपासना करनी चाहिए। मां कात्यायनी की उपासना से कुंवारी कन्याओं को मनोवांछित वर की प्राप्ति होती है। पूजा के दौरान इस मंत्र का जप जरूर करें।
ॐ कात्यायनी महामाये महायोगिन्यधीश्वरि। नंदगोपसुतम् देवि पतिम् मे कुरुते नम:॥
देवी कात्यायनी का मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
देवी कात्यायनी की आरती
जय जय अम्बे, जय कात्यायनी।
जय जगमाता, जग की महारानी।
बैजनाथ स्थान तुम्हारा।
वहां वरदाती नाम पुकारा।
कई नाम हैं, कई धाम हैं।
यह स्थान भी तो सुखधाम है।
हर मंदिर में जोत तुम्हारी।
कहीं योगेश्वरी महिमा न्यारी।
हर जगह उत्सव होते रहते।
हर मंदिर में भक्त हैं कहते।
कात्यायनी रक्षक काया की।
ग्रंथि काटे मोह माया की।
झूठे मोह से छुड़ाने वाली।
अपना नाम जपाने वाली।
बृहस्पतिवार को पूजा करियो।
ध्यान कात्यायनी का धरियो।
हर संकट को दूर करेगी।
भंडारे भरपूर करेगी।
जो भी मां को भक्त पुकारे।
कात्यायनी सब कष्ट निवारे।