नई दिल्लीः केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि अब ग्रामीण क्षेत्रों में भी प्राथमिक कृषि साख समिति (पैक्स) के माध्यम से सस्ती दवाएं उपलब्ध करायी जाएंगी। Central government ने पैक्स के जरिए प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र खोलने का फैसला किया है। इस फैसले से शहरी क्षेत्रों के साथ-साथ ग्रामीण भारत को भी सस्ती दवाएं उपलब्ध हो सकेंगी।
जन औषधि केंद्र से लोगों तक पहुंची सस्ती दवाएं
सोमवार को विज्ञान भवन में आयोजित 'नेशनल पैक्स मेगा सेमिनार' के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्रों के माध्यम से लोगों को रियायती दरों पर जेनेरिक दवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। जन औषधि केंद्र की वजह से लोगों को अब तक 26 हजार करोड़ रुपये की बचत हुई है।
शाह ने कहा कि सहकारिता मंत्रालय आने वाले समय में दो लाख पैक्स बनाने की दिशा में काम कर रहा है। पैक्स सहकारिता आंदोलन की रीढ़ की हड्डी की तरह है। पेट्रोल पंप खोलने से लेकर रेलवे टिकट बुक करने तक, राशन की दुकानों से लेकर रासायनिक खाद बेचने तक का काम पैक्स के माध्यम से किया जा रहा है। अब तक कुल 22 सेवाओं के लिए पैक्स का चयन किया जा चुका है। पैक्स किसानों को अनाज भंडारण और रासायनिक उर्वरकों के छिड़काव के लिए ड्रोन उपलब्ध कराने का काम भी करेगी। देश भर में 28 हजार पैक्स कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) स्थापित किए गए हैं। ये पैक्स राज्य और केंद्र की 300 से ज्यादा सेवाएं लोगों को मुहैया करा रहे हैं।
सरकार ने की पूरी तैयारी
शाह ने कहा कि देशभर से 4,400 से अधिक पैक्सों ने जन औषधि केंद्र खोलने के लिए भारत सरकार के औषधि विभाग के पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन किया है। जिनमें से 2300 से अधिक समितियों को प्रारंभिक मंजूरी मिल चुकी है और 146 पैक्स/सहकारी समितियां जन औषधि केंद्र के रूप में कार्य करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।
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उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्रों के माध्यम से आम नागरिकों तक गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाएं पहुंचाई जाती हैं, जो खुले बाजार में ब्रांडेड दवाओं की तुलना में 50-90 प्रतिशत तक सस्ती होती हैं। इन केंद्रों पर 2000 से अधिक प्रकार की जेनेरिक दवाएं और लगभग 300 सर्जिकल उपकरण आम जनता के लिए उचित मूल्य पर उपलब्ध हैं।
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