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इंसान को हमेशा के लिए बहरा बना सकता है कोविड-19 : शोध

coronavirus (COVID-19)

 

नई दिल्ली: लंबे वक्त से पूरी दुनिया कोरोना वायरस कोविड-19 महामारी से जूझ रही है। अब सभी लोग इससे निपटने के लिए वैक्सीन बनने के इंतजार में हैं। इसी बीच इस खतरनाक वायरस को लेकर एक चौंकने वाला खुलासा हुआ है।  डॉक्टर्स के मुताबिक, कोविड-19 की वजह से इंसान हमेशा के लिए सुनने की शक्ति खो सकता है। ब्रिटिश एक्सपर्ट्स का कहना है कि अचानक हुई इस समस्या का जल्द पता लगाने और इलाज कराने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस लॉस ऑफ टेस्ट, लॉस ऑफ स्मैल से लेकर विभिन्न अंगों को डैमेज करने तक शरीर को तमाम तरीकों से प्रभावित करता है।

डॉक्टर्स को अब ताजा प्रमाण मिले हैं कि कोविड-19 इंसान की सुनने की शक्ति को बेकार कर सकता है। यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन की 'जर्नल बीएमजे' में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, 45 साल के एक कोविड-19 और अस्थमा से संक्रमित शख्स को ICU (इंटेंसिव केयर यूनिट) में वेंटिलेशन पर रखा गया था। मरीज को यहां एंटी-वायरल ड्रग रेमेडिसवीर और नसों में स्टेरॉयड दिया गया था।

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ICU से निकलने के तकरीबन एक हफ्ते बाद उस मरीज के कान में अजीब से झनझनाहट (रिंगिंग साउंड) होने लगी और बाद में बाएं कान से सुनने की शक्ति चली गई। इस घटना के बाद डॉक्टर्स ने अपनी सफाई में कहा, 'मरीज के कान में कोई समस्या नहीं थी। इसलिए उसे ऐसी कोई दवा नहीं दी गई थी, जिससे उसकी सुनने की शक्ति पर असर पड़े।' आगे की जांच में पता लगा कि मरीज को फ्लू या एचआईवी भी नहीं था, इसलिए ऑटोइम्यून की समस्या के भी कोई संकेत नहीं दिखे जो हियरिंग लॉस की परेशानी से जुड़े होते हैं। इसके अलावा, संबंधित व्यक्ति को पहले कभी सुनने से जुड़ी समस्या भी नहीं हुई थी।

बाद की टेस्टिंग में पता लगा कि मरीज के बाएं कान में 'सेंसोरिन्यूरल हियरिंग लॉस' हुआ है। एक ऐसी कंडीशन जिसमें कान का अंदरुनी हिस्सा या आवाज के लिए जिम्मेदार नर्व्स क्षतिग्रस्त हो चुकी थी। आंशिक सफलता के साथ स्टेरॉयड से इसका इलाज किया गया था। ब्रिटेन में यह अपने आप में इकलौता ऐसा केस सामने आया है। हालांकि बाकी देशों की तुलना में यहां कम संख्या में मामले दर्ज किए गए हैं। स्टडी के सह लेखिका डॉ. स्टेफनिया कोउम्पा कहती हैं, 'यह अभी तक स्पष्ट नहीं हुआ है कि कोविड-19 कैसे सुनने की शक्ति को डैमेज करता है, लेकिन इसकी संभावना हो सकती है।'

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डॉ. कोउम्पा ने कहा, 'ये संभव है कि Sars-Cov-2 वायरस कानों के अंदरुनी हिस्से की कोशिकाओं में जाकर उसे क्षतिग्रस्त कर सके या शरीर में साइटोकिन्स नाम के इन्फ्लेमेटरी कैमिकल के रिलीज होने का कारण बन जाए जो कि कान के लिए जहरीला हो सकता है।' उन्होंने कहा कि इन्फ्लेमेटरी कैमिकल्स या साइटोकिन्स के प्रोडक्शन की संभावना को स्टेरॉयड कम करने में मदद कर सकता है। रिसर्च टीम का कहना है कि कोविड-19 मरीज से आईसीयू में कान से जुड़ी समस्या के बारे में पूछा जाना चाहिए था और उसे इमरजेंसी में इलाज के लिए भेजना चाहिए था। डॉ. कॉउम्पा ने कहा, 'एक कान से सुनने की शक्ति खोने का किसी व्यक्ति की जिंदगी पर बड़ा असर पड़ता है।'

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यूनिवर्सिटी ऑफ मैनचेस्टर में ऑडियोलॉजी के प्रोफेसर केविन मुनरो इस शोध का हिस्सा नहीं थे, लेकिन उन्होंने बताया कि खसरा या मम्प्स (कनफेड़) जैसी बीमारियों के लिए जिम्मेदार वायरस कानों को क्षति पहुंचा सकते हैं। उन्होंने बताया कि अपनी टीम के साथ अस्पताल में एडमिट कोविड-19 के मरीजों का सर्वे किया था। सर्वे में 121 में से 16 ऐसे मरीज भी मिले जिन्हें डिस्चार्ज होने के दो महीने बाद सुनने की समस्या होने लगी।