नई दिल्लीः हर माह कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में एक-एक एकादशी तिथि आती हैं। इस तरह साल में कुल 24 एकादशी तिथि पड़ती है। एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है। हर एक एकादशी को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी के नाम से जाना जाता है। इसे भीमसेन एकादशी भी कहा जाता है। ज्येष्ठ माह में अत्यधिक गर्मी पड़ने के कारण इस व्रत का महत्व बढ़ जाता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार निर्जला एकादशी का व्रत करने से सभी एकादशियों के बराबर पुण्य की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक निर्जला एकादशी का व्रत रखने से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। साथ ही व्रत करने वाले साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। मान्यता है कि एकादशी का व्रत रखने से मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।
निर्जला एकादशी का मुहूर्त
ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 10 जून (शुक्रवार) को है। निर्जला एकादशी प्रातः 7 बजकर 25 मिनट से होगी और इसका समापन 11 जून शनिवार को प्रातः 5 बजकर 45 मिनट पर होगा।
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निर्जला एकादशी पर क्या करें
निर्जला एकादशी का व्रत करने से पूर्व मांसाहार का त्याग कर देना चाहिए। साथ ही मदिरा समेत तामसिक भोज्य पदार्थो का सेवन भी नहीं करना चाहिए।
निर्जला एकादशी के दिन व्रती को निर्जल रहना होता है। इसीलिए दशमी को तरल पदार्थ और पानी का सेवन अधिक कर लेना चाहिए। अन्यथा व्रत के दिन आपकी तबियत बिगड़ सकती है।
निर्जला एकादशी का व्रत करने वालों को आत्मसंयम और ब्रह्मचर्य का पालन करना होगा।
निर्जला एकादशी के दिन प्यासे को पानी पिलाना चाहिए और जल से भरा कलश भी दान देना चाहिए। ऐसा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
घर की छत या खुले में किसी पेड़ के नीचे पशु-पक्षियों के लिए पानी और दाना की व्यवस्था करना भी बेहद हितकारी होता है।
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