जसप्रीत बुमराह को भारतीय क्रिकेट टीम की रीढ़ कहा जाए तो गलत नहीं होगा। अपनी मारक गेंदबाजी की वजह से आज उन्हें ‘क्वालिटी बॉलर‘ कहा जा रहा है। क्रिकेट के तीनों प्रारूपों में उन्होंने अपनी एक खास जगह बना ली है। 1993 में जन्मे जसप्रीत जसबीर सिंह बुमराह आज 27 साल के हो गए हैं। अभी उन्हें लम्बे समय तक देश के लिए क्रिकेट खेलनी है। लगभग 4 साल के करियर में ही तेज गेंदबाज बुमराह ने जो मुकाम हासिल कर लिया है, उससे पता चलता है कि जब वह इस खेल को अलविदा कहेंगे तब उनके पास कीर्तिमानों का अंबार लगा होगा। भारतीय टीम आज विदेशी धरती पर भी विजय पताका फहरा रही है तो इसका बहुत कुछ श्रेय बुमराह की पैनी और धारदार गेंदबाजी को जाता है।
एक समय था जब हम अपने घर के शेर कहे जाते थे, यानी अपने मैदानों पर तो हमारी टीम आसानी से जीत जाती थी लेकिन जब विदेश का दौरा होता था तो यह आसानी से घुटने टेक देती थी। न बल्लेबाज चल पाते थे और न गेंदबाज, मगर आज वह परिदृश्य बदल गया है। इसका सबसे बड़ा कारण हमारी गेंदबाजी में पैनापन आना है। सही मायनों में विदेशी पिचों पर तेज गेंदबाज ही मैच जिताते हैं। 1978 में हरियाणा से निकले युवा कपिल देव से यह परंपरा शुरू हुई। उसके बाद श्रीनाथ, वेंकटेश प्रसाद और जहीर खान आए और अब बुमराह इस कड़ी को आगे बढ़ा रहे हैं। क्रिकेट के तीनों प्रारूपों में जसप्रीत बुमराह ने शानदार प्रदर्शन किया है। उनके बिना टीम इंडिया आज अधूरी है। सीमित ओवर के मैचों में तो उनकी गेंदबाजी कमाल की होती है। भारतीय गेंदबाजी आक्रमण को धार देने का काम बुमराह ही करते हैं। गेंदबाजी में विविधता उनकी पहचान बन गई है। वह 140 से 145 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गेंद फेंकते हैं। आइए उनकी उपलब्धियों पर डालते हैं एक नजर।
डेथ ओवरों के स्पेशलिस्ट गेंदबाज
जसप्रीत बुमराह की सबसे बड़ी खूबी डेथ ओवरों में उनकी मारक गेंदबाजी है। सीमित ओवर के मैच में आखिरी ओवरों को डेथ ओवर कहा जाता है। इस दौरान विपक्षी टीम के बल्लेबाज खूब रन बटोरते हैं। उन पर अंकुश लगाना किसी भी गेंदबाज के लिए चुनौती से कम नही होता। भारत के पास ऐसा गेंदबाज नहीं था जो रनों की बारिश को रोक सके, लेकिन जबसे बुमराह का आगमन हुआ है, इस पर नियंत्रण पा लिया गया है। अंतिम ओवरों में कप्तान इसी इरादे से बुमराह को गेंद सौंपता है कि वह प्रतिद्वंद्वी टीम की विस्फोटक बल्लेबाजी पर लगाम कस दें। खास तौर से बुमराह की बेहतरीन यार्कर के आगे कोई भी बल्लेबाज नतमस्तक हो जाता है। यह कला उन्होंने श्रीलंका के घातक गेंदबाज लसिथ मलिंगा से सीखी है। दरअसल, आईपीएल की टीम मुंबई इंडियंस से ही मलिंगा और बुमराह दोनों खेलते रहे हैं। इसका लाभ यह हुआ कि दोनों में अच्छा तालमेल बैठ गया। मलिंगा सीनियर गेंदबाज हैं, उनसे बुमराह ने काफी कुछ सीखा। इसी का परिणाम है कि आज बुमराह को डेथ ओवरों का स्पेशलिस्ट गेंदबाज कहा जा रहा है। आईपीएल हो या देश के लिए खेले जाने वाले अंतर्राष्ट्रीय मैच, सभी में बुमराह ने अपनी यार्कर गेंदबाजी का कमाल दिखाया है।
आईपीएल से निकले युवा बुमराह
2008 में जबसे आईपीएल शुरू हुआ है, भारतीय टीम को कई युवा खिलाड़ी मिलने लगे हैं। यह ऐसा मंच है जिस पर अच्छा प्रदर्शन करके खिलाड़ी खुद को निखार रहे हैं और इसके बाद टीम इंडिया में आने का दावा पेश करते हैं। बुमराह ने 2013 में आईपीएल में मुंबई इंडियंस टीम की ओर से पदार्पण किया। यहीं पर उन्हें श्रीलंका के तेज गेंदबाज मलिंगा का साथ मिला। मुंबई की टीम अभी तक पांच बार आईपीएल की चैंपियन बन चुकी है। बुमराह का योगदान भी इसमें शामिल है। सत्र 2014-15 में चोट की वजह से बुमराह खेल से दूर रहे। आईपीएल में बेहतरीन प्रदर्शन के कारण चयनकर्ताओं ने बुमराह को राष्ट्रीय टीम में शामिल कर लिया। भारतीय क्रिकेट को आईपीएल के सबसे बड़े तोहफे के रूप में बुमराह की प्राप्ति हुई। 2016 में सिडनी में आस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे मैच में मोहम्मद शमी के घायल होने के कारण बुमराह को खेलने का मौका मिल गया। असल में विश्व स्तर पर यहीं से उनके क्रिकेट जीवन का प्रारंभ हुआ। इसके बाद 2017 में इंग्लैंड में हुए चैंपियंस ट्राफी में वह भारतीय टीम का हिस्सा थे, मगर इस प्रतियोगिता में उन्हें अच्छी सफलता नहीं मिली। 5 मैचों में केवल 4 विकेट मिले लेकिन उन्होंने किफायती गेंदबाजी की। इसी टूर्नामेंट से वह डेथ ओवर स्पेशलिस्ट के रूप में उभरे।
टेस्ट मैचों में हुआ पदार्पण
सीमित ओवर के क्रिकेट में तो बुमराह ने आगाज कर दिया था लेकिन टेस्ट कैप मिलने में देर लगी। सवाल यह भी था कि टेस्ट क्रिकेट में वह कितने सफल होंगे क्योंकि यह इस खेल का सबसे लम्बा प्रारूप है, मगर चयनकर्ता कितनों तक उन्हें नजरंदाज करते। 2016-17 में गुजरात को रणजी चैंपियन बनाने में बुमराह की अहम भूमिका रही। इसी के बाद उनका दावा मजबूत हो गया। आखिरकार, 2018 में दक्षिण अफ्रीका जाने वाली टीम में उनका चयन हो गया। वहां तीन टेस्ट मैचों की सीरीज में बुमराह ने तीनों मैच खेले। यही नहीं, अपनी धारदार गेंदबाजी के दम पर वह इस सीरीज की खोज साबित हुए। टेस्ट मैच में उनके पहले शिकार बने धाकड़ बल्लेबाज एबी डिविलियर्स, जिसे बुमराह ने क्लीन बोल्ड किया। अपने पहले ही टेस्ट सीरीज में बुमराह ने कुल 21 विकेट अपनी झोली में डाले। यह एक रिकाॅर्ड बन गया। उस सीरीज में हालांकि भारत को 2-1 से पराजय मिली, लेकिन बुमराह की अगुवाई में टीम इंडिया की गेंदबाजी अव्वल दर्जे की रही। यह पहला मौका था कि भारत ने तीन टेस्ट मैचों में विपक्षी टीम के सभी 60 विकेट चटकाए। हमारे बल्लेबाजों का प्रदर्शन दयनीय रहा, वरना सीरीज का परिणाम कुछ और होता। उस साल इंग्लैंड और आॅस्ट्रेलिया दौरे में भी टेस्ट मैचों में बुमराह ने जोरदार प्रदर्शन किया। उनके खाते में 9 मैचों में कुल 48 विकेट आए। अपने पहले ही टेस्ट सीरीज में किसी भी भारतीय का यह नया रिकाॅर्ड बन गया। अभी तक 14 टेस्ट मैचों में बुमराह ने 68 विकेट झटके हैं।

टेस्ट मैच में बनाई हैट्रिक
किसी भी क्रिकेटर का सपना होता है कि वह हैट्रिक बनाए, यानी लगातार तीन गेंदों में तीन बल्लेबाजों को पवेलियन की राह दिखाना। टेस्ट मैचों में यह कारनामा करना तो महान उपलब्धि कही जाती है। बुमराह ने 31 अगस्त 2019 को किंगस्टन के सबीना पार्क में वेस्टइंडीज के खिलाफ हैट्रिक का सपना पूरा कर लिया। उनका गेंदबाजी विश्लेषण था 27 रन पर 6 विकेट। वह ऐसा करने वाले तीसरे भारतीय बन गए। उनसे पहले हरभजन सिंह और इरफान पठान ने टेस्ट मैचों में हैट्रिक पूरी की थी। अब हम कह सकते हैं कि जसप्रीत बुमराह 5 दिन तक चलने वाले मैच के भी अहम खिलाड़ी बन गए हैं। टेस्ट मैचों में 33 रन देकर 6 विकेट उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है।
वनडे व टी-20 क्रिकेट में मचाई धूम
टेस्ट खेलने से पहले ही बुमराह ने 50 ओवर के वनडे मैचों में अपना जलवा दिखाना शुरू कर दिया था। जनवरी 2016 में ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध सिडनी में उन्होंने पहला वनडे मैच खेला। वनडे में 27 रन देकर 5 विकेट उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। आईसीसी विश्व कप 2019 में बुमराह ने कुल 18 विकेट अपने नाम किए। अपने गेंदबाजों के बूते ही भारत सेमीफाइनल तक पहुंच पाया। बांग्लादेश के खिलाफ मैच में बुमराह ने अंतिम ओवरों में कई विकेट चटका कर भारत को जिता दिया। अभी तक 64 एकदिवसीय मैचों में बुमराह के नाम 104 विकेट हैं। वनडे में 100 विकेटों का आंकड़ा पार करने में बुमराह ने 57 मैच खेले थे। उनसे आगे मोहम्मद शमी हैं जिन्होंने 56 मैचों में यह आंकड़ा छुआ। शार्ट रन-अप से गेंदबाजी एक्शन बुमराह की खासियत है। टी-20 में बुमराह के नाम 49 मैचों में 59 विकेट हैं। कई बार चोट की वजह से उन्हें आराम दिया गया है, वरना भुवनेश्वर या शमी के साथ बुमराह की ही जोड़ी आक्रमण का आगाज करती है।
आईपीएल-13 में किया धमाल
बुमराह की स्विंग गेंदबाजी अच्छे-अच्छे बल्लेबाजों को परेशान कर देती है। इस बार कोरोना महामारी की वजह से आईपीएल के 13वें सत्र का आयोजन संयुक्त अरब अमीरात में हुआ, वरना हर साल गर्मियों में भारत में यह टूर्नामेंट होता है। मंगलवार 10 नवंबर 2020 को फाइनल जीतने का सौभाग्य भी बुमराह की मुंबई इंडियंस को मिला। इस युवा तेज गेंदबाज ने इस आईपीएल में 14 मैचों में 27 विकेट झटके। 14 रन देकर 4 विकेट उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा। इससे पहले 2017 के आईपीएल सत्र में बुमराह ने 20 विकेट झटके थे। इस तरह बुमराह ने अब तक आईपीएल में 92 मैचों में कुल मिलाकर 109 शिकार कर लिये हैं। इस रिकाॅर्ड को देखकर अंदाज लगाया जा सकता है कि बुमराह ने किस तरह की गेंदबाजी की है। मुंबई की टीम 5 पर आईपीएल का खिताब जीत चुकी है। निश्चित रूप से इसमें बुमराह की खतरनाक गेंदबाजी का योगदान भी शामिल है। इस बार विदेशी पिचों पर उनके जोड़ीदार न्यूजीलैंड के ट्रेंड बोल्ट थे। मलिंगा उपलब्ध नहीं थे, इसलिए सारा दारोमदार बुमराह और बोल्ट की जोड़ी पर था।
एक सभ्य खिलाड़ी की पहचान
भारत के जसप्रीत बुमराह की एक और विशेषता उन्हें अन्य तेज गेंदबाजों से अलग करती है, वह है मैदान पर उनका सभ्य व्यवहार। विकेट चटकाने के बाद उनका रिएक्शन बल्लेबाज को चिढ़ाने वाला नहीं होता, जबकि आम तौर पर विदेशी गेंदबाज ऐसा ही करते हैं। खास तौर से आॅस्ट्रेलिया के खिलाड़ी स्लेजिंग में माहिर हैं। वे विपक्षी टीम पर दबाव बनाने के लिए हर जतन करते हैं, मगर बुमराह को कभी ऐसा करते नहीं देखा गया। मैदान से बाहर भी यह क्रिकेटर किसी विवाद में अभी तक नहीं पड़ा। आम तौर पर कई खिलाड़ी विज्ञापन आदि की वजहों से विवाद में फंस जाते हैं। बुमराह के शानदार खेल पर दर्शक जहां झूम उठते हैं वहीं कमेंटेटर भी बूम-बूम बुमराह कहकर उनकी दाद देते हैं। भारतीय टीम इस समय ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर है। वहां बुमराह के प्रदर्शन पर सबकी नजर रहेगी, यदि यहां भी बुमराह का जादू चला तो टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया को चारो खाने चित करके लौटेगी।
आदर्श प्रकाश सिंह