
मुम्बईः बॉम्बे हाई कोर्ट ने गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व विधायक नरेंद्र मेहता के मीरा रोड पर स्थित 'सेवन इलेवन' क्लब में किए गए अवैध निर्माण को दो महीने के अंदर तोड़ने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति मकरंद कार्णिक की पीठ ने अपने आदेश में यह भी कहा कि क्लब को दी गई बढ़ी हुई एफएसआई गलत थी। हाई कोर्ट के इस फैसले से पूर्व विधायक नरेंद्र मेहता की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
हाई कोर्ट में सामाजिक कार्यकर्ता फैयाज मुल्लाजी की ओर से पूर्व विधायक के सेवन इलेवन क्लब में हुए अवैध निर्माण के विरुद्ध 2021 में एक जनहित याचिका दायर की गई थी। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा था कि मीरा भाईंदर नगर निगम ने इस क्लब में किए गए अवैध निर्माण को बचाने के लिए जिस अतिरिक्त एफएसआई (फ्लोर ए इंडेक्स स्पेस /चटई क्षेत्र) दिखा रहा है, वह पूरी तरह से गलत है। मीरा भाईंदर नगर निगम ने अतिरिक्त एफएसआई इस क्लब को इसके पास से राष्ट्रीय राजमार्ग जाने के नाम पर दिया है जबकि मौके पर राष्ट्रीय राजमार्ग है ही नहीं।
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इस मामले की सुनवाई मार्च महीने में मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायाधीश मकरंद कार्णिक की खंडपीठ के समक्ष हुई थी। उस समय याचिकाकर्ता की ओर से वकील राकेश अग्रवाल और नरेंद्र मेहता की ओर से वकील तरुण शर्मा ने अपना पक्ष रखा था। हाईकोर्ट ने उस समय दोनों पक्षों की जिरह के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायाधीश मकरंद कार्णिक की खंडपीठ ने अपना फैसला सुनाया है।
तीन साल पहले भी दायर हुई थी याचिका-
सामाजिक कार्यकर्ता धीरज परब ने भी वर्ष 2019 में हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसमें याचिकाकर्ता ने कहा था कि मीरा रोड के कनकिया पार्क में मैंग्रोव को काटकर नगर निगम के अधिकारियों की मिलीभगत से सेवन इलेवन नाम के इस आलीशान क्लब का निर्माण करीब 3.5 एकड़ के क्षेत्र में किया गया था। इस आलीशान क्लब का निर्माण वर्ष 2018 में पूरा हुआ था। इस क्लब में तत्कालीन विधायक नरेंद्र मेहता, उनके भाई विनोद मेहता और मेहता के साले रजनीकांत सिंह की पार्टनरशिप है। याचिकाकर्ता ने यहां कांदलवन की कटाई, पर्यावरण को हुए नुकसान और व्यायामशाला के नाम पर क्लब और लग्जरी होटल बनाए जाने की जानकारी भी कोर्ट को अपनी याचिका के माध्यम से दी थी।
इस याचिका की सुनवाई वर्ष 2019 में बॉम्बे हाई कोर्ट के न्यायाधीश रंजीत मोरे और न्यायाधीश एनजे जमादार की खंडपीठ के समक्ष हुई थी। उस समय खंडपीठ ने 7-इलेवन क्लब पर आपराधिक मामला दर्ज करने का आदेश दिया था। इस मामले की शिकायत केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय में भी की गई है। केंद्रीय पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के अनुसार नो डेवलपमेंट जोन और तटीय क्षेत्र के 200 मीटर के दायरे में निर्माण कार्य नहीं किया जा सकता है। यदि यहां कोई निर्माण है तो इसके लिए संबंधित विभाग की अनुमति लेना आवश्यक है। आरटीआई कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि पूर्व विधायक ने सेवन इलेवन क्लब का निर्माण करने से पहले इस तरह की कोई अनुमति नहीं ली थी।
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