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माया की तानाशाही में बिखर रही बसपा

BSP

लखनऊः बहुजन समाजवादी पार्टी में एक बार फिर बगावत के पटाखे फूट पड़े हैं। इस बार राज्यसभा चुनाव से ठीक पहले उसके 7 विधायकों ने बगावत कर सपा का दामन थाम लिया है, जिससे बसपा मुखिया मायावती को करारा झटका लगा है। अब लोग बसपा की सोशल इंजीनियरिंग पर भी सवाल खड़े करने लगे हैं।

दरसअल, बहुजन समाज पार्टी में इससे पहले भी कई बार फूट पड़ चुकी है। बसपा की मुखिया मायावती को भले ही इस बार विधायकों की बगावत ज्यादा खल रही है, लेकिन वह पहले हुई घटनाओं से सबक नही लेना चाहती हैं। बीएसपी के बड़े नेता पार्टी का दामन छोड़कर दूसरी पार्टियों में शामिल हो चुके हैं। माना जा रहा है कि बहुजन समाज पार्टी की मुखिया के तानाशाही रवैये को उनके विधायक पसंद नहीं करते हैं।

वह अपनी बात बसपा नेता के सामने रखकर पार्टी को मजबूत करने के लिए कुछ प्रयास भी करना चाहते हैं, लेकिन उनकी सुनवाई ही नहीं होती। यहां तक कि वह किसी प्रकार के कार्यक्रम भी नही कर सकते हैं। मीडिया के सामने या किसी मंच पर बोलने की अनुमति भी उनको नहीं दी जाती है। यहां तक कि वह मीडिया प्रभारी भी नहीं बनाती हैं। यही नहीं पार्टी में किसी प्रकार का मनोनयन भी जल्द नहीं किया जाता है। यदि होता भी है तो उसे तवज्जो नहीं दी जाती है।

बसपा ने कभी भाजपा से हाथ मिलाया था, लेकिन तमाम विधायकों की राय लिए बिना उससे नाता तोड़ भी लिया था। यही हाल तब हुआ जब भाजपा को हराने के लिए बसपा ने अपनी धुर-विरोधी पार्टी सपा से नाता जोड़ लिया। तमाम विधायक नहीं चाह रहे थे कि बसपा का साथ सपा के साथ हो। इसके बाद भी अपनी तानाशाहपूर्ण रवैये के चलते ही मायावती ने अखिलेश यादव के साथ मंच साझा किया था। इस बार भी यूपी विधानसभा के उपचुनाव के दौरान कई विधायक जब सपा की ओर खिसक रहे हैं तो मायावती ने बिना किसी बैठक के निर्णय कर लिया कि वह सपा को हराने के लिए भाजपा को फायदा दे सकती हैं।

यही नहीं अपनी विरासत भी संभालने के लिए उन्होंने अपने परिवार को ही मौका दिया है। यह बात भी किसी को पसंद नहीं आई। बसपा के एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया है कि अगर बसपा की सरकार बन भी जाए तो उपमुख्यमंत्री कोई नहीं होगा। वह मुख्यमंत्री खुद बनेंगी या परिवार के सदस्य को बनाएंगी। खास मंत्री पद भी उनके पास ही रहेंगे। सारे निर्णय भी वह खुद ही करती हैं। ऐसे हालातों में दूसरी पार्टी में बड़े नेताओं का जाना लगातार जारी है। हालांकि अनुशासनहीनता तथा पार्टी विरोधी गतिविधियों के मामले में वह अन्य पार्टी से बेहतर हैं।

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बड़े-बड़े नेताओं को बाहर का रास्ता दिखा चुकीं बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती अब एक बार फिर बड़े एक्शन की तैयारी में हैं। राज्यसभा चुनाव में पार्टी के प्रत्याशी रामजी गौतम के प्रस्तावक के तौर पर अपना नाम वापस लेने वाले चार विधायक बसपा सुप्रीमो के निशाने पर पहले दिन से ही थे। यही कारण है कि गुरुवार 29 अक्टूबर को उन्होंने 07 विधायकों को पार्टी से निलंबित कर दिया था। उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग दूसरी पार्टी में गए या जाने की कोशिश कर रहे थे, उनको पार्टी ने निलंबित किया है। अब उनकी विधायकी भी छिनेगी।