लखनऊः उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि फाइलेरिया उन्मूलन पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। राज्य सरकार आज से 27 जिलों में मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम शुरू कर रही है। इसके तहत लोगों को फाइलेरिया रोधी दवाएं दी जाएंगी। ये दवाइयां स्वास्थ्य कार्यकर्ता घर-घर जाकर और बूथों के माध्यम से खिलाएंगे। उपमुख्यमंत्री गुरुवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया द्वारा मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) कार्यक्रम के उद्घाटन के अवसर पर स्वास्थ्य क्षेत्र में राज्य सरकार की उपलब्धियों के बारे में वर्चुअली जानकारी दे रहे थे।
ब्रजेश पाठक ने कहा कि राज्य सरकार 2027 तक फाइलेरिया उन्मूलन के लक्ष्य को हासिल करने के लिए हर संभव प्रयास करेगी। उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि राज्य के 17 जिलों में दो-दो दवाएं (डीईसी और एल्वेंडाजोल) दी जाएंगी। इन जिलों में औरैया, बहराईच, बलरामपुर, बस्ती, देवरिया, इटावा, फर्रुखाबाद, गाजीपुर, गोंडा, गोरखपुर, कन्नौज, कुशीनगर, महराजगंज, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर, संत कबीरनगर और सुल्तानपुर शामिल हैं। शेष 10 जिलों में तीन दवाएं (डीईसी, एल्वेंडाजोल और आइवरमेक्टिन) दी जाएंगी। इन जिलों में चंदौली, फतेहपुर, हरदोई, कानपुर नगर, कानपुर देहात, मिर्जापुर, कौशांबी, रायबरेली, लखीमपुर खीरी और सीतापुर शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि फाइलेरिया के खिलाफ यह अभियान 28 अगस्त तक 27 जिलों में चलाया जायेगा। कार्यक्रम के शुभारंभ के मौके पर राज्य मंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह, प्रधान सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा समेत विभागीय अधिकारियों के साथ उपमुख्यमंत्री ने खुद भी फाइलेरिया की दवा खाई। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि फाइलेरिया से संक्रमित होने के बाद मरीज का पूरा जीवन कष्ट और कठिनाई में बीतता है। फाइलेरिया से जुड़ी विकलांगताएं अक्सर सामाजिक बहिष्कार का कारण बनती हैं। रोग से प्रभावित व्यक्ति की कार्यक्षमता भी कम हो जाती है। इसका असर आजीविका और आर्थिक प्रगति दोनों पर पड़ता है।