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चीन से गतिरोध खत्म करने को घंटों चला मंथन, CDS, NSA सहित सैन्य अधिकारी हुए शामिल

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नई दिल्ली: भारत-चीन के बीच लद्दाख सीमा पर चल रहे तनाव और हालात के बारे में संसद के दोनों सदनों को अवगत कराने के बाद शुक्रवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उच्चस्तरीय बैठक की। भारत और चीन के बीच कोर कमांडर स्तर की रुकी वार्ता अगले 2-3 दिनों में होने की उम्मीद जताई गई है। यह बैठक भारतीय सीमा क्षेत्र चुशुल में होगी जिसमें भारतीय और चीनी कोर कमांडर 6वें दौर की वार्ता के लिए आमने-सामने बैठेंगे। गहन विचार मंथन के लिए चीन में भारत के राजदूत विक्रम मिश्री भी दिल्ली पहुंचे हैं।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा और राज्यसभा में चीन विवाद पर विस्तार से बयान देकर बताया है कि लद्दाख सीमा पर हालात गंभीर हैं, लेकिन भारतीय सेना हर परिस्थिति के लिए तैयार है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत इस विवाद को बातचीत और शांति से सुलझाना चाहता है, लेकिन अगर चीन इसके लिए नहीं तैयार होता है तो भारतीय सेना हर चुनौती के लिए तैयार हैं। रक्षा मंत्री की अगुवाई में हुई इस बैठक में विदेश मंत्री एस. जयशंकर, सीडीएस बिपिन रावत, एनएसए अजित डोभाल के अलावा कई अन्य बड़े अधिकारी और मंत्री भी शामिल हुए। बैठक में लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक एलएसी के मौजूदा हालात और आने वाली तैयारियों पर मंथन किया गया है।

दोपहर तीन बजे शुरू हुई यह उच्च स्तरीय बैठक कई घंटे चली जिसमें भविष्य की रणनीति पर चर्चा की गई। यह बैठक हाल ही में भारत-चीन के रक्षा मंत्रियों और विदेश मंत्रियों के बीच रूस में हुई द्विपक्षीय वार्ता के बाद पहली थी। चीन से हुई अलग-अलग वार्ता के बारे में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने चीन के सामने रखे गए मुद्दों पर चर्चा की। इस बात पर भी चर्चा हुई कि द्विपक्षीय वार्ताओं में चीन ने अग्रिम चौकियों पर तैनाती हटाने और उचित दूरी बनाते हुए तनाव कम करने के लिए सहमति जताई है, लेकिन जमीनी हालात इससे अलग दिखाई देते हैं। इसलिए भारत और चीन के कोर कमांडरों के बीच रुकी हुई वार्ता को फिर से आगे बढ़ाने का फैसला लिया गया। इसीलिए चीन में भारत के राजदूत विक्रम मिश्री परामर्श के लिए दिल्ली में हैं। चाइना स्टडी ग्रुप ने भी आज दिल्ली में मुलाकात की है।

इससे पहले सैन्य वार्ता 02 अगस्त को सुबह 11 बजे से चीन की ओर स्थित मॉल्डो में वार्ता हुई थी। लगभग 10 घंटे से ज्यादा चली इस बैठक में चीन और भारत के कॉर्प्स कमांडरों ने पूर्वी लद्दाख के डेप्सांग मैदानी क्षेत्र, पैंगॉन्ग झील और गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स एरिया के विवादित मुद्दों पर चर्चा की थी। इसके बाद से लद्दाख में भारतीय और चीन सीमा के बीच लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर हालात जंग की तरह लग रहे हैं। सीमा रेखा पर छह विवादित जगहों पर दोनों देशों की सेनाएं महज कुछ दूरी पर आमने-सामने हैं। सबसे गरम माहौल पैन्गोंग झील के दक्षिणी ओर है, जहां मुखपारी चोटी पर सिर्फ 170 मीटर और रेजांग लॉ में 500 मीटर की दूरी पर चीनी और भारतीय सैनिक हैं।

यह भी पढ़ेंः-गठन से पहले ही विवादों में घिरा यूपी एसएसएफ भारतीय सीमा क्षेत्र चुशुल में भारतीय सेना के 'ऑपरेशन स्नो लेपर्ड' के बाद यह 6वीं कोर कमांडर वार्ता होगी। इसमें भारत की ओर से सेना की 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह और चीन की तरफ से दक्षिण शिनजियांग के सैन्य जिला प्रमुख मेजर जनरल लियू लिन फिर आमने-सामने बैठेंगे। दोनों सैन्य अधिकारियों के सामने एलएसी के दोनों तरफ तैनात हजारों सैनिकों और हथियारों को पीछे करना असल चुनौती है। बैठक में यह भी फैसला लिया गया कि भारत आगामी वार्ता में पिछली बैठकों में हुई सहमतियों को आगे बढ़ाने और सेनाओं को पीछे करने पर ध्यान केंद्रित करेगा।कोर कमांडरों के बीच होने वाली बैठक की तारीख अभी फाइनल नहीं है, लेकिन अगले 2-3 दिनों में वार्ता के लिए भारतीय और चीनी कोर कमांडरों के मिलने की संभावना है।