उत्तर प्रदेश बिहार

बिहार चुनाव में राममंदिर की एंट्री, बदलेंगे समीकरण

Uttar Pradesh Chief Minister Yogi Adityanath addresses a gathering during an election meeting
लखनऊः बिहार के सियासी संग्राम में विकास और जातिवाद के बाद अब राम मंदिर की एंट्री भी हो गई है। मंगलवार को यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ताबड़तोड़ तीन सभाएं कर जनता को रिझाने की भरपूर कोशिश की। उन्होंने राम मंदिर के निर्माण का मुद्दा उठाकर लोगों को भावनात्मक रूप से एनडीए के पक्ष में करने की कोशिश की।

रैलियों में योगी ने विपक्ष पर भी जमकर हमला बोला। उन्होंने रामगढ़ की जनता को संबोधित करते हुए कहा कि हमने वादा किया था, पाकिस्तान में आतंकियों को घुसकर मारेंगे। हमने वादा किया था कि भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर भी बनवाएंगे। जिसे हमने पूरी दृढता के साथ पूरा किया। उन्होंने कहा कि हमने जनता का काम भी किया और राम का भी।

कैमूर के रामगढ़ में सीएम योगी ने कहा कि कोरोना काल में मोदी और नीतीश की सरकार ने गरीबों के हित के लिए काम किया। नीतीश के कार्याें को सराहते हुए कहा कि गरीबों के लिए गरीब कल्याण रोजगार योजना की शुरुआत वर्तमान सरकार ने की थी। उन्होंने किसी का नाम तो नहीं लिया लेकिन निशाना लालू यादव पर था।

योगी ने कहा कि एक तरफ विकास की योजनाओं को लोकार्पित करने वाली सरकार है तो दूसरी तरफ जाति और नरसंहार करवाने वाली पार्टी हैं। उन्होंने रैली में केंद्र सरकार की जमकर उपलब्धियां गिनाईं। योगी बोले कि मोदी सरकार ने पिछले 6 वर्षों में बिना भेदभाव के काम किया। आम जनमानस की योजनाओं को लाभ देने में जाति। मजहब नहीं पूछा और सबको साथ लेकर चले। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और उसकी सहयोगी राजद के एजेंडे में गरीब कल्याण नहीं था। उनके एजेंडे में परिवार था। राजद के पोस्टर में 4 के अलावा पांचवे की कोई जगह नहीं है।

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भैंस और गाय का खा गए चारा

रैलियों में योगी आदित्यनाथ ने भ्रष्टाचार पर भी जमकर हमला बोला। कहा कि राजद के नेतृत्व में यहां तो नेत गाय-भैंस का चारा भी खा गए थे। उन्होंने कहा कि याद कीजिए, नीतीश कुमार से पहले राजद की सरकार थी। बिहार का नौजवान अपनी पहचान बताने के लिए सकुचाता था।

योगी ने भगवान विष्णु का भी किया जिक्र

अरवल विधानसभा में वन्दे मातरम् के जयघोष से सीएम योगी आदित्यनाथ ने जनसभा की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि अरवल की ये धरती भगवान विष्णु की है। इसीलिए यहां दुनियाभर के लोग अपने पितरों का तर्पण करने आते हंै। भगवान बुद्ध ने भी ज्ञान प्राप्ति के लिए इसी धरती को चुना था।