भुवनेश्वर नगर ओडिशा प्रदेश की राजधानी है, जिसे शिव मंदिरों का नगर कहा जाता है। माना जाता है कि पहले यहां लगभग 7,000 शिव मंदिर थे लेकिन अब इनकी संख्या लगभग 500 है। तीर्थों में ‘बिन्दु सरोवर’ और ‘ब्रह्मकुण्ड’ प्रमुख है, जहां स्नान करने का बड़ा महात्म्य है परंतु सरोवरों की जीर्ण अवस्था होने से इनका आकर्षण आहिस्ता-आहिस्ता घटता जा रहा है। बिन्दु सरोवर के संदर्भ में कहा जाता है कि इसमें सभी तीर्थों का जल समाहित किया गया था। सरोवर के मध्य में एक मंदिर है, जहां वैशाख माह में ‘चंदन यात्रा’ का उत्सव होता है।
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— IndiaToday (@IndiaToday) March 27, 2024
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कैसा है शिव का भव्य मंदिर
सरोवर के चारों ओर अनेक मंदिर हैं। इसी सरोवर के पास ही ब्रह्म कुण्ड है, जिसमें गौमुख से जल गिरकर बाहर जाता है। श्री लिंगराज मंदिर भुवनेश्वर का प्रमुख मंदिर है। श्री लिंगराज का नाम ही भुवनेश्वर है। इस मंदिर का निर्माण ललाटेन्दु केशरी द्वारा संवत् ई. 617-657 में कराया गया था। मंदिर की कलाकृति अत्यंत उच्च कोटि की है। मंदिर के सिंह द्वार से प्रवेश करने पर सबसे पहले गणेश जी का मंदिर मिलता है। आगे नंदी स्तम्भ है और फिर मुख्य मंदिर है, जिसकी निर्माण कला दर्शनीय है। मंदिर में प्रतिष्ठित श्री लिंगराज का चपटा अगढ़ित श्री विग्रह है। यह वास्तव में बुद-बुद लिंग है और एक बड़ी गोलाकार पीठिका के मध्य में स्थित है।
यह चक्राकार होने से ‘हरि-हरात्मक’ लिंग माना जाता है और ऐसा
मानकर ही इनकी पूजा ‘‘हरि हर’’