कोलकाता: कलकत्ता उच्च न्यायालय की एकल-न्यायाधीश पीठ ने सोमवार को पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी द्वारा दायर जमानत याचिका खारिज कर दी। पश्चिम बंगाल के स्कूलों में नौकरी के बदले करोड़ों रुपये की उगाही करने के मामले में ईडी द्वारा गिरफ्तारी के बाद चटर्जी 21 महीने जेल में बिता चुके हैं।
जमानत का क्या था तर्क
ट्रायल कोर्ट में कई बार जमानत से इनकार किए जाने के बाद चटर्जी ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति तीर्थंकर घोष की एकल-न्यायाधीश पीठ से संपर्क किया था। यह मामला 23 अप्रैल को न्यायमूर्ति घोष की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आया।
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न्यायमूर्ति घोष ने मंगलवार के लिए फैसला सुरक्षित रख लिया और फैसला सुनाया कि चटर्जी की जमानत याचिका खारिज कर दी गई है। चटर्जी के वकील ने तर्क दिया कि उनके मुवक्किल का उनकी करीबी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी के आवास से बरामद भारी मात्रा में नकदी से कोई संबंध नहीं है और इसलिए उन्हें जमानत दी जानी चाहिए। वकील ने अपने मुवक्किल की ओर से चिकित्सा आधार पर जमानत की भी मांग की।
ईडी ने क्या कहा
हालांकि, ईडी के वकील ने कई बिंदुओं का हवाला देते हुए जमानत याचिका का विरोध किया, जो पार्थ चटर्जी और अर्पिता मुखर्जी के बीच घनिष्ठ संबंधों की ओर इशारा करते हैं। ईडी के वकील ने यह भी तर्क दिया कि चटर्जी एक बच्चे की वित्तीय जिम्मेदारी लेने को तैयार थे, जिसे अर्पिता गोद लेना चाहती थी।
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