चेन्नईः मां-बाप बच्चों का सहारा होते हैं। उन्हें अच्छी परवरिश से लेकर अच्छी शिक्षा देने की जिम्मेदारी वे भलीभांति पूरी करते हैं। लेकिन एक समय आता है जब बुजुर्ग माता-पिता की याद्दाश्त कमजोर पड़ने लगती है। इस बीमारी को डिमेंशिया कहते हैं, जो बुजुर्गों में होने का खतरा रहता है। डिमेंशिया में पीड़ित व्यक्ति अपने जीवन में बिताये तमाम हसीन पलों से लेकर उन शख्सों की भी सिर्फ एक धूमिल छवि ही उनके मस्तिष्क में रहती है। कई बार वे अपने घर से बाहर चले जाते हैं और भटक जाते हैं। याद्दाश्त कमजोर होने के कारण वे अपने घर का पता व अपनी पहचान भी बताने में असमर्थ होते हैं। इस समस्या का हल तमिलनाडु पुलिस ने ढूंढ निकाला है।
तमिलनाडु की ग्रेटर चेन्नई पुलिस जल्द ही ऐसा बैंगल उन बुजुर्गों की कलाइयों पर पहनायेगी, जिनकी याद्दाश्त कमजोर है। इस खास बैंगल की खासियत है कि इस पर उनके करीबी रिश्तेदार का नंबर लिखा होगा, जिससे जरूरत पड़ने पर बात की जा सकेगी। ग्रेटर चेन्नई पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने जानकारी दी कि अरुंबक्कम पुलिस स्टेशन इस पर एक पायलेट प्रोजेक्ट शुरू करेगा और सफल रहने पर इस प्रोजेक्ट को पूरे निगम सीमा तक बढ़ाया जायेगा।
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पुलिस ने तैयार की बुजुर्गों की सूची-
अरुम्बक्कम पुलिस अपने इस प्रोजेक्ट को शुरू करने को तैयार है। इसके लिए सबसे पहले आस-पास रहने वाले सभी बुजुर्गों की सूची तैयार कर ली गई है। अब इनमें से उन बुजुर्गों को ये बैंगल दी जायेगी, जिनकी याद्दाश्त कमजोर है। इससे वे किसी परिस्थिति में अगर भटक गये तो उनसे मिलने वाला व्यक्ति उनके रिश्तेदार से फोन पर संपर्क कर सकेगा और वे सुरक्षित घर पहुंच सकेंगे। यही नहीं, इस प्रोजेक्ट से पुलिस उन सभी लोगों का रिकाॅर्ड भी रख सकेगी, जिन्हें पुलिस की मदद की जरूरत है।
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