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Sawan 2023: रावण ने की थी इस शिवलिंग की स्थापना, पंचशूल की जानें महिमा

Sawan 2023: Ravana had established this Shivling, know the glory of Panchshul
deoghar-baba-baidhyanath-mandir-panchshool देवघर: झारखंड के देवघर जिले में स्थित रावणेश्वर बाबा वैद्यनाथ धाम ज्योतिर्लिंग सभी 12 ज्योतिर्पीठों से अलग महत्व रखता है। देश के अन्य ज्योतिर्लिंगों में भी दर्शन पूजन का विधान है। वहीं बैद्यनाथ धाम (Baidyanath Dham) अपने आप में अलग-अलग मान्यताओं के कारण जाना जाता है। शास्त्रीय विद्वान बताते हैं कि यहां ज्योतिर्लिंग की स्पर्श पूजा का विधान प्रचलित है। कहा जाता है कि इस ज्योतिर्लिंग (Baidyanath Dham) की पूजा स्पर्श करके की जाती है, "पंचशूल" के स्पर्श मात्र से ही भक्तों की हर मनोकामना पूरी हो जाती है, जिसके कारण इसे मनोकामना ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है। शास्त्रीय विद्वानों, धर्माचार्यों का कहना है कि ज्योतिर्लिंग की पूजा का महत्व शिवपुराण में बताया गया है, जिसमें कहा गया है कि यदि कोई लगातार छह महीने तक शिव ज्योतिर्लिंग की पूजा करता है, तो उसे पुनर्जन्म का कष्ट नहीं उठाना पड़ता है। बैद्यनाथ मंदिर के शिखर पर लगे पंचशूल को लेकर धार्मिक विद्वानों के अलग-अलग मत हैं। ऐसी मान्यता है कि त्रेता युग में रावण की लंकापुरी के प्रवेश द्वार पर पंचशूल सुरक्षा कवच के रूप में स्थापित था। मंदिर के तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है कि रावण पंचशूल यानी सुरक्षा कवच को भेदना जानता था, जबकि वह भगवान राम के वश में भी नहीं था। जब विभीषण ने भगवान राम को यह युक्ति बताई, तभी श्रीराम और उनकी सेना लंका में प्रवेश कर सके। शास्त्रीय विद्वान बताते हैं कि पंचशूल के सुरक्षा कवच के कारण ही बाबा बैद्यनाथ (Baidyanath Dham) स्थित यह मंदिर आज तक किसी भी प्राकृतिक आपदा से प्रभावित नहीं हुआ है। ये भी पढ़ें..Amarnath Yatra को लेकर भक्तों में भारी उत्साह, 16वें दिन 20,800 से ज्यादा श्रद्धालु ने किए पवित्र गुफा के दर्शन

साल में एक बार उतारे जाते हैं पंचशूल

पंडितों का कहना है कि पंचशूल का दूसरा कार्य मानव शरीर में मौजूद पांच विकारों- काम, क्रोध, लोभ, मोह और ईर्ष्या को नष्ट करना है। पंडित राधा मोहन मिश्र ने इस पंचशूल को पंचतत्वों क्षिति, जल, पावक, गगन और समीर से बना मानव शरीर का द्योतक बताया है। मंदिर के पंडों के अनुसार, मुख्य मंदिर में स्वर्ण कलश के ऊपर लगे पंचशूल सहित सभी 22 मंदिरों को साल में एक बार हटा दिया जाता है।

मंदिर प्रांगण में स्थित हैं 22 मंदिर

72 फीट ऊंचे शिव मंदिर के अलावा केंद्रीय प्रांगण में 22 अन्य मंदिर भी स्थापित हैं। इस प्रांगण में प्रवेश के लिए एक घंटा, एक चन्द्रकूप तथा एक विशाल सिंह द्वार है। लंकाधिपति रावण द्वारा स्थापित इस मनोकामना लिंग को रावणेश्वर बाबा बैद्यनाथ धाम (Baidyanath Dham) के नाम से भी जाना जाता है। श्रावण माह में यहां विश्व का सबसे लंबा मेला भी लगता है, जो 105 किलोमीटर दूर उत्तरवाहिनी मंदाकिनी से कंधे पर जल लेकर बाबा बैद्यनाथ का जलाभिषेक करते हैं। (अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)