केंद्र सरकार ने आयुष को व्यापक आधार पर प्रोत्साहित किया है। आयुर्वेद दुनिया के लिए भारत की धरोहर है। इसके साथ ही अन्य चिकित्सा पद्धतियों की भी आवश्यकता रहती है। भारत में इन सबके समन्वय के साथ जन सामान्य को चिकित्सा का लाभ मिल सकता है। नरेन्द्र मोदी सरकार ने इस तथ्य को समझा है। उसी के अनुरूप अभियान शुरू किया है। आत्मनिर्भर भारत अभियान में इसका महत्वपूर्ण योगदान है। भारत में जनसंख्या के अनुरूप चिकित्सकों की बहुत कमी रही है। इसके लिए आजादी के बाद ही विशेष कार्ययोजना की आवश्यकता थी। मगर इस पर वर्तमान केंद्र सरकार ने ध्यान देकर इस कमी को दूर करने पर ध्यान दिया। इसके लिए अभियान चलाया जा रहा है। अनेक राज्यों ने केंद्र के साथ बेहतर समन्वय किया। उन्होंने विगत कुछ वर्षों में बेहतर कार्य किया है। कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कांग्रेस सरकारों पर स्वास्थ्य क्षेत्र की अनदेखी का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि देश में चिकित्सकों की कमी से सभी परिचित थे। लेकिन इस समस्या पर पूर्ववर्ती सरकारों ने ध्यान नहीं दिया। जबकि भविष्य उन समाजों का होगा जो स्वास्थ्य सेवा में निवेश करते हैं। इसके अंतर्गत नरेन्द्र मोदी ने गांधीनगर वैश्विक आयुष निवेश एवं नवाचार शिखर सम्मेलन का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि आयुष के क्षेत्र में निवेश और इनोवेशन की संभावनाएं असीमित हैं और भारत में स्टार्टअप का स्वर्ण युग शुरू हो चुका है। कुछ समय पहले प्रधानमंत्री मोदी ने तमिलनाडु के विभिन्न हिस्सों में चार हजार करोड़ रुपये की लागत से तैयार हुये ग्यारह नए मेडिकल कॉलेजों का लोकर्पण किया था। इससे साफ है कि कोरोना महामारी से सबक लेते हुए सभी देशवासियों को समावेशी और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं सुनिश्चित करने के लिए काम किया जा रहा है।
आयुष्मान भारत स्वास्थ्य योजना के रूप में गरीबों के पास उच्च गुणवत्ता और सस्ती स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध है। देश में घुटना प्रत्यारोपण और स्टेंट की लागत पहले के मुकाबले एक तिहाई हो गई है। मेडिकल शिक्षा के लिए नरेन्द्र मोदी सरकार ने अनेक कदम उठाए हैं। सात वर्ष पहले 396 मेडिकल कॉलेज थे। पिछले सात वर्षों में ही यह संख्या बढ़कर करीब 600 हो गई है। यह 54 प्रतिशत की वृद्धि है। सात वर्ष फ्लड लगभग 82 हजार मेडिकल अंडर ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट सीटें थीं। पिछले सात सालों में यह संख्या बढ़कर करीब एक लाख 48 हजार सीटों पर पहुंच गई है। यह करीब 80 प्रतिशत की बढ़ोतरी है। सात वर्ष पहले देश में सिर्फ सात एम्स थे। अब स्वीकृत एम्स की संख्या 22 हो गई है। चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र को और अधिक पारदर्शी बनाने के लिए विभिन्न सुधार किए गए हैं। भारत को गुणवत्ता और सस्ती स्वास्थ्य सेवा की दिशा में बढ़ रहा है। इसी प्रकार नरेन्द्र मोदी ने उत्तर प्रदेश में एक साथ नौ जिलों में नए मेडिकल कॉलेजों का लोकार्पण किया था। इस कार्यक्रम का आयोजन सिद्धार्थ नगर में किया गया था। यह उत्तर प्रदेश के लिए राज्य के लिए ऐतिहासिक अवसर था। चिकित्सकों की संख्या बढ़ाने, चिकित्सा सुविधाओं के विस्तार और बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश के सभी जनपदों में मेडिकल कॉलेज निर्माण की योजना संचालित है। इस योजना को कोरोना कालखंड में भी तेजी से क्रियान्वित किया गया। इस कारण नौ जनपदों में मेडिकल कॉलेजों के निर्माण संभव हुआ।
उत्तर प्रदेश सरकार ने पांच वर्ष में 33 मेडिकल कॉलेज निर्माण का कीर्तिमान बनाया है। गांधीनगर आयुष शिखर सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जुगनाथ और विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टेड्रोस अदनाम घेब्रेसस भी सहभागी थे। तीन दिवसीय शिखर सम्मेलन देश के प्रमुख नीति निर्माताओं,उद्यमियों, निवेशकों,स्टार्टअप और अन्य राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय हितधारकों को नवाचार पर विचार किया गया। भारत को उद्यमिता के लिए वैश्विक जीवनदायिनी बनाने की दिशा में कार्य करने का निर्णय लिया गया।आयुष क्षेत्र में पहली बार इस प्रकार का शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया । नरेन्द्र मोदी ने कहा कि कोरोना आपदा के दौरान निवेश शिखर सम्मेलन का विचार आया। सभी ने देखा कि कैसे आयुर्वेदिक दवाएं, आयुष काढ़ा और ऐसे कई उत्पाद लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायक है। आयुष के क्षेत्र में निवेश और इनोवेशन की संभावनाएं असीमित हैं। आयुष दवाओं,पूरक और सौंदर्य प्रसाधनों के उत्पादन में अभूतपूर्व हुई हैं। सात वर्ष पहले आयुष सेक्टर तीन अरब डॉलर से भी कम था। आज यह बढ़कर 18 अरब डॉलर से अधिक हो गया है। आयुष मंत्रालय ने पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र में स्टार्टअप संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं।
कुछ दिन पहले अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान के विकसित एक इन्क्यूबेशन सेंटर का उद्घाटन किया गया था। भारत में स्टार्टअप का स्वर्ण युग शुरू हो गया है। देश में यह यूनिकॉर्न का युग है। वर्तमान वर्ष में अब तक भारत के 14 स्टार्टअप यूनिकॉर्न क्लब से जुड़ चुके हैं। डिप्लोमेट कॉन्क्लेव रिपब्लिक ऑफ कांगो, लेसोथो,माली, मैक्सिको,रवांडा,टोगो, मंगोलिया, बांग्लादेश, चिली,क्यूबा,गाम्बिया, जमैका,थाईलैंड, किर्गिस्तान,जिम्बाब्वे, कोस्टा रिका दूतावास और मानवीय सेवा, अमेरिकी दूतावास और अमेरिकी स्वास्थ्य विभाग के प्रतिनिधि अस्थायी भागीदार हुए। एफएमसीजी कॉन्क्लेव में प्रमुख मंत्रालयों और उद्योगों,उद्यमियों, स्टार्टअप,आयुष के वैश्वीकरण और योग प्रमाणन के बीच जी टू बी बातचीत हुई। आयुष निवेश और नवाचार शिखर सम्मेलन में नरेन्द्र मोदी ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख डॉ. टेड्रोस ऐडरेनॉम गैबरेयेसस का गुजराती नाम तुलसीभाई रखा। वह अपने को गुजराती मानते है। नरेन्द्र मोदी ने कहा कि तुलसी एक ऐसा पौधा है,जिसे आज की पीढ़ी भुला रही है लेकिन भारत में हर घर के सामने तुलसी का पौधा लगाना और उसकी पूजा करना पीढ़ी दर पीढ़ी हमारी परंपरा रही है। तुलसी एक ऐसा पौधा है, जो भारत की आध्यात्मिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
भारत आयुष मार्क विकसित कर रहा है। जो देश के गुणवत्ता वाले आयुष उत्पादों को प्रामाणिकता प्रदान करेगा। प्रधानमंत्री ने पारंपरिक उपचार के लिए भारत आने वालों के लिए आयुष वीजा श्रेणी शुरू करने की भी घोषणा की। भारत के हर्बल प्लांट को ग्रीन गोल्ड की तरह हैं। प्राकृतिक संपदा को मानवता के हित में उपयोग करने के लिए सरकार हर्बल और मेडिसनल प्लांट के उत्पादन को निरंतर प्रोत्साहित कर रही है। मॉर्डन फार्मा कंपनियों और वैक्सीन मैन्यूफैक्चर्स को उचित समय पर निवेश मिलने का बहुत लाभ हुआ। अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान के द्वारा विकसित एक ऊष्मायन केंद्र का उद्घाटन किया गया। मेडिसिनल प्लांट्स की पैदावार से जुड़े किसानों को आसानी से मार्केट से जुड़ने की सुविधा विकसित की जाएगी। सरकार आयुष ई-मार्केट प्लेस के आधुनिकीकरण और उसके विस्तार पर भी काम कर रही है। भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण ने भी पिछले ही हफ्ते अपने नियमों में आयुष आहार नाम की एक नयी श्रेणी घोषित की है। इससे हर्बल पोषक तत्वों की खुराक के उत्पादकों को बहुत सुविधा मिलेगी। हील इन इंडिया इस दशक का बहुत बड़ा ब्रांड बन सकता है। आयुर्वेद, यूनानी, सिद्धा आदि विद्याओं पर आधारित स्वास्थ्य केंद्र बहुत प्रचलित हो सकते हैं।
डॉ. दिलीप अग्निहोत्री