नई दिल्लीः चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को पापमोचिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। एकादशी तिथि भगवान श्रीहरि को समर्पित होती है। साल के 12 माह में 24 एकादशी तिथि पड़ती है यानि हर माह दो एकादशी आती है। इन एकादशी को अलग-अलग नामों से जाना जाता है और इनका महत्व भी अलग होता है। जैसा कि नाम से ही ज्ञात होता है कि पापमोचिनी एकादशी के व्रत सभी पाप स्वतः ही समाप्त हो जाते हैं। हिंदू धर्म शास्त्रों के मुताबिक पापमोचिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की आराधना करने से साधक को मनोवांछित वरदान मिलता है और उसके घर में सुख-शांति का भी वास होता है।
पापमोचनी एकादशी शुभ मुहूर्त
27 मार्च 27 को शाम 6 बजकर 04 मिनट से शुरू एकादशी तिथि प्रारंभ हुई और 28 मार्च को शाम 4 बजकर 15 मिनट को समाप्त हो जाएगी। व्रत का पारण 29 मार्च सुबह 6 बजकर 15 से सुबह 8 बजकर 43 तक होगा।
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पापमोचनी एकादशी पूजा विधि
एकादशी के दिन व्रत करने वाले व्यक्ति प्रातःकाल के समय घर की साफ-सफाई करने के बाद स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए और भगवान श्रीहरि का स्मरण का व्रत का संकल्प लें। इसके बाद पूजा घर में एक चौकी पर पीला वस्त्र बिछायें। फिर भगवान श्री विष्णु की मूर्ति अथवा तस्वीर पर गंगा जल से स्नान कराकर चौकी पर बिठायें। भगवान को पीले फूल चढ़ाये और पीले चंदन से उनका तिलक करें। इसके बाद भगवान श्रीहरि को मिष्ठान, फल, धूप, दीप और तुलसी के साथ भोग चढ़ायें। उन्हें जल भी अर्पित करें। इसके बाद व्रत कथा का पाठ करें और अंत में आरती जरूर करें। दिनभर व्रत कर संध्याकाल को भी आरती है। इसके साथ ही भगवान विष्णु की आराधना के समय ‘ऊं नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का भी जाप करें।
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